अनुक्रम (Contents)
जातिवाद को रोकने के उपाय या सुझाव
जातिवाद को रोकने के उपाय या सुझाव – बढ़ते हुए जातिवाद को कुछ प्रयत्नों द्वारा दूर भी किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं –
1. जाति विरोधी शिक्षा
प्रारम्भ में ही विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिये कि उनमें जातिवाद नाम की भावना उत्पन्न न हो सके और वे सम्पूर्ण समाज के व्यक्तियों को समान समझें। इस प्रकार की शिक्षा से व्यक्ति के मध्य भाई-चारे की भावना में वृद्धि होगी।
2. स्कूलों में निम्न जातियों को सुविधाएँ
स्कूलों और कालेजों में निम्न जातियों के विद्यार्थियों को विशेष सुविधाएँ दी जानी चाहिए, जिससे उनमें आत्मसम्मान व आत्मविश्वास बढ़ सके। इस प्रकार का भी प्रबन्ध करना चाहिए कि निम्न और उच्च जातियों के विद्यार्थियों द्वारा भोजन बनवाया जाए और साथ ही बैठकर खाया जाए। इस प्रकार से इनमें प्रेम और निजीपन की भावना उत्पन्न होगी।
3. ‘जाति’ शब्द के प्रयोग पर प्रतिबन्ध
नाम के आगे जाति सूचक नाम पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। इससे सभी व्यक्तियों में समान भावना उत्पन्न होगी। हम किस व्यक्ति को अधिक या कम सुविधा देंगे, जबकि हमें उनकी जाति ही नहीं मालूम होगी। इसलिए जाति सूचक शब्द पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।
4. जातीय संगठन पर प्रतिबन्ध
सरकार को चाहिए कि ऐसे समस्त संगठनों पर प्रतिबन्ध लगाये जो कि जाति के नाम पर चलाये जाते हैं या खोल जाते हैं। ये सजातीय भावना को बढ़ाते हैं। इस प्रकार के संगठनों पर प्रतिबन्ध लगाने से जातिगत सक्रिय संगठन समाप्त हो जायेंगे। ये संगठन जातिवाद का विष समाज में फैलाते ही नहीं है, वरन विभिन्न जातीय संगठनों में लड़ाई-झगडे कराने के कारण भी बनते हैं।
5. सरकारी कार्य
सरकार को चाहिये कि विभिन्न प्रकार के कानून बनाकर जातीय संस्थानों पर रोक लगायें। सरकारी फर्मों में जाति सूचक कॉलम समाप्त करे। जातीय संगठनों को किसी प्रकार की सुविधा न हो। सत्य यह है कि जब तक सरकार और जनता दोनों इस क्षेत्र में मिलकर कार्य नहीं करेंगे तब तक यह रोग समाप्त नहीं होगा। इसे समाप्त करने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर कार्य करना होगा। जनता को प्रगतिशील बनाना होगा। उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना होगा और रूढ़ियों और परम्पराओं के संकीर्ण जाल से व्यक्ति को निकालना होगा। सभी जाति के व्यक्तियों की प्रगति के लिए निःस्वार्थ कार्य करना पड़ेगा।
6. अन्तर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहन
जातिवाद को दूर करने के लिए सबसे उत्तम माध्यम अन्तर्जातीय विवाह है। विभिन्न जातियों के मध्य विवाह होने से उनमें व्याप्त कटुता स्वयं नष्ट हो जायेगी। इसके स्थान पर उनमें प्रेम और निकट सम्बन्ध की भावना भी उत्पन्न होगी।
यह अत्यन्त दुःख की बात है कि स्वतंत्रता के 71 वर्षों के पश्चात् भी हम देश से जातिवाद की भावना समाप्त नहीं कर सके। राजनैतिक दलों और इनकी स्वार्थी चालों ने जातिवाद को सत्ता तक पहुँचने का माध्यम बनाया है। विभिन्न जातियों का राजनैतिक स्वार्थो के लिए दोहन किया जा रहा है। वोट बैंक बनाने के लक्ष्य और राजनीति में जातिवाद का घिनौना रूप यह सब विभिन्न राजनैतिक दलों की देन है। आवश्यकता है राजनैतिक दलों और विभिन्न जातिगत सामाजिक संगठनों की, जो संकीर्ण जातिगत स्वार्थों में लिप्त हैं, वे अपने को राष्ट्र के विकास और प्रगति में सहायक बनायें। जातिगत राजनीति और नीतियों से न तो राष्ट्रीय चरित्र का विकास होता है और न समान रूप देश की प्रगति होती है।
इसी भी पढ़ें…
- जातिवाद का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Casteism)
- जातिवाद के विकास के कारण (jativad ke karan)
- जातिवाद के परिणाम | Jaatiwad Ke Parinam
- बेरोजगारी का अर्थ | बेरोजगारी की परिभाषा | बेरोजगारी के प्रकार
- भारत में बेरोजगारी के प्रमुख कारण तथा दूर करने के उपाय
इसी भी पढ़ें…
- निर्धनता का अर्थ, परिभाषा, कारण तथा निवारण हेतु सुझाव
- भारत में घरेलू हिंसा की स्थिति क्या है ?
- घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण | घरेलू हिंसा रोकने के सुझाव
- अन्तर पीढ़ी संघर्ष की अवधारणा
- संघर्ष का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ या प्रकृति
- जातीय संघर्ष- कारण, दुष्परिणाम तथा दूर करने का सुझाव
- तलाक या विवाह-विच्छेद पर निबन्ध | Essay on Divorce in Hindi
- दहेज प्रथा पर निबंध | Essay on Dowry System in Hindi
- अपराध की अवधारणा | अपराध की अवधारणा वैधानिक दृष्टि | अपराध की अवधारणा सामाजिक दृष्टि
- अपराध के प्रमुख सिद्धान्त | Apradh ke Siddhant
इसी भी पढ़ें…