अनुक्रम (Contents)
वसा में घुलनशील विटामिन
(i) विटामिन A
विटामिन A वसायुक्त खाद्य पदार्थों में पाये जाते हैं। इसका रासायनिक नाम ‘रेटिनॉल’ है। विटामिन A रेटिनॉल या कैरोटिन के रूप में शरीर द्वारा ग्रहण किया जाता है। विटामिन A या रेटिनॉल केवल पशुजन्य खाद्य पदार्थों से ही प्राप्त होता है। वानस्पतिक खाद्य पदार्थों में रेटिनॉल नहीं होता अपितु इनमें कुछ पीले एवं लाल रंग के वर्णक पाये जाते हैं जिन्हें कैरोटिन कहते हैं। शरीर में ये कैरोटिन वर्णक छोटी आँत की भित्तियों में विटामिन A में परिवर्तित हो जाते हैं और बाद में यकृत में संग्रहित हो जाते हैं। इसलिए इन कैरोटिन वर्णकों को विटामिन A का पूर्वगामी रूप कहते है। स्त्रोत
प्राणिजन्य स्त्रोत – दूध, मलाई, मक्खन, पनीर, घी, अण्डे की जरदी, मछली, कलेजी, कॉड लिवर तेल, शार्क लिवर तेल आदि।
वनस्पतिजन्य स्त्रोत – हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक, चौलाई, बंदगोभी, सहिजन), अन्य सब्जियाँ (गाजर, लौकी, कद्दू), फल (आम, पपीता, सीताफल, टमाटर)।
विटामिन A के कार्य
1. सामान्य दृष्टि बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
2. शरीर में अस्थियों एवं कोमल ऊतकों की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
3. शरीर में उपकला ऊतकों का आर्द्र एवं स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।
4. शिशुओं को संक्रामक बीमारियों से रक्षण में सहायक है।
विटामिन A की कमी के परिणाम
विटामिन A की कमी से रतौंधी शुष्क नेत्रप्रदाह, बिटाट चित्तियाँ, कैराटोमैलेशिया।
(ii) विटामिन D
विटामिन D शरीर द्वारा सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में त्वचा के नीचे उपस्थित एक पदार्थ से बनता है। अतः इसको ‘सनशाइन विटामिन‘ भी कहते हैं। इसे कैल्सिफाइंग विटामिन भी कहते हैं। विटामिन D मुख्यतः दो रूपों में पाया जाता है। विटामिन D2 प्रकृति में नहीं होता। विटामिन D3 प्राणिजन्य वसा और मछली तेल से मिलता है।
स्त्रोत
प्राणिजन्य स्त्रोत – दूध, मक्खन, अण्डे, मछली, मछली का यकृत तेल आदि ।
वनस्पतिजन्य स्त्रोत–आमतौर पर प्रयोग में लाए जाने वाले वनस्पति पदार्थों में विटामिन D नहीं होता है।
धूप- भारत में विशेष तौर पर यह विटामिन D का महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक स्रोत है। विटामिन D मानव त्वचा पर धूप लगने पर 7- डिहाइड्रोकोलेस्ट्रॉल से भी बनता है। 7-डिहाइड्रोकोलेस्ट्रॉल एक प्रोविटामिन है जो सामान्यतः त्वचा में पाया जाता है।
विटामिन D के कार्य
1. यह पाचन तन्त्र में कैल्शियम एवं फॉस्फोरस के अवशोषण में सहायता करता है।
2. यह अस्थियों में कैल्शियम तथा फॉस्फोरस के निक्षेपण में सहायता करता है।
कमी के कारण
विटामिन D की कमी से बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ऑस्टोमैलेशिया होता है।
(iii) विटामिन E
विटामिन E का रासायनिक नाम ‘टोकोफेरॉल’ है। यह शरीर में कोशिकाओं के तीव्र गति से विभाजन में महत्त्वपूर्ण है। वास्तव में विटामिन E की भूमिका अभी ज्ञात नहीं है किन्तु ऐसा माना जाता है कि भ्रूण की वृद्धि एवं विकास में इस विटामिन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
विटामिन E के स्रोत
प्राणिजन्य स्त्रोत- अण्डे की जरदी, मक्खन, कलेजी आदि।
वनस्पतिजन्य स्त्रोत–आमतौर पर प्रयोग में लाए जाने वाले वानस्पतिक पदार्थों में विटामिन D नहीं होता है। वानस्पतिक तेल जैसे सोयाबीन तेल, मूँगफली का तेल, बिनौला तेल, सूरजमुखी का तेल आदि। इसके अतिरिक्त साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, तिलहन दाले तथा गिरीदार फल ।
विटामिन E के कार्य
1. विटामिन E अन्य भोज्य पदार्थों जैसे असंतृप्त वसा अम्लों विटामिन A तथा विटामिन C को सुरक्षा प्रदान करता है। यह शरीर तथा भोजन दोनों में ही इन पदार्थों को नष्ट होने से रोकता है।
2. यह गर्भावस्था की निरन्तरता को सुनिश्चित करता है।
3. यह सामान्य प्रसव में सहायक होता है।
कमी के कारण
विटामिन E की से मस्कुलर डिस्ट्रॉफी स्मृति में कमी, पुरुषों में नपुंसकता, महिलाओं में बांझपन जैसे दुष्परिणाम सामने आते हैं।
(iv) विटामिन K
विटामिन K का रासायनिक नाम ‘फाइलोक्यूनॉन’ है। विटामिन के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि हमारी शारीरिक आवश्यकता का लगभग आधा भाग हमें छोटी आँत में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा प्राप्त होता है तथा बाकी आधा भाग हमें वानस्पतिक तथा पशुजन्य खाद्य पदार्थों से मिलता है।
विटामिन K के स्त्रोत
प्राणिजन्य स्त्रोत- दूध एवं दूध से बने पदार्थ, अंडा, मछली आदि। वनस्पतिजन्य स्त्रोत – पालक, बंदगोभी, फूलगोफी, सलाद पत्ता, सोयाबीन, टमाटर आदि।
विटामिन K के कार्य
1. विटामिन K रक्त का थक्का जमाने में महत्त्वपूर्ण कार्य करता है, इसलिए इसे ‘रक्तस्कंदन विटामिन’ कहते हैं। विटामिन K प्रोथ्रोम्बिन नामक प्रोटीन के बनने में सहायता करता है। ये प्रोथ्रोम्बिन रक्त जमने के लिए जरूरी है।
2. विटामिन K गर्भवती महिलाओं के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।
इसी भी पढ़ें…
- शरीर के पोषण में कार्बोहाइड्रेड एवं वसा के योगदान
- स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा, स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य
- स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व | Importance of Health Education in Hindi
- शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता | Importance of Physical Education in Hindi
- स्वास्थ्य के निर्धारक तत्व | Determinants of Health in Hindi
- स्वास्थ्य के विभिन्न आयाम | different dimensions of health in hindi
इसी भी पढ़ें…
- निर्धनता का अर्थ, परिभाषा, कारण तथा निवारण हेतु सुझाव
- भारत में घरेलू हिंसा की स्थिति क्या है ?
- घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण | घरेलू हिंसा रोकने के सुझाव
- अन्तर पीढ़ी संघर्ष की अवधारणा
- संघर्ष का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ या प्रकृति
- जातीय संघर्ष- कारण, दुष्परिणाम तथा दूर करने का सुझाव
- तलाक या विवाह-विच्छेद पर निबन्ध | Essay on Divorce in Hindi
- दहेज प्रथा पर निबंध | Essay on Dowry System in Hindi
- अपराध की अवधारणा | अपराध की अवधारणा वैधानिक दृष्टि | अपराध की अवधारणा सामाजिक दृष्टि
- अपराध के प्रमुख सिद्धान्त | Apradh ke Siddhant