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स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत| Operant conditioning theory of skinner in hindi
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत|
स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत :-
निवासी:- | U.S.A. |
प्रतिपादक:- | B.F. स्किनर |
सन:- | 1938 |
प्रयोग:- | चुहे (1938) व कबूतर (1943) पर |
नोट :- यह सिद्धांत थार्नडाइक के प्रभाव के नियम पर आधारित हैं।
स्किनर ने अपने आधार पर बताया कि प्राणी सीखते समय दो प्रकार के व्यवहार करता हैं।
(A) एक प्रकार के व्यवहार में उद्दीपक की जानकारी होती है इसे अनुक्रियात्म व्यवहार और ज्ञात उद्दीपक के प्रति होने वाली अनुक्रिया प्रकाशित अनुक्रिया कहलाती हैं।
(B) दूसरे प्रकार के व्यवहार में उद्दीपक की जानकारी नही होती है इसे क्रियाप्रसूत व्यवहार और अज्ञात उद्दीपक के प्रति होने वाली अनुक्रिया निर्गमित या उत्सर्जित क्रिया कहते हैं।
» स्किनर का मत हैं यदि इस प्रकार अनुक्रियाओं को पुर्नबलित (बल प्रदान करना) कर दिया जाए तो वे बलवति हो जाती है। और व्यवहार में स्थाई परिवर्तन लाती है।
» नोट :- स्किनर का मत है कि अनुक्रिया के लिए सदैव उद्दीपक होना आवश्यक नही हैं। कभी-कभी उद्दीपक की अनुपस्थिति में अनुक्रिया होती हैं।
» इसलिए स्किनर के बारे में कहा गया हैं कि इन्होंने परम्परागत थ्योरी (S-R) को R-S में परिवर्तन कर दिया।
स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का शैक्षिक महत्व
1. अवांछित व्यवहारों को नकारात्मक पुनबर्लन प्रदान करके रोका जा सकता हैं।
2. अध्यापक छात्रों के वांछित व्यवहार को प्रशंसा पुकस्कार प्रोत्साहन और अपनी सहमती से पुर्नवलित कर दे तो विद्यार्थी ऐसे व्यवहार को बार-बार करना चाहेगा।
3. विद्यार्थी को तत्काल पुनबर्लन देना चाहिए।
4. शिक्षार्थी का परिणाम शीघ्रातिशीघ्र घोषित करना चाहिए।
5. अभिक्रमित अनुदेशन, कम्प्युटर सहायक, शिक्षण मशीन आदि में पुनबर्लन देने के लिए इसी सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता हैं।
उपनाम :-
1. R.S. का सिद्धांत
2. सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
3. व्यवहारिक सिद्धांत
4. नेमेन्तिकवाद का सिद्धांत
5. कार्यात्मक प्रतिबधता का सिद्धांत
एक रेखिय अभिक्रमित अनुदेशन
प्रतिपादक | BF स्किनर |
सन | 1952 |
शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन
प्रतिपादक | नार्मन ए क्राउड |
सन | 1960 |
मैथेमेटिक्स या अवरोधी अभिक्रमित अनुदेशन
प्रतिपादक | थॉमस एफ गिलबर्ट |
सन | 1962 |
नोट :- भारत में पहली बार प्रयोग इलाहाबाद में 1969 में किया गया।
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1. R.S. का सिद्धांत
2. सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
3. व्यवहारिक सिद्धांत
4. नेमेन्तिकवाद का सिद्धांत
5. कार्यात्मक प्रतिबधता का सिद्धांत
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