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सम्प्रेषण या संचार – Communication in Hindi
सम्प्रेषण या संचार – अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘Communication’ शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द (communis) से मानी जाती है जिसका अर्थ है- कॉमन या सामान्य। इस प्रकार सम्प्रेषण से तात्पर्य होता है कि अगर कुछ सम्प्रेषित हो रहा है तो वह प्रेषित करने वाले और प्राप्त कर्त्ता के बीच सामान्य हो। ‘सम्प्रेषण’ शब्द में प्रेषण और प्रेषित करना जैसी क्रियाओं का समावेश है, जिसका अर्थ है- किसी विचार या वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक भेजना।
सम्प्रेषण की परिभाषायें (Definition of Communication) –
सम्प्रेषण की मुख्य परिभाषाएँ निम्नवत् हैं।
“सम्प्रेषण विचार विनिमय के मूड में विचारों तथा भावनाओं को परस्पर जानने तथा समझने की प्रक्रिया है। “- एडगर डेल (Edger Dale)
“सम्प्रेषण एक गत्यात्मक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति चेतनतया अथवा अचेतनतया, दूसरों के संज्ञानात्मक ढाँचे को सांकेतिक रूप में उपकरणों या साधनों द्वारा प्रभावित करता है।”-एण्डरसन
“Communication means sharing of ideas and feelings in a mood of mutuality.”
संप्रेषण के प्रकार (types of communication)
संप्रेषण मौखिक, लिखित या गैर शाब्दिक हो सकता है।सम्प्रेषण की विशेषतायें (Characteristics of Communication) –
सम्प्रेषण की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं.
(i) सम्प्रेषण की प्रक्रिया जीवन के सभी क्षेत्रों में होती है।
(ii) सम्प्रेषण लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।
(iii) सम्प्रेषण वास्तविकता का सृजन करता है।
(iv) इसमें परस्पर विचारों एवं भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।
(v) सम्प्रेषण में अन्तः प्रक्रिया निहित होती है।
(vi) सम्प्रेषण में अनुभवों की साझेदारी होती है।
(vii) यह द्विवाही प्रक्रिया है, जिसमें सन्देश देने वाला (स्रोतत्मक) और उसे ग्रहण करने वाला (प्राप्तकर्ता) होता है
(viii) सम्प्रेषण उद्देश्यपूर्ण होता है।
(ix) सम्प्रेषण में मनोवैज्ञानिक सामाजिक पक्ष समावेशित होते हैं।
(x) सम्प्रेषण में पृष्ठपोषण आवश्यक माना जाता है।
(xi) सम्प्रेषण में ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्द्रियों को क्रियाशील रखने का प्रयास किया जाता है।
(xiii) शिक्षण प्रक्रिया में सम्प्रेषण का महत्वपूर्ण स्थान है।
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