अनुक्रम (Contents)
उद्देश्य के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview on the Basis of Purpose)
उद्देश्य के आधार पर साक्षात्कार निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं –
1. निदानात्मक साक्षात्कार (Diagnostic Interview) – इसका उद्देश्य किसी सामाजिक समस्या के कारणों को ज्ञात करना होता है। इसके अन्तर्गत अनुसन्धानकर्ता सूचनादाता से ठीक उसी प्रकार पूछताछ करता है जिस प्रकार एक डॉक्टर रोग के कारणों को जानने के लिए रोगी से पूछताछ करता है, जैसे- बेरोजगारी, अपराध एवं बाल-अपराध के कारणों को जानने के लिए किया गया कार्य साक्षात्कार है।
2. उपचारात्मक साक्षात्कार (Treatment Interview) – इसके अन्तर्गत सामाजिक समस्या के कारणों को जान लेने के पश्चात् समस्या को दूर करने के लिए लोगों से सुझाव व उपाय भी पूछे जाते हैं।
3. अनुसन्धानात्मक साक्षात्कार (Research Interview )- इसका प्रमुख उद्देश्य सामाजिक जीवन एवं घटनाओं के बारे में नवीन ज्ञान एवं तथ्यों की खोज करना होता है।
सूचनादाताओं की संख्या के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview of on the Basis of Number of Informants)
सूचनादाताओं की संख्या के आधार पर साक्षात्कार निम्नलिखित दो प्रकार का होता है –
1. व्यक्तिगत साक्षात्कार (Personal Interview)- इस साक्षात्कार में एक ही व्यक्ति से साक्षात्कार किया जाता है, अर्थात् एक समय में एक साक्षात्कार लेने वाला एवं एक सूचनादाता परस्पर विषय से सम्बन्धित वार्तालाप करते हैं। इसमें साक्षात्कारकर्ता व सूचनादाता दोनों ही प्रश्न और उत्तर देने में लगे रहते हैं। इसमें सूचनादाता को साक्षात्कारकर्ता से व्यक्तिगत प्रेरणा मिलती रहती है, जिसमें वह व्यक्तिगत तथ्यों को स्वतन्त्रतापूर्वक व्यक्त करता है।
2. सामूहिक साक्षात्कार (Group Interview)- इसके अन्तर्गत एक साक्षात्कारकर्ता एक समय में एक ही स्थान पर एक से अधिक व्यक्तियों से साक्षात्कार करता है। वह समूह में लोगों से बारी-बारी से प्रश्न करता है और उसके किसी प्रश्न का उत्तर समूह का कोई नेता, या व्यक्ति सामूहिक रूप में दे सकते हैं। इसमें व्यक्तिगत साक्षात्कार की अपेक्षा वैषयिकता अधिक होती है। समूह के लोग सूचनादात के प्रति मौन रहकर सहमति व्यक्त कर सकते हैं अथवा उसका विरोध भी कर सकते हैं।
संरचना के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview on the Basis of Structure)
संरचना के आधार पर साक्षात्कार निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-
1. संरचित साक्षात्कार (Structured Interview)- इसके अन्तर्गत अध्ययन विषय से सम्बन्धित कुछ प्रश्नों का पूर्व में ही निर्माण करके एक व्यवस्थित क्रम में रख लिया जाता है। साक्षात्कारकर्ता जानकारी प्राप्त करने के लिए इन्हीं प्रश्नों को सूचनादाता से पूछता है। प्रश्नों के इस व्यवस्थित क्रम को साक्षात्कार अनुसूची के नाम से जाना जाता है।
2. असंरचित साक्षात्कार (Unstructured Interview)- इस साक्षात्कार को अनियन्त्रित, अनिर्देशित, अनौपचारिक, स्वतन्त्र, मुक्त एवं कहानी-टाइप साक्षात्कार के नाम से भी जाना जाता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता केवल विषय की ओर संकेत करता है और सूचनादाता अपनी इच्छानुसार उस सम्बन्ध में अपने वचारों, भावनाओं एवं प्रतिक्रियाओं को व्यक्त करता है। इसमें साक्षात्कार का मार्गदर्शन करने के लिए साक्षात्कार पथ-प्रदर्शिका का प्रयोग अवश्य किया जाता है। इसमें विषय से सम्बन्धित जानकारियाँ उपलब्ध होती हैं।
3. अर्द्ध-संरचित साक्षात्कार (Semi-structured Interview)- इस प्रकार के साक्षात्कार में संरचित व असंरचित का मिश्रित रूप देखने को मिलता है, अर्थात् न तो यह पूर्ण रूप से संरचित होता है और न ही पूर्ण रूप असंरचित होता है। इसमें विषय से सम्बन्धित कुछ प्रश्न पहले निर्मित कर लिए जाते हैं और कुछ प्रश्न साक्षात्कारकर्ता अपनी इच्छा से पूछता है।
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अवधि के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview on the Basis of Duration)
अवधि के आधार पर साक्षात्कार निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-
1. अल्पकालिक साक्षात्कार (Short Term Interview) – जब विषय से सम्बन्धित कुछ ही बातों को जानने के लिए जो साक्षात्कार किया जाता है, वह अल्पकालिक साक्षात्कार कहलाता है।
2. दीर्घकालिक साक्षात्कार (Long Term Interview)- कुछ समस्यायें इस प्रकार होती हैं कि उनमें गहन जानकारी की आवश्यकता होती है, इनके लिए लम्बी अवधि के साक्षात्कारों का की आयोजन किया जाता है जो कि दीर्घकालिक साक्षात्कार कहलाते हैं।
आवृत्ति के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview on the Basis of Frequency)
अवधि के आधार पर साक्षात्कार निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –
1. प्रथम या अन्तिम साक्षात्कार (First or Final Interview)- इसके अन्तर्गत सम्पूर्ण सूचनाओं का संकलन प्रथम बार में ही कर लिया जाता है तथा इस सम्बन्ध में सूचनादाता से बार-बार सम्पर्क करने की आवश्यकता नहीं होती है, अतः इसे प्रथम या अन्तिम साक्षात्कार कहा जाता है।
2. पुनरावृत्ति साक्षात्कार (Repetitive Interview)- इसका प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी निरन्तर परिवर्तित होने वाली प्रवृत्ति को ज्ञात करना हो अथवा विकास के प्रतिमान का पता लगाना हो। इसमें सूचनाओं का संकलन करने के लिए सूचनादाता से कुछ समय के पश्चात् बार-बार से सम्पर्क किया जाता है। इसका प्रयोग लेजार्सफील्ड द्वारा किया गया था।
औपचारिकता के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview on the Basis of Formality)
औपचारिकता के आधार पर साक्षात्कार निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-
1. औपचारिक साक्षात्कार (Formal Interview)- इसे नियमित संचालित एवं निर्देशित साक्षात्कार के नाम से भी जाना जाता है। इसमें अनुसूची के द्वारा पूर्व निर्मित प्रश्नों के उत्तर औपचारिक सम्पर्क द्वारा लिख लिए जाते हैं। इसमें साक्षात्कारकर्ता के अतिरिक्त नए प्रश्न बनाने व शब्दों में परिवर्तन करने की छूट नहीं होती है।
2. अनौपचारिक साक्षात्कार (Informal Interview)- इसे अनियन्त्रित एवं अनिर्देशित साक्षात्कार के नाम से भी जाना जाता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता को अतिरिक्त नए प्रश्न बनाने व शब्दों में परिवर्तन करने की छूट होती है अर्थात् औपचारिक साक्षात्कार के ठीक विपरीत होता है। इसमें किसी भी अनुसूची की सहायता नहीं ली जाती है।
सम्पर्क के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview on the Basis of Contact)
सम्पर्क के आधार पर साक्षात्कारकर्ता को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा गया है-
1. प्रत्यक्ष साक्षात्कार (Direct Interview)- इसमें साक्षात्कार एवं सूचनादाता परस्पर आमने-सामने होकर वार्तालाप करते हैं। इसमें साक्षात्कारकर्ता सूचनादाता के मनोभावों का अध्ययन उसके चेहरे की अभिव्यक्ति एवं हाव-भाव को देखकर करता है।
2. अप्रत्यक्ष साक्षात्कार (Indirect Interview)- इसमें साक्षात्कारकर्ता और उत्तरदाता आमने-सामने नहीं होते हैं। इसमें फोन द्वारा मध्यस्थ द्वारा एवं पर्दे में रहने वाली स्त्रियों को पर्दे के पीछे रखकर साक्षात्कार किया जाता है।
अध्ययन पद्धति के आधार पर साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview on the Basis of Methodology)
अध्ययन पद्धति के आधार पर साक्षात्कार निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –
1. केन्द्रित साक्षात्कार (Focussed Interview)- इस साक्षात्कार का सर्वप्रथम प्रयोग 1946 में अमेरिकन समाजशास्त्री मर्टन द्वारा साधनों के सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रभावों को जानने के लिए किया गया। इसमें यह आवश्यक होता है कि सूचनादाता उस परिस्थिति में रह चुका हो, जिसका अध्ययन किया जा रहा हो अर्थात् यह साक्षात्कार उन्हीं सूचनादाताओं का लिया जाता है जो अध्ययन विषय से सम्बन्धित रहे हो।
2. अनिर्देशित साक्षात्कार (Non-directive Interview)- इसे अनियन्त्रित एवं असंचालित साक्षात्कार के नाम से भी जाना जाता है। इसके अन्तर्गत प्रश्नों की कोई पूर्व निर्धारित सूची नहीं होती है। इसमें साक्षात्कारकर्त्ता स्वतन्त्रतापूर्वक प्रश्न पूछ सकता है और सूचनादाता उनका उत्तर स्वतन्त्रतापूर्वक दे सकता है। यह साक्षात्कार अनौपचारिक साक्षात्कार के समान है।
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