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शासकीय (सरकारी) पत्र
यह सरकारी कार्यालयों में पत्र व्यवहार का सबसे सामान्य रूप है। यहाँ यह ध्यान रखने योग्य है कि सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के आपसी पत्राचार में पत्र के इस रूप को नहीं अपनाया जाता। विदेशी सरकारों, संबद्ध तथा स्वायत्त कार्यालयों, सार्वजनिक निकायों आदि के साथ पत्राचार में इसी रूप का प्रयोग किया जाता है।
शासकीय पत्र के अंग
शासकीय पत्र में निम्नलिखित अंग होते हैं-
1. कार्यालय विभाग का नाम
2. पत्र की संख्या तथा दिनांक
3. पाने वाले नाम या पद नाम या दोनों
4. विषय
5. सम्बोधन
6. पत्र का मुख्य कलेवर
7. अघोलेख
8. प्रेषक के हस्ताक्षर व पदनाम
9. पृष्ठांकन।
सरकारी अधिकारियों को लिखे जाने वाले पत्रों का प्रारम्भ ‘महोदय’ और उपक्रमों तथा गैर सरकारी व्यक्तियों को ‘प्रिय महोदया’ के सम्बोधन से होना चाहिये। महिला के लिए ‘महोदया’ सम्बोधन किया जाता है। सभी सरकारी पत्रों के अंत में अधोलेख के रूप में ‘भवदीय’ लिखना चाहिए और इसके बाद हस्ताक्षर तथा हस्ताक्षरकर्त्ता का नाम तथा पद दिया जाना चाहिए।
जो शासकीय पत्र किसी मंत्रालय को भेजे जाने हैं और भारत सरकार के आदेशों या विचारों को व्यक्त करने के लिए लिखे जाते हैं, उन पत्रों में यह बता दिया जाता है कि वे सरकार के निर्देश से लिखे गये हैं।
जो पत्र सरकार के निर्देश पर नहीं अपितु किसी अधिकारी द्वारा अपने अधिकार पर लिखे जाते हैं, उनमें ‘मुझे निर्देश हुआ है।’ न लिखकर ‘मुझे निवेदन करना है’ लिखना चाहिए।
उदाहरण-
शासकीय पत्र (Official Letter) का प्रारूप
प्रति, दिनांक – 1 जुलाई, 20019
कुलपति,
प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) विश्वविद्यालय,
प्रयागराज
विषय- अनुसन्धान छात्रवृत्तियाँ
महोदय,
मुझे यह सूचित करने का निर्देश हुआ है कि भारत सरकार संस्कृत भाषा व साहित्य के अध्ययन व अनुसन्धान के लिए एक विशेष विभाग देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर में स्थापित करना चाहती है।
प्रारम्भ में केवल 75 विद्यार्थियों के अध्ययन की व्यवस्था होगी व प्रत्येक छात्र को 300 रु. मासिक की छात्रवृत्ति तीन वर्ष तक दी जाएगी। भारत सरकार इस कार्य में होने वाले व्यय का अनुमान जानना चाहती है, ताकि भावी कार्यवाही की जा सके।
कृपया सम्पूर्ण व्यय विवरण व जानकारी 23 जुलाई, 2008 तक अवश्य ही प्रेषित करवा दें।
भवदीय,
उपसचिव, भारत सरकार
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