समाजशास्‍त्र / Sociology

बाल अपराध और बाल अपराधी में अन्तर | bal apradh aur bal apradhi mein antar

बाल अपराध और बाल अपराधी में अन्तर
बाल अपराध और बाल अपराधी में अन्तर

बाल अपराध और बाल अपराधी में अन्तर

अपराध और बाल अपराध दोनों में कानून का उल्लंघन होता हैं। दोनों के द्वारा किए जाने वाले कार्य होते हैं तथा दोनों से सामाजिक और व्यक्तिगत हानि होती है। इतना होते हुये भी अपराध और बाल में मौलिक अन्तर है। ये अन्तर निम्नलिखित हैं

1. अपराध और बाल अपराध में मौलिक अन्तर अवस्था या आयु (Age) का है। अपराध वह समाज विरोधी क्रिया है, जो कि वयस्कों के द्वारा की जाती है। बाल अपराध एक खास आयु के बच्चों द्वारा ही किया जाता है। यह आयु भिन्न-भिन्न देशों में अलग अलग निर्धारित है।

2. बाल अपराध अपराध की पहली सीढ़ी है जबकि अपराध बाल अपराध की अन्तिम सीढ़ी है। अधिकांशतः ऐसा देखा जाता है कि वयस्क अपराधी बचपन में किसी न किसी प्रकार से समाज विरोधी कार्य कर चुके होते हैं।

3. दोनों में कानून का उल्लंघन होता है, अपराध में वयस्कों द्वारा और बाल अपराध में अवयस्कों द्वारा।

4. बाल अपराध में छानबीन करने में सरलता रहती है, क्योंकि बाल सुलभ स्वभाव निश्छल होता है और बालक सभी कुछ बिना भेद-भाव से बतला देता है। अपराधों की खोजबीन में अत्यन्त ही जटिलता रहती है, इस कारण तथ्य सामने नहीं आ पाते हैं।

5. बाल अपराध की घटनाएँ ताजी होती हैं, अतः घटनाओं की शीघ्र ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। परिवार, पडोस, मित्र-मण्डली, खेल के मैदान, सहपाठी तथा अध्यापकों के द्वारा बालक के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। वयस्क-अपराध की घटनाएँ प्राचीन होती हैं, इसलिए जो जानकारी प्राप्त होती है। वह सही नहीं होती है।

6. बाल-अपराधी का व्यक्तित्व कम जटिल होता है। वह अनुभवों से दूर रहता है और सत्य के अधिक निकट रहता है। वयस्क अपराधियों का व्यक्तित्व जटिल होता हैं और उसमें अनुभवों का सम्मिश्रण हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि वह सत्य से दूर चला जाता है।

7. आधुनिक युग में बाल मनोविज्ञान का विकास हो जाने से व्यवहार, बुद्धि और भावनाओं को परीक्षण किया जा सकता है। इन परीक्षणों के कारण बालक के व्यक्तित्व को आसानी से समझा जा सकत है। वयस्क-अपराध को इस प्रकार नहीं समझा जा सकता है।

8. दोनों की दण्ड-विधियों में अन्तर रहता है। बाल अपराधियों को दण्ड की अपेक्षा सुधारा जात है, जबकि वयस्क अपराधियों को कठोर दण्ड दिया जाता है।

इसी भी पढ़ें…

इसी भी पढ़ें…

About the author

shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment