व्यवसाय जीविकोपार्जन का तरीका होता है। यह एक व्यापक शब्द है। इसमें कृषि, उद्योग, नौकरी मछलीपालन आदि वे सभी रोजगार सम्मिलित होते हैं जिनमें कोई मानव अपने जीवन-यापन के लिये आवश्यक साधन और सुविधा अर्जित करता है। व्यवसाय वह है जिसमें वैज्ञानिक अथवा कलात्मक प्रशिक्षण अर्थात् शिक्षा-दीक्षा की आवश्यकता पड़ती है।
अनुक्रम (Contents)
व्यवसाय के आवश्यक लक्षण
(1) व्यावसायिक आचरण संहिता
प्रत्येक व्यवसाय के साथ एक आदर्श आचरण संहिता जुड़ी होती है जो प्रायः उस व्यवसाय के संघ द्वारा निर्धारित होती है। वकील और डॉक्टर क्रमश: अपने संघों जैसे मेडिकल अथवा बार काउंसिल द्वारा लाइसेंस प्राप्त करते हैं। इन व्यावसायिक संघों ने अपने सदस्यों के लिये आचरण संहिता का भी निर्माण किया जिसके अन्तर्गत उल्लंघनकर्ता का प्रैक्टिस करने का लाइसेंस भी जब्त किया जा सकता है।
(2) सामाजिक प्रतिबद्धता
व्यवसाय के साथ सामाजिक प्रतिबद्धता जुड़ी है। यह आशा की जाती है कि व्यवसाय से जुड़े लोग समाज व अपने ग्राहकों के प्रति प्रतिबद्ध होंगे। वे अपने ग्राहकों के हित को गोपनीय और सर्वोपरि वरीयता प्रदान करेंगे।
(3) दीर्घकालीन शिक्षा प्रशिक्षा और कार्यानुभव की लंबी अवधि
किसी भी व्यवसाय अपनाने के लिये प्रशिक्षण की लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है जिसमें विशिष्ट ज्ञान और उस ज्ञान को प्रयोग करने का कौशल अर्जित करना पड़ता है।
(4) स्वायत्तता और स्व-नियमन
व्यवसाय वह है जिसमें स्वायत्तता और स्व-नियमन के लक्षण पाये जाते हैं। व्यावसायिक समूह न केवल फीस लेकर अपनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये स्वतंत्र है बल्कि स्व-नियमन के आधार पर अपने कार्यों के लिये जवाबदेह भी है।
(5) व्यक्ति या समाज की किसी महत्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति से संबंध
व्यवसाय का प्रमुख उद्देश्य ऐसी वैयक्तिक या सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति करना है जिसे सामाजिक महत्ता प्राप्त होती है या जो जीवन का अनिवार्य अंग मानी जाती है। उदाहरणार्थ वकालत, चिकित्सा, भवन निर्माण व आन्तरिक गृह सज्जा आदि। प्रक्रिया ऐसी ही आवश्यकताएँ हैं।
( 6 ) सेवा के लिये उचित फीस लेने का अधिकार ग्राहकों से व्यावसायिक
समूह अपनी सेवाओं के लिये स्व-निर्धारित फीस ले सकता है।
(7) व्यावसायिक संघ
प्रत्येक व्यवसाय में एक व्यावसायिक संघ होता है। वह संघ संबंधित व्यवसाय के विकास और नियमन के कार्य करता है। उसके अधिवेशन होते हैं। उन अधिवेशनों में विभिन्न क्षेत्रों से व्यवसाय के क्षेत्र में होने वाले नये आविष्कारों की जानकारी व्यवसाय से प्रदान की जाती है। इससे जुड़ी समस्याओं पर विचार किया जाता है और समस्याओं के समाधान के लिये उपयुक्त प्रस्ताव पारित किये हैं। ऐसे संघ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर क्रियाशील होते हैं।
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