B.Ed./M.Ed.

श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय (एस. एन. डी. टी. यूनिवर्सिटी)

श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय [Shreemati Nathibai Damodar Thackersey Women’s University- (SNDT University)]

एस. एन. डी. टी. यूनिवर्सिटी को श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय के नाम से भी पुकारा जाता है। यह एक महिला विश्वविद्यालय है तथा यह मुम्बई, भारत में में स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1916 ई० में हुई थी। उस समय इसके कुलपति सी० विद्यासागर राव तथा उपकुलपति प्रोफेसर शशिकला बन्जारी थे। विश्वविद्यालय का मुख्यालय साउथ मुम्बई के चर्चगेट पर स्थित हैं जबकि मुख्य कैम्पस मुम्बई के शातांकुज, जुहू क्षेत्र में है।

एस० एन० डी० टी० के तीन कैम्पस हैं- दो मुम्बई में हैं तथा एक पुणे में स्थित है। इससे सम्बद्ध कॉलेज महाराष्ट्र, आसाम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, सूरत एवं गोवा में हैं।

भारत में स्त्री शिक्षा के नये युग की शुरुआत 1896 ई० में चिन्हित की गयी। जब खुन्दू केशव कर्वे, डी० के० कर्वे (D. K. Karve) ने पुणे के निकट हिंगने (Hingne) में विधवाओं एवं असहाय महिलाओं के लिए एक आश्रम की व्यवस्था की। उसने इन महिलाओं को आत्म-पर्याप्तता, आत्मबोध, स्वावलम्बी एवं दृढ़ निश्चय की भावनाओं से प्रेरित होने के लिए आश्रम में आंशिक रूप से विद्यालयी व्यवस्था प्रदान की। कर्वे ने वहाँ पर विद्यालयी व्यवस्था के से कार्यक्रम का प्रारम्भ किया जो बाद में बालिकाओं एवं महिलाओं के लिए यह नियमित रूप से विद्यालयी स्वरूप ग्रहण कर लिया। पुराने रीति-रिवाजों एवं संरक्षणात्मक अभिवृत्तियों के लिए सामुदायिक गतिविधियों का संचालन किया। समाज में आर्थिक एवं सामाजिक कठिनाइयों से सामना करने के लिए महिलाओं का यह आश्रम कटिबद्ध था।

कर्वे ने महिलाओं के विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए एक सपना देखा था। उनके मित्र उन्हें जापान महिला विश्वविद्यालय टोक्यो (Japan Women’s University, Tokyo) से उन्हें पुस्तिकाएँ भेजते रहते थे। अपने सपनों को साकार करने के लिए कर्वे ने दिसम्बर, 1915 में नेशनल सोशल रिफार्म कांग्रेस बाम्बे में अपने अध्यक्षीय भाषण में अपने सपनों को वास्तविक आकार प्रदान करने के लिए घोषणा की।

2 जुलाई, 1916 को पाँच विद्यार्थियों से इसकी शुरुआत की गयी। इसे एक महिला विश्वविद्यालय की भाँति आकार प्रदान किया गया। कर्वे ने इसके लिए सरकार के फण्ड (कोष) के आदेश की प्रतीक्षा नहीं की।

1920 में इसका नाम श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय किया गया। 1936 में इसका मुख्यालय बाम्बे में स्थानान्तरित कर दिया गया। विश्वविद्यालय निरन्तर विकास करता गया। अधिक से अधिक स्त्रियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने में इसकी अग्रण्यी भूमिका रही।

1951 ई० में विश्वविद्यालय अनुदान पर आ गया और इसका नाम श्रीमती नाथीबाई ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय कर दिया गया जो वर्तमान में एस. एन. डी. टी. वूमेन यूनिवर्सिटी के नाम से लोकप्रिय है।

5 जुलाई, 2016 को विश्वविद्यालय ने अपने अस्तित्व के 100 वर्ष पूरे कर लिये हैं। यह भारत में और दक्षिणी पूर्वी एशिया में प्रथम महिला विश्वविद्यालय है।

आज वर्तमान समय में लगभग 70,000 विद्यार्थी नामांकित हैं। इसके तीन कैम्पस चर्चगेट, . शांताकुज, जुहू एवं पुणे में स्थित हैं। इस विश्वविद्यालय के पास 39 विश्वविद्यालयी विभाग हैं, 174 अण्डर ग्रेजुएट कॉलेज हैं। पीएच-डी. डिग्री के लिए 8 संस्थान हैं। यह विश्वविद्यालय शिक्षण, अनुसंधान एवं प्रसार के लिए क्रियात्मक रूप से संलग्न है। इसे 2015 में ‘A’ Grade की मान्यता दी गयी।

एस० एन० डी० टी० में सहभागी संस्थाएँ (Participative Institution in S. N. D. T.)

एस. एन. डी. टी. विश्वविद्यालय को राज्य एवं केन्द्र सरकार उद्योग, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा विकास हेतु एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों के उन्नयन हेतु सहयोग प्राप्त है। इसमें महाराष्ट्र सरकार, भारत सरकार का मंत्रालय, यू. जी. सी., यूनीसेफ, ब्रिटिश काउंसिल, कामनवेल्थ, विश्वविद्यालय समिति एवं स्वीडिस इण्टरनेशनल डेवलेपमेण्ट एजेंसी आदि सहभागी के रूप में कार्य कर रहे हैं।

भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित डॉ डी० के० कर्वे ने महिलाओं की शिक्षा हेतु विश्वस्तरीय एस० एन० डी० टी० महिला विश्वविद्यालय की स्थापना कर ज्ञान की उपयोगिता एवं विकास द्वारा सामाजिक परिवर्तन की वास्तविकताओं से परिचित कराया।

इस प्रकार की संलग्नता का उद्देश्य ऐसे समावेशी समाज का निर्माण करना है जो कि महिलाओं के सशक्तीकरण के उनके अस्तित्व, समानता, सामाजिक न्याय एवं सभी के लिए मानव अधिकारों को प्रोन्नत कर सके एवं उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सके।

एस० एन० डी० टी० के उद्देश्य (Objectives of S. N. D. T. University )

एस. एन. डी. टी. यूनिवर्सिटी का मिशन है महिला सशक्तीकरण के कारणों को उजागर कर शिक्षा, विशेष रूप से उच्च शिक्षा के माध्यम एवं उपयुक्त पाठ्यक्रमों के द्वारा औपचारिक एवं अनौपचारिक माध्यमों से उनको सशक्त करना है। विश्वविद्यालय द्वारा संकल्पित कि महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यावसायिक एवं प्राविधिक पाठ्यक्रमों द्वारा मानव मूल्यों एवं सामाजिक उत्तरदायित्व को उद्देश्य पूर्ण बनाना है एवं प्रत्येक क्रियाकलापों में गुणों का विकास (Quality in Every activity) के लक्ष्य को उत्कृष्टता के साथ प्राप्त करना है।

एस० एन० डी० टी० विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य

एस. एन. डी. टी. विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य ‘संस्कृता स्त्री पराशक्ति’ ( Sanskrita Stree Parashakti) है। स्त्रियों को पराशक्ति की प्रशंसा से विभूषित करके उन्हें अनन्त शक्ति का स्रोत मानने की संकल्पना कर्वे ने दी है। उन्होंने कहा कि “एक प्रबुद्ध महिला उन्नत शक्ति का स्रोत होती है।” (An enlightened women is a source of Infinite Strength)

एस० एन० डी० टी० विश्वविद्यालय के लक्ष्य (Goal of the S. N. D. T. University)

एस. एन. डी. टी. विश्वविद्यालय के प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं-

(1) स्त्रियों के लिए औपचारिक एवं अनौपचारिक साधनों से सतत् शिक्षा एवं प्रौढ़ शिक्षा द्वारा उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना ।

(2) सामाजिक-आर्थिक आवश्यकता या माँग के अनुसार स्त्रियों को व्यावसायिक एवं प्रविधिक कोर्सो/पाठ्यक्रमों को उपलब्ध कराना।

(3) स्त्रियों के परिप्रेक्ष्य में उनके अध्ययन के उदीयमान क्षेत्रों में छात्रवृत्ति एवं अनुसंधान का विकास करना ।

(4) स्त्रियों की धनात्मक आत्म-अवबोध महिला जागरुकता से सम्बन्धित उनके अधिकारों एवं मुद्दों को समाज के परिप्रेक्ष्य में प्रोन्नत करना ।

(5) मानवीय मूल्यों के विकास एवं सामाजिक उत्तरदायित्व की पूर्ति हेतु विभिन्न कार्यक्रमों को शक्तिशाली बनाने हेतु शैक्षिक परिवेश प्रदान करना ।

(6) शैक्षिक अनुशासन, अनुसंधान एवं प्रसार की क्रियाकलापों में उत्कृष्टता प्राप्त करना एवं प्रत्येक क्रियाकलापों में योग्यता गुणों का विकास करना।

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shubham yadav

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