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संविधान और संविधानवाद में अंतर
सामान्यतः संविधान और संविधानवाद को पर्यायवाची माना जाता है तथापि दोनों में काफी अन्तर है, जो इस प्रकार है-
(1) संविधान संगठन का प्रतीक है जबकि संविधानवाद विचारधारा का संविधान में सरकार, व्यक्ति और सामाजिक संगठनों के संबंधों का वर्णन होता है। दूसरी ओर संविधानवाद में देश के मूल्य, विश्वास और राजनीतिक आदर्श होते हैं जिनसे मिलकर विचारधारा बनती है और इसी विचारधारा का प्रतीक संविधानवाद कहलाता है।
(2) संविधान प्रायः निर्मित होते हैं। दूसरी ओर संविधानवाद हमेशा विकास का परिणाम रहा है। मूल्यों और आस्थाओं का यह विकास परम्पराओं, संस्थाओं और शासन संबंधी तत्त्वों में विश्वास के कारण होता रहता है।
(3) प्रायः हर समाज का एक लक्ष्य होता है और इस लक्ष्य की प्राप्ति की व्यवस्था ही संविधानवाद है संविधान साधनयुक्त धारणा है जबकि संविधानवाद साध्ययुक्त।
(4) संविधानवाद अनेक देशों में एक जैसा हो सकता है। संस्कृति, मूल्य, विश्वास और राजनीतिक आदर्श भी कई देशों के एक जैसे हो सकते हैं। संविधानवाद की समानता के बावजूद हर देश का संविधान अलग-अलग होता है।
(5) संविधान का औचित्य विधि के आधार पर सिद्ध किया जा सकता है जबकि संविधानवाद में आदर्शों के औचित्य का प्रतिपादन मुख्यतः विचारधारा के आधार पर होता है।
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