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संघर्ष का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Conflict)
संघर्ष वह प्रयत्न है जो किसी व्यक्ति या समूह द्वारा शक्ति, हिंसा या प्रतिकार अथवा विरोधपूर्ण किया जाता है। संघर्ष अन्य व्यक्तियों या समूहों के कार्यों में प्रतिरोध उत्पन्न करते हुए बाधक बनता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि ऐसा प्रयत्न जो स्वयं के स्वार्थ के लिए व्यक्तियों या समूहों कार्यों में बाधा डालने के लिए किया जाता है, वह संघर्ष कहलाता है। इसके अन्तर्गत क्रोध, घृणा, आक्रमण, हिंसा एवं क्रूरता आदि की भावनाओं का समावेश होता है। संघर्ष को विभिन्न विद्वानों ने परिभाषित करते हुए लिखा है कि –
“संघर्ष वह सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत शक्ति या समूह अपने उद्देश्यों की प्राप्ति विपक्षी हिंसा या हिंसा के भय द्वारा करते हैं।”- गिलिन एवं गिलिन
“संघर्ष पारस्परिक अन्तः क्रिया का वह रूप है जिसमें दो या अधिक व्यक्ति एक-दूसरे को दूर करने का प्रयत्न करते हैं।”- श्री जोसेफ फीचर
संघर्ष की विशेषताएँ या प्रकृति (Nature or Characteristics of Conflict)
संघर्ष – की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. संघर्ष दो व्यक्तियों या समूहों के बीच सम्पन्न होने वाली एक सामाजिक वैयक्तिक प्रक्रिया है।
2. संघर्ष समाज में अनिरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है।
3. संघर्ष सार्वभौमिक प्रक्रिया होती है अर्थात् यह किसी न किसी मात्रा में प्रत्येक समाज में पायी जाती है।
4. संघर्ष एक चेतन प्रक्रिया है जिसमें परस्पर विरोधी पक्षों के बारे में एक-दूसरे को पूर्ण ज्ञान रहता है।
5. संघर्ष की स्थिति तभी उत्पन्न होती है जब व्यक्तियों तथा समूहों में एक-दूसरे के विचार अथवा स्वार्थ एक-दूसरे से पूर्णतः प्रतिकूल होते हैं और उनमें सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता है।
6. संघर्ष की प्रक्रिया में तनाव और विरोधी भावना का पूर्ण प्रभाव रहता है यहाँ तक कि आक्रमण और हिंसा द्वारा विरोधी पक्ष एक-दूसरे को नष्ट करने का पूर्ण प्रयत्न करते हैं।
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