राजनीति विज्ञान (Political Science)

राज्य और राष्ट्र में अन्तर Rajya Aur Rashtra Mein Antar in Hindi

राज्य और राष्ट्र में कोई चार अन्तर बताइए।

राज्य और राष्ट्र में अन्तर

राज्य और राष्ट्र में अन्तर

राज्य और राष्ट्र में अन्तर

राज्य और राष्ट्र में अन्तर- राज्य और राष्ट्र का प्रयोग कभी-कभी एक ही अर्थ में किया जाता हैं ऐसा प्रतीत होता है जैसे दोनों में कोई भेद ही न हो। किन्तु वास्तव में इनमें बड़ा अन्तर है। इसके साथ ही राष्ट्रीयता का अर्थ समझना भी आवश्यक है, क्योंकि राष्ट्र का सम्बन्ध राष्ट्रीयता से है।

गिलक्राइस्ट के अनुसार, “राष्ट्रीयता एक आध्यात्मिक भावना है यह उन लोगों में उत्पन्न होती है जो एक प्रजाति से सम्बन्धित हैं तथा एक ही देश में निवास करते हैं और जिनकी भाषा, इतिहास, परम्परायें, हित तथा राजनीतिक आदर्श समान हैं।”

डा.गार्नर के अनुसार, “राष्ट्र सांस्कृतिक रूप से संगठित एवं एकरूपीय जन समुदाय है, जिसे अपने आध्यात्मिक जीवन की एकता और अभिव्यक्ति का ज्ञान है।”

जिमर्न ने राष्ट्र और राज्य के भेद को बड़े सुन्दर शब्दों में व्यक्त किया है- “राष्ट्रीयता का सम्बन्ध धर्म की भाँति चेतना से होता है, राजत्व भौतिक होता है, राष्ट्रीयता मनोवैज्ञानिक होती है, राजत्व राजनीतिक, राष्ट्रीयता मन की स्थिति है, राजत्व कानूनी स्थिति, राष्ट्रीयता एक आध्यात्मिक सम्पत्ति है, राजत्व एक अनिवार्य उत्तरदायित्व, राष्ट्रीयता एक भावना, विचार तथा जीवन का मार्ग होती है और राजत्व समस्त सभ्यतापूर्ण जीवन दर्शन की एक अविच्छेद दशा होती है।”

ब्राइस के अनुसार, “राष्ट्रीयता के उस रूप को राष्ट्र कहते हैं, जो राजनीतिक दल के रूप में संगठित हो और या स्वतन्त्र हो अथवा स्वतन्त्रता की अभिलाषा रखता हो।” इस प्रकार राष्ट्र का निर्माण उस समय होता है जब एक राष्ट्रीयता अपने आपको संगठित कर लेती । गिलकाइस्ट का कथन है कि, “राज्य और राष्ट्रीयता के योग से राष्ट्र बनता है।” इन दोनों का अन्तर इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं-

(i) राष्ट्र का सम्बन्ध आन्तरिक भावना से- राष्ट्र का सम्बन्ध आन्तरिक भावना से है, जबकि राज्य का सम्बन्ध राजनीतिक भावना से है, राष्ट्र को एक प्रकार की आध्यात्मिक भावना का प्रतिबिम्ब कहा जा सकता है, किन्तु राज्य एक भौतिक संस्था है।

(ii) राज्य के लिए राजनीतिक संगठन (सरकार) की अत्यन्त आवश्यकता है, परन्तु राष्ट्र के लिए नहीं- राज्य के लिए एक राजनीतिक संगठन (सरकार) की आवश्यकता होगी, किन्तु राष्ट्र के लिए वह आवश्यकता नहीं है।

(iii) राज्य के लिए सम्प्रभुता अनिवार्य है, राष्ट्र के लिए नहीं- राज्य के पास प्रभुत्वशक्ति होती है और उसका अपने नागरिकों पर पूर्ण नियन्त्रण होता है। किन्तु राष्ट्र के लिए प्रभुत्वशक्ति की आवश्यकता नहीं। राष्ट्र का अभिप्राय प्रेम भावना है।

(iv) एक राज्य में कई राष्ट्र और एक राष्ट्र में दो राज्य हो सकते हैं- एक राज्य में कई राष्ट्र हो सकते हैं और एक राष्ट्र का विस्तार कई राज्यों में हो सकता है।

(v) राज्य एकता का प्रतीक नहीं, राष्ट्र एकता का प्रतीक होता है- राज्य एकता का प्रतीक नहीं है। उसमें विभिन्न जातियों एवं राष्ट्रीयता तथा धर्मों के मानने वालो निवास कर सकते हैं, किन्तु राष्ट्र एकता का प्रतीक है, इसमें निवास करन वालों में एकता की भावना का होना अत्यन्त आवश्यक है।

(vi) राष्ट्र राज्य से अधिक व्यापक होता है- राष्ट्र राज्य से अधिक व्यापक है। राज्य एक निश्चित भू-भाग में रहने वाले व्यक्तियों का समूह है, परन्तु राष्ट्र से अभिप्राय उन व्यक्तियों से है, जो एक समान धर्म, भाषा, रीति-रिवाज, सभ्यता आदि लक्षणों में एकता के सम्बन्ध में बंधे हों।

(vii) राष्ट्र का सम्बन्ध आध्यात्मिक पक्ष से होता है, किन्तु राज्य का सम्बन्ध भौतिक पक्ष से- राष्ट्र जीवन के आध्यात्मिक पक्ष से विशेष सम्बन्ध रखता है, जबकि राज्य का सम्बन्ध जीवन के भौतिक पक्ष से विशेष रूप से होता है।

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shubham yadav

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