अनुसूची के निर्माण में ध्यान रखने योग्य बातें
अनुसूची के निर्माण में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
1. अनुसूची का भौतिक पक्ष- अनुसूची निर्माण के भौतिक पक्षों या बाह्य पक्षों में उन्हीं बातों ध्यान रखना चाहिए, जिनका उल्लेख प्रश्नावली के निर्माण के दौरान किया गया हो। संक्षेप में इस सन्दर्भ का में प्रमुख बातें निम्न प्रकार हैं-
(i) अनुसूची का आकार 8″ x 11′ से बड़ा नहीं होना चाहिए।
(ii) अनुसूची हेतु प्रयुक्त कागज चिकना व साफ होना चाहिए।
(iii) सूचनाएं लिखने के लिए पर्याप्त खाली स्थान छोड़ा जाना चाहिए।
(iv) हाशिया छोड़ा जाना चाहिए।
(v) अनुसूची में कागज के एक तरफ ही लिखना अच्छा होता है।
(vi) अनुसूची में पदों की संख्या अधिक नहीं होनी चाहिए।
2. अनुसूची की अन्तर वस्तु- इसके अन्तर्गत दो प्रकार की बातें होती हैं-
(i) उत्तरदाता के बारे में प्रारम्भिक जानकारी
(ii) समस्या से सम्बन्धित प्रश्न एवं सारणियाँ
3. शब्दावली एवं प्रश्न- अनुसूची के निर्माण में उचित शब्दों एवं प्रश्नों का चयन आवश्यक है। क्योंकि इसमें प्रश्नों के द्वारा ही सूचनाओं का संकलन किया जाता है। किसी भी प्रश्नावली या अनुसूची में जो प्रश्न पूछे जाते हैं, उन्हें निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(i) अनिर्दिष्ट प्रश्न- इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर देने में सूचनादाता को स्वतन्त्रता होती है।
(ii) निर्दिष्ट प्रश्न- इनमें प्रश्नों के सम्भावित उत्तर पहले से ही लिखे होते हैं और सूचनादाता को इन्हीं में से कोई उत्तर चुनना होता है।
(iii) दोहरे प्रश्न- जब किसी प्रश्न के दो ही सम्भावित उत्तर हो सकते हैं तो ऐसे प्रश्न दोहरे प्रश्न कहलाते हैं। इन प्रश्नों का एक उत्तर सकारात्मक तथा दूसरा नकारात्मक होता है।
(iv) निर्देशक प्रश्न- जब किसी प्रश्न के द्वारा उसके उत्तर की ओर संकेत किया जाता है तो उसे निर्देशक प्रश्न कहते हैं।
(v) श्रेणीबद्ध प्रश्न- इस प्रकार के प्रश्नों में उत्तरदाता को कई उत्तरों में से एक नहीं वरन सभी को चुनना तथा अपनी पसन्द के अनुसार एक क्रम में लिखना होता है।
(vi) अस्पष्ट प्रश्न- ऐसे प्रश्नों से उत्तरदाता को यह पता नहीं हो पाता है कि प्रश्न क्या पूछा गया है और इसका उत्तर क्या होगा ?
इसी भी पढ़ें…
इसी भी पढ़ें…
- साक्षात्कार के प्रकार- उद्देश्य,सूचनादाताओं की संख्या,संरचना,अवधि तथा आवृत्ति के आधार पर
- साक्षात्कार के गुण एवं दोष | Merits and limitations of Interview in Hindi
- सहभागी अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ, गुण या लाभ, दोष अथवा सीमाएँ
- असहभागी अवलोकन का अर्थ, गुण (लाभ), दोष या सीमाएँ
- आनुभविक अनुसन्धान का अर्थ, प्रकार, उपयोगिता या महत्व तथा दोष | Empirical Research in Hindi
- व्यावहारिक अनुसन्धान की परिभाषा | व्यावहारिक अनुसन्धान प्रकार | Applied Research in Hindi
- मौलिक अनुसन्धान का अर्थ, परिभाषा, विशेषतायें एवं उपयोगिता
- उपकल्पना या परिकल्पना का अर्थ, परिभाषाएँ, प्रकार तथा प्रमुख स्रोत
- सामाजिक सर्वेक्षण का क्षेत्र एवं विषय-वस्तु
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अनुप्रयोग
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र
- विद्यालयों में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के उपयोग
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अर्थ
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का प्रारम्भ
इसी भी पढ़ें…
- अभिप्रेरणा क्या है ? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित है?
- अभिप्रेरणा की विधियाँ | Methods of Motivating in Hindi
- अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार
- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ, परिभाषाएं, प्रकार, महत्त्व, उपयोग/लाभ, सीमाएँ
- शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन (Branching Programmed Instruction)
- स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत
- पुनर्बलन का अर्थ | पुनर्बलन के प्रकार | पुनर्बलन की सारणियाँ
- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियन्त्रित करने वाले प्रमुख कारक
- पावलॉव का अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त | पावलॉव का सिद्धान्त
- सीखने की विभिन्न विधियाँ | सीखने के क्षेत्र या अधिगम के क्षेत्र | अधिगम के व्यावहारिक परिणाम
- अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा | Meaning and Definitions of Learning in Hindi
- अधिगम की प्रकृति क्या है? | What is the nature of learning in Hindi
- अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व
- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा ,क्षेत्र ,प्रकृति तथा उपयोगिता
- वैश्वीकरण क्या हैं? | वैश्वीकरण की परिभाषाएँ
- संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए मूल्य और संस्कृति में सम्बन्ध प्रदर्शित कीजिए।
- व्यक्तित्व का अर्थ और व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक