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होशिंगाबाद विज्ञान शिक्षण प्रोजेक्ट (एच0एस0टी0पी0) उद्देश्य

होशिंगाबाद विज्ञान शिक्षण प्रोजेक्ट (एच0एस0टी0पी0) उद्देश्य
होशिंगाबाद विज्ञान शिक्षण प्रोजेक्ट (एच0एस0टी0पी0) उद्देश्य

होशिंगाबाद विज्ञान शिक्षण प्रोजेक्ट (एच0एस0टी0पी0) (Hoshingabad Science Teaching Project)

होशिंगाबाद विज्ञान शिक्षण प्रोजेक्ट अथवा कार्यक्रम का विचार 1972 के प्रारम्भिक समय से शुरू हुआ। वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शिक्षाविदों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विज्ञान शिक्षण के एक प्रतिमान को विकसित करने के लिए प्रमुख निर्देशक नीतियों के अन्तर्गत प्रतिरूप तैयार किया। मध्य प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत दो गैर सवरकारी संगठन बनाये गये ये निम्न हैं-

(1) मित्र ग्रामीण केन्द्र (Friends Rural Centre (FRC) एवं (2) रसूलिया एवं किशोर भारतीय (KB)। इनका कार्य होशिंगाबाद जनपद के दो ब्लॉकों में 1972 में पाइलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) को 16 मिडिल स्कूलों में प्रसारित करना था।

होशिंगाबाद विज्ञान शिक्षण प्रोजेक्ट के उद्देश्य (Objectives of Hoshingabad Science Teaching Project)

इस प्रोजेक्ट का प्राथमिक उद्देश्य सरकार के विद्यालयी पद्धति की रूपरेखा को इस तरह से प्रसारित करना है जिससे नवाचारी परिवर्तन से परिचित कराया जा सके। पाठ्य केन्द्रीय शिक्षा के परम्परागत विधियों के अतिरिक्त विज्ञान के ज्ञान एवं उसे सीखने के लिए गाँवों के स्कूलों में ‘खोज उपागम’ (Discovery Approach) की शुरुआत HSTP के माध्यम से की गयी जिसको मूल स्मृति के पद्धतिशास्त्र को कक्षा शिक्षण हेतु प्रयोग करना था। इस उपागम का परिणाम यह हुआ कि पर्यावरण आधारित शिक्षा विज्ञान शिक्षण का एकीकृत भाग बन गया।

पद्धतिशास्त्र (Methodology)

इसके अन्तर्गत प्रमुख विचार यह है कि प्रयोगों एवं क्षेत्र अध्ययन के माध्यम से विज्ञान के सीखने के लिए प्रयास किये जायें। यह पद्धतिशास्त्र विद्यार्थियों में प्रश्न करने एवं विश्लेषणात्मक अभिवृत्तियों को विकसित करने में अपना योग दे रही है। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को उनके वर्तमान पर्यावरण से सीधे सीखने के लिए विशेष प्रयास का अवसर प्रदान करती है।

यह आशा की जाती है कि यह उपागम बालकों को उनके ग्रामीण समाज के परम्परागत सामाजिक संरचना के प्रश्नों के लिए उन्हें उकसाएगी या प्रोत्साहित करेगी। मध्य प्रदेश सरकार का शिक्षा विभाग इसे प्रशासनिक संरक्षण और पुस्तकों, किट्स, पाठ्यक्रमों, अध्यापक प्रशिक्षण एवं परीक्षाओं के लिए प्रशासनिक संरक्षण एवं एकेडामिक स्वतंत्रता प्रदान की है। HSTP की यह स्वतंत्रता विज्ञान शिक्षा में नवाचार का परिचय कराने एवं गुणवत्ता के सुधार के लिए अपना योग देती है। सम्पूर्ण एकीकरण की दृष्टि से विद्यालयों की नवाचारी शिक्षण व्यवस्था को प्रकार्यात्मक रूप प्रदान करती है।

मध्य प्रदेश सरकार का यह एक अनोखा कदम है। विद्यालय की शिक्षा को परिवर्तित करने के लिए एवं उसके परिमार्जन हेतु यह एक स्वैच्छिक अभिकरण है जिसकी अपनी रूपरेखा से हमारे देश में प्रगति चिन्ह सम्भावित है। HSTP शिक्षा पद्धति की मुख्यधाराओं में नवाचारी गुणो के सुधार के लिए व्यापक स्तर पर एक प्रतिमान के रूप में विकास का कार्य कर रही है।

अन्य संस्थाओं की भूमिका (Role of Other Institution)

देश के कुछ शैक्षिक एवं अनुसंधान संस्थानों से यह कार्यक्रम वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों एवं अनुसंधान के विद्यार्थियों द्वारा शैक्षिक रूप से निर्देशित किया जा रहा है। 1973 में दिल्ली विश्वविद्यालय के एक समूह ने इस कार्यक्रम की शैक्षिक उत्तरदायित्व को अपने अधीन ले लिया।

अन्य प्रमुख संस्थानों यथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (III’s), कुछ विश्वविद्यालय एवं पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेजों में इस प्रयास में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। क्षेत्रीय स्तर पर इस कार्यक्रम में सहभागिता के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने संकाय के सदस्यों दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों के संकाय के सदस्यों को फेलोशिप की स्वीकृति प्रदान की है।

मध्य प्रदेश सरकार ने 1975 से अपने कॉलेजों के विज्ञान अध्यापकों को नियमित रूप से इसमें अन्तक्रिया हेतु अनुमति स्वीकृत की है।

इस कार्यक्रम की एक अन्य अद्वितीय विशेषता यह है कि यह गाँवों के स्कूलों के शैक्षणिक  ध्वन्यात्मक पाठ्यक्रम साधनों के विकास हेतु स्कूलों के विज्ञान अध्यापक एवं विश्वविद्यालय के बीच में सहयोग करती है।

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि होशिंगाबाद विज्ञान शिक्षण प्रोजेक्ट विज्ञान शिक्षण एवं प्रशिक्षण हेतु शिक्षाविदों, इंजीनियर्स एवं वैज्ञानिकों के माध्यम से शैक्षणिक विकास एवं उसके प्रोत्साहन हेतु अग्रणी है। यह संस्था विज्ञान के क्षेत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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shubham yadav

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