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लोक प्रशासन : अर्थ और परिभाषा-लोक प्रशासन और नवीन लोकप्रशासन की समझ
लोक प्रशासन : अर्थ और परिभाषा-लोक प्रशासन और नवीन लोकप्रशासन की समझ-Hello Friends,currentshub में आपका स्वागत हैं,आज हम आप सभी छात्रों के लिए जो Study Material पीडीऍफ़ मे शेयर करने जा रहे हैं वह आप सभी के प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। आज हम जो Material इस पोस्ट के माध्यम से शेयर कर रहे हैं वह हैं “लोक प्रशासन : अर्थ और परिभाषा-लोक प्रशासन और नवीन लोकप्रशासन की समझ” . यह Study ebook Notes उन सभी छात्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। दोस्तों आप सभी की जानकारी के लिए हम बताना चाहते हैं की अगर आप SSC CGL, CPO, CHSL, MTS, RAILWAY, IAS और Other प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो आप सभी के लिए यह नोट्स बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी।
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लोक प्रशासन मोटे तौर पर शासकीय नीति के विभिन्न पहलुओं का विकास, उन पर अमल एवं उस पर अध्ययन का है।प्रशासन का वह भाग जो जनता की लाभ के लिए कार्य करता है लोक प्रशासन कहलाता है। एक अनुशासन के रूप में वह जन सेवा है जिसे सरकार कहे जाने वाले व्यक्तियों का एक संगठन करता है। जिसका प्रमुख उद्देश्य व आधार ‘सेवा’ है।
प्रशासन (ADMINISTRATION)
मानव एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में रहता है। प्रत्येक समाज को बनाए रखने के लिए कोई ना कोई सामाजिक व्यवस्था अवश्य होती है, इसलिए माना जा सकता है कि यह व्यवस्था पहले से ही चली आ रही होगी।
अरस्तू ने कहा कि “यदि कोई ऐसा मनुष्य है जो समाज में ना रह सकता हो या जिसे समाज की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह अपने आप में पूर्ण है तो वह अवश्य जंगली जानवर या देवता होगा।”
प्रशासन अंग्रेजी के शब्द Administration से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है ‘सेवा करना’ या ‘प्रबंधित करना’। प्रत्येक समाज को बनाए रखने के लिए कुछ नियम, संस्थाओं का निर्माण आवश्यक होता है। ज्यों ज्यों राज्य का स्वरूप और गतिविधियों का विस्तार होता जाता है त्यों त्यों प्रशासन का महत्व भी बढ़ता जाता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हम प्रशासन की गोद में पैदा होते हैं,पलते हैं, बढ़ते हैं और मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। प्रशासन अभाव में किसी भी कार्य को सफल नहीं बनाया जा सकता है।
चार्ल्स बियर्ड ने प्रशासन को परिभाषित करते हुए कहा कि “कोई भी विषय इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि प्रशासन है। राज्य एवं सरकार का, यहां तक कि स्वयं सभ्यता का भविष्य, सभ्य समाज के कार्यों का निष्पादन करने में सक्षम प्रशासन के विज्ञान, दर्शन और कला की योग्यता पर निर्भर है।”
लोक प्रशासन : एक परिचय (PUBLIC ADMINISTRATION : AN INTRODUCTION)
शासन के लक्ष्यों तथा जनमानस की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रशासनिक संरचनाएं एवं व्यवस्था कार्य करती रही हैं। शुरू से लेकर जनजातीय, सामंतशाही, राजशाही एवं तानाशाही शासनव्यवस्थाएं कार्य करती रही हैं तथा इन शासन व्यवस्था से लेकर वर्तमान समय में लोक कल्याणकारी एवं लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था तक प्रशासन तंत्र एवं उनके कार्मिक किसी ना किसी रूप में इसमें विद्यमान रहे हैं।
कल्याणकारी राज्य का अर्थ ही होता है ज्यादा से ज्यादा सरकारी गतिविधियां संपादित करने वाली व्यवस्था। तीसरी दुनिया के देशों में सरकार सामाजिक जीवन के अनेक क्षेत्रों से संबंधित है जैसे-आर्थिक,सांस्कृतिक,सामाजिक नियामक,उत्पादन क्षेत्र और ऐसे ही अन्य क्षेत्र।
पश्चिम में लोक प्रशासन की दो महान व्यवस्थाओं का विकास हुआ है –
- एंग्लो अमेरिकन धारा तथा
- फ्रांसीसी धारा।
एंग्लो-अमेरिकन धारा की विशेषता का उल्लेख करते हुए लियोनार्डो व्हाइट ने कहा कि यह स्थानीय समुदायों के सुशासन की वरीयता को आधार बनाती है। नेपोलियन द्वारा तैयार की गई फ्रांसीसी पद्धति मूलतः कार्यपालिका के संकेंद्रण पर आधारित है। यह स्थानीय अधिकारियों पर राष्ट्रीय सत्ता के अधिकार की पुष्टि करती है।
मोटे तौर पर लोक प्रशासन एक संस्थागत यंत्र है जिसका प्रयोग राज्य द्वारा योजना एवं कार्यक्रमों के निर्माण एवं क्रियान्वयन में किया जाता है वस्तुतः लोक प्रशासन समाज की प्रथम आवश्यकता है।
लोक प्रशासन : अर्थ और परिभाषा (PUBLIC ADMINISTRATION : MEANING & DEFINITION)
लोक प्रशासन एक संयुक्त शब्द है जो 2 शब्दों लोक प्रशासन से मिलकर बना है लोक का अर्थ है ‘सार्वजनिक’ या ‘सारी जनता से संबंधित’ और प्रशासन का अर्थ है ‘सेवा करना’ या ‘प्रबंधित करना’। लोक शब्द यह सूचित करता है कि प्रशासन लोगों के लिए किया जाना है।
शाब्दिक दृष्टि से ‘प्रशासन’ ‘प्र’+’शासन’ संस्कृत की ‘शास’ धातु के साथ ‘प’ उपसर्ग लगाकर बना है।
इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में प्रशासन शब्द की व्याख्या करते हुए लिखा गया है कि “यह कार्यों के प्रबंधन एवं उसको पूर्ण करने की प्रक्रिया है।”
विभिन्न विचारको द्वारा प्रस्तुत परिभाषाओं में प्रशासन के कुछ महत्वपूर्ण आयाम निम्लिखित है :-
- प्रशासन का संबंध सहयोग एवं सामूहिकता से है। इसमें एक से अधिक व्यक्तिय के सहयोग की भावना से काम करते है।
- प्रशासन किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाने वाला कार्य है।
- प्रशासन का अर्थ संगठित होकर काम करना है, इसके बिना कोई अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकता है।
- प्रशासन का प्रयोग व्यापक, विशाल एवं औपचारिक संगठनों के लिए किया जाता है।
- “लोकप्रशासन” प्रशासन के ही विस्तृत क्षेत्र का एक विशेष भाग है, जब प्रशासन के साथ लोक शब्द की जुड़ जाता है, तब इसका अर्थ यह होता है कि यह सरकारी अथवा सार्वजनिक प्रशासन से संबंधित है।
- ‘प्रशासन का विज्ञान’ (the science of public Administration) 1887 पर विल्सन का लेख जिसे इस क्षेत्र में प्रारंभिक निबंध माना जाता है, इसे उस समय में लिखा गया जब लोक प्रशासन का क्षेत्र एक व्यवसाय और शैक्षिक अध्ययन के रूप में स्थापित हो चुका था। लोक प्रशासन के प्रति वुडरो विल्सन के योगदान को 4 दृश्टिकोण ओर से देखा जा सकता है –
- उनके द्वारा प्रशासन के विज्ञान का समर्थन।
- प्रशासन के विशेष स्वरुप पर उनका जोर और प्रशासन तथा राजनीति में अंतर ।
- निजी या व्यवसाय प्रशासन के लिए उनकी अभिरुचि ।
- प्रशासन के तुलनात्मक अध्ययन के लिए प्रारंभिक पहल।
लोक प्रशासन की परिभाषा
विभिन्न विद्वानों ने लोक प्रशासन के संबंध में विभिन्न विभिन्न परिभाषाएं दी है :-
एल डी व्हाइट के अनुसार- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में वे सभी कार्य आ जाते है, जिनका उद्देश्य लोक नीति को पूरा करना अथवा क्रियान्वित करना होता है| ( व्यापक क्षेत्र)
वुडरो विल्सन के अनुसार- लोक प्रशासन विधि अथवा कानून को विस्तृत रूप में कार्यान्वित करने का नाम है| कानून को कार्यान्वित करने की प्रत्येक क्रिया एक प्रशासकीय क्रिया है| (संकुचित क्षेत्र)
साइमन के अनुसार- जन साधारण की भाषा में लोक प्रशासन से अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो केंद्र राज्य तथा स्थानीय सरकारो की कार्यपालिका शाखाओं द्वारा सम्पादित की जाती है| (संकुचित क्षेत्र)
वाल्डो के अनुसार- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मानवीय पहलू तथा विभिन्न वर्गो वाले प्रशासन से संबंधित एक वर्ग है जो की उच्च कोटि की विचारशक्ति से युक्त एक प्रकार का सामूहिक मानवीय प्रयत्न है| (संकुचित क्षेत्र)
पार्सी मैकक्वीन के अनुसार- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का संबंध सरकार के कार्यों से है, चाहे वह केंद्र द्वारा सम्पादित हो अथवा स्थानीय सरकार द्वारा| (व्यापक क्षेत्र)
विलोबी के शब्दों में “अपने व्यापकतम अर्थ में लोकप्रशासन सरकारी क्रियाकलापों की वास्तविकता से सम्बंधित है।”
फेरल हेडी – लोक प्रशासन को सामाजिक-राजनीतिक परिवेश से जोड़कर फेरल हेडी ने एक अध्ययन क्षेत्र के रूप में लोक प्रशासन के मुख्य सरोकारों का उल्लेख किया है-
- कार्यपालिका संगठन बनाने के तरीकों,उन्हें पुनर्व्यवस्थित एवं समायोजित करने के तरीको और उनसे जुड़े जन संगठन की संरचना का अध्ययन।
- संगठनों के गत्यात्मक(dynamic) पहलू तथा प्रशासनिक प्रक्रियाएं जैसे – संचार, नियंत्रण एवं निर्णय।
- संगठनात्मक ढांचे में अंतरवैक्तिक तथा अंतरवर्गीय संबंधों पर विशेष बल देते हुए नौकरशाही के व्यवहार का अध्ययन।
- संगठन परिवेश की पारस्परिक प्रक्रिया, जिसके अंतर्गत लोक प्रशासन एवं उससे जुड़े सामाजिक ,आर्थिक और राजनीतिक परिवेश के बीच अर्थपूर्ण एवं प्रभावशाली संबंध इत्यादि शामिल है।
प्रो० मोहित भट्टाचार्य के अनुसार,”लोक प्रशासन वस्तुतः सरकारी प्रशासन है और इसमें सार्वजनिक नौकरशाही पर अधिक बल दिया जाता है,किंतु लोक प्रशासन को व्यापक दृष्टि से देखने पर इसके अंतर्गत किसी भी उस प्रशासन के अध्ययन को शामिल किया जा सकता है जिसका सार्वजनिक पहलू पर अधिक प्रभाव हो।दूसरे शब्दों में लोक प्रशासन में सभी प्रशासन आ जाते हैं जिसका जनता पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है।”
उपर्युक्त कोई भी परिभाषा सम्पूर्ण या सर्वमान्य नहीं है| विद्वानों में काफी विभिन्नता मिलती है| कुछ विद्वान इसके व्यापक क्षेत्र को तो कुछ संकीर्ण क्षेत्र को परिभाषित करते है|
कुछ विद्वानों का मत है की लोक-प्रशासन केवल प्रबंधकीय कार्यों से संबंधित है और वही तक सीमित भी| दूसरी ओर कुछ विद्वानों का मत है की प्रशासन को चलाने के लिए जितने भी कार्य किये जाते है सभी लोक प्रशासन के अंतर्गत आते है|
उपर्युक्त सभी परिभाषाओं के विश्लेषण से निम्न निष्कर्ष निकाला जा सकता है-
- यह एक सामूहिक प्रयास है| यह वहां उत्पन्न होता है जहाँ एक से अधिक व्यक्ति परस्पर सहयोग की भावना से कार्य करते है| यदि एक व्यक्ति अकेले कार्य कर रहा है उसका कार्य प्रशासन नहीं कहा जा सकता|
- लोक प्रशासन का कोई निश्चित उद्देश्य होता है, जिसकी प्राप्ति हेतु वह निरंतर कार्यरत रहता है|
- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन उपलब्ध मानवीय व भौतिक साधनों का संगठन है| संगठन की बिना यह अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर सकता|
- प्रशासक के पास आदेश-निर्देश करने की शक्ति होती है| “लोक प्रशासन’ में काम करना और करवाना दोनों शामिल है|
लोक प्रशासन का अध्ययन क्षेत्र
Scope of public administration in hindi. पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का अध्ययन क्षेत्र निर्धारित करना विद्वानों के लिए एक बड़ी समस्या है| परिवर्तन के इस युग में यह एक गतिशील विषय बन गया है अतः इसके क्षेत्र को रेखांकित करना एक कठिन कार्य है| मूल रूप से समस्या है की इस विषय को केवल प्रबंधकीय अंश माना जाये या इसका संबंध सरकार के प्रत्येक अंगों को माना जाये|
लोक प्रशासन का अध्ययन क्षेत्र के लिए चार दृष्टिकोण प्रचलित है|
- संकुचित दृष्टिकोण – Narrow View
- व्यापक दृष्टिकोण – Broader View
- पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण – Posdcorb View
- लोककल्याणकारी दृष्टीकोण – Idealistic View
संकुचित दृष्टिकोण – Narrow View
समर्थक- साइमन, गुलिक लूथर, सिमॉन, विल्सन आदि|
साइमन के अनुसार पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटर से अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो केंद्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों की कार्यपालिका शाखाओं द्वारा सम्पादित की जाती है|
गुलिक लूथर के अनुसार इसका विशेष संबंध कार्यपालिका से है|
उपर्युक्त परिभाषाओं में साइमन तथा गुलिक ने संकुचित दृष्टिकोण को अपनाया है| पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का संबंध शासन की केवल कार्यपालिका शाखा से ही है| इसमें केवल उसी की कार्यपालिका तथा कार्य पद्धति का अध्ययन किया जाता है|
व्यापक दृष्टिकोण – Broader View
समर्थक– एल डी व्हाइट, एफ. एम मार्क्स, विलोबी, नीग्रो आदि|
एल डी व्हाइट के अनुसार लोक प्रशासन में वे सभी कार्य आते है जिनका उद्देश्य सार्वजनिक नीति को पूरा करना या लागू करना है|
मार्क्स के अनुसार अपने व्यापकतम क्षेत्र में लोक प्रशासन के अंतर्गत सार्वजनिक नीति से संबंधित समस्त क्रियाएँ आती है|
विलोबी के अनुसार अपने व्यापकतम अर्थ में लोक प्रशासन उस कार्य का प्रतीक है जो की सरकारी कार्यों के वास्तविक सम्पादन से संबंध होता है, चाहे वह सरकार की किसी भी शाखा से संबंधित क्यों न हो…|
लोक प्रशासन के संबंध में उपर्युक्त विद्वानों ने व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया है| उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है की ये विद्वान लोक प्रशासन को सरकार की तीनों शाखाएँ- कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका का महत्वपूर्ण अंग मानते है|
पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण – Posdcorb View
समर्थक- ऊर्विक, हेनरी फेयोल, लूथर गुलिक
इस दृष्टिकोण की मान्यता है की लोक प्रशासन में केवल तकनीकी और प्रबंधकीय क्रिया का अध्ययन किया जाता है| लूथर गुलिक के अनुसार लोक प्रशासन प्रशासकीय विज्ञान का वह भाग है जिसका संबंध शासन एवं कार्यपालिका शाखा से है और जो सरकार का कार्य करती है| पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण को सुव्यवस्थित करने का श्रेय गुलिक को ही प्राप्त है|
पोस्डकोर्ब की रचना अंग्रेजी के सात अक्षरों से मिलकर बना है जो इस प्रकार है-
- P- Planning योजना बनाना
- O- Organizing संगठन बनाना
- S- Staffing कर्मचारियों की व्यवस्था
- D- Dircting निर्देशन करना
- Co- Co-ordination समन्वय करना
- R- Reporting रिपोर्ट देना
- B- Budgeting बजट तैयार करना
पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण की आलोचना
वर्तमान समय में इस दृष्टिकोण को अपूर्ण, अमान्य तथा संकीर्ण माना जाता है| लेविस मेरियम इस सिद्धांत के कटु आलोचक है| इस सिद्धांत की आलोचना निम्नलिखित प्रकार से की जाती है|
- संकीर्णता- यह दृष्टिकोण इतना संकीर्ण है की यह लोक प्रशासन से शब्द से प्रकट होने वाले अर्थ को भी समाहित नहीं करता है|
- लोक हित की उपेक्षा- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटर का मुख्य उद्देश्य लोक हितो की रक्षा करना है, लेकिन इस दृष्टिकोण में तकनीकी की चर्चा की गई है और लोकहितों की उपेक्षा की गई है|
- विषय वस्तु की उपेक्षा- यह दृष्टिकोण अध्ययनकर्ताओं को केवल तकनिकी ज्ञान प्रदान करता है, विषयवस्तु का ज्ञान नही प्रदान करता| जबकि प्रशासन चलाने हेतु तकनीकी के साथ-साथ विषयवस्तु का भी ज्ञान होना चाहिए|
- मानवीय तत्व की उपेक्षा- यह दृष्टिकोण मानवीय संबंधों एवं तत्वों की उपेक्षा करता है जबकि हार्थोर्न प्रयोग से यह सिद्ध हो चूका है की प्रशासन मानवीय व्यवहार एवं संबंधो से प्रभावित होता है| मिलवर्ड के शब्दों में, संगठन अपने आप कुछ नही करता, जो कुछ भी करते है उसके कर्मचारीविन्द करते है|
लोककल्याणकारी दृष्टीकोण – Idealistic View
पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से संबंधित एक अन्य दृष्टिकोण और भी है इन्हें आदर्शवादी दृष्टिकोण भी कहते है| इस दृष्टिकोण के समर्थक राज्य व लोक प्रशासन में अधिक अंतर नहीं मानते| उनके अनुसार राज्य और लोक प्रशासन दोनो ही कल्याणकारी है| दोनों का एक ही कार्य है- जनहित अथवा जनता को हर हर प्रकार से सुखी बनाना|
इस दृष्टिकोण के समर्थक कहते है की ‘आज लोक प्रशासन सभ्य जीवन मात्र नहीं है, वह सामाजिक न्याय तथा सामाजिक परिवर्तन का महान साधन है’ अर्थात इसका क्षेत्र जनता के हित में किये जाने वाले कार्यों तक फैला हुआ है|
New public administration in hindi –
नवीन लोक प्रशासनअपना नारा ‘नैतिकता एवं सामाजिक उपयोगिता’ के साथ नवीन लोक प्रशासन या New public administration70 के दशक में सामने आया| इसने प्रशासन के क्षेत्र में नवीन क्रांति को जन्म दिया.
लोक प्रशासन एक विकासशील विषय है| इसमें सतत रूप से सिद्धांतों तथा प्रविधियों का विकास हो रहा है| लोक प्रशासन में 1960 के पश्चात कुछ अति महत्वपूर्ण नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ| इन विचारों को नवीन लोक प्रशासन कहा जाता है|
1960 का दशक पश्चिमी देशों के लिए विशेषकर usa के लिए अनेक सामाजिक समस्याओं का काल था| लेकिन परम्परागत लोक प्रशासन के पास इन समस्याओं का कोई हल नहीं था| फलस्वरूप इस दशक के अंतिम वर्षों में (1968) अमेरिकी विद्वानों की युवा पीढ़ी ने लोक प्रशासन का पथ प्रदर्शन किया| इससे इस क्षेत्र में नये आन्दोलन का जन्म हुआ|
इविइट वाल्डो के संरक्षण में मिन्नो बुक के कुछ विद्वान एकत्रित हुए और परम्परागत लोक प्रशासन की स्वीकृत मान्यताओं को चुनौती देना प्रारम्भ कर दिया| इस तरह कहा जा सकता है की इस सम्मलेन ने लोक प्रशासन को जन्म दिया| सम्मलेन में यह निष्कर्ष निकाला गया की लोक प्रशासन की सर्वोपरि विशेषता होनी चाहिए- सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता|
1971 में फ्रेंक मेरिनी सम्पादित पुस्तक ‘नवीन लोक प्रशासन की दिशाएँ मिन्नोबुक परिप्रेक्ष्य में’ के प्रकाशन के साथ ही नवीन लोक प्रशासन को मान्यता प्राप्त हुई| यह नवीन लोक प्रशासन की प्रतिनिधि पुस्तक है| यह पुस्तक संभवतः मिन्नो बुक सम्मलेन 1968 पर आधारित है| नवीन लोक प्रशासन के अग्रणी विचारक है- फ्रेंक मेरिनी, जार्ज पेडरिक्सन, जोसेफ, उवाजेस, चार्ल्स लिन्डब्लोक|
नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण
नवीन लोक प्रशासन के उदय के निम्न कारण कहे जा सकते है
- 1960 के दशक में पश्चिमी देशों विशेषकर अमेरिका में सामाजिक समस्याओं का उत्पन्न होना और तत्कालिक लोक प्रशासन के विद्वानों के द्वारा उसका हल न किया जाना|
- नये विद्वानों द्वारा समस्याओं को दूर करने की दिशा में किया जाने वाला प्रयास
- लोक प्रशासन के सिद्धांत व व्यवहार पर फिलाडेल्फिया सम्मलेन (1967)
- मिन्नोबूक सम्मलेन (1968)
- फ्रेंक मेरिनी की पुस्तक
- वाल्डो द्वारा सम्पादित “विक्षोभ के समय में लोक प्रशासन” का प्रकाशन (1971)
नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएँ
नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएँ इस प्रकार है
- यह राजनीती और लोक प्रशासन के भेद को अवास्तविक मानता है और दोनों के एकीकरण पर बल देता है|
- यह मूल्य निरपेक्षता को एक भ्रम मानता है| इसकी मान्यता है की प्रशासन में नीति निर्माण, नीति क्रियान्वयन और नीति मूल्यांकन सदैव नैतिकता के आधार पर होता है|
- मूल्य निरपेक्ष- मूल्य साक्षेप
- यह सकारात्मक और आदर्शात्मक है और यह प्रत्यक्ष रूप से जनता के प्रति उत्तरदायी है|
- यह परिवर्तन में विश्वास रखता है तथा यह सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील है|
- इसका मुख्य लक्ष्य सामाजिक न्याय की प्राप्ति है| यह जनता के कल्याण और कार्यक्रम के प्रति निष्ठावान है|
- यह विकेंद्रीकरण का समर्थन करता है|
- संक्षेप में कहें तो नवीन लोक प्रशासन का नारा है- ‘नैतिकता एवं सामाजिक उपयोगिता’ जबकि लोक प्रशासन का नारा है- ‘मूल्य निरपेक्षता एवं दक्षता’|
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