अनुक्रम (Contents)
पाठ्यचर्या/शिक्षाक्रम एवं पाठ्यक्रम में अन्तर
शिक्षा के क्षेत्र में नवीन प्रवृत्तियों के प्रचलन के पहले पाठ्यचर्या में केवल संज्ञानात्मक विषयों को स्थान दिया जाता था। ये विषय भी छात्र की योग्यता एवं उसके समझ के अनुसार निश्चित नहीं किये जाते। इनका निर्धारण विशेषज्ञों द्वारा विषय के तार्किक क्रम में एवं संगठन के आधार पर किया जा रहा है। अभी तक हम सिलेबस और केरीकुलम को एक ही समझे हुये हैं। जो सिलेबस स्वीकृत हो जाता है उसे ही हम अपना लक्ष्य बना लेते हैं। सिलेबस का निर्धारण आवश्यक है। बिना उसके शिक्षा में निश्चितता नहीं आती लेकिन इसे ही केरीकुलम समझ लेना भ्रम है। सिलेबस का निर्धारण अध्यापक को दृष्टि में रखकर होता है। अध्यापक को किस स्तर पर किस विषय के अंतर्गत क्या पढ़ाना है, इसका ज्ञान सिलेबस से हो जाता है किन्तु सिलेबस से यह पता नहीं चलता है कि छात्र को क्या करना है।
छात्र, सिलेबस के अनुभव तक ही सीमित नहीं रहता। वह विद्यालय के अन्य अनेक अनुभव प्राप्त करता है। कक्षा में शिक्षण से उसे ज्ञान प्राप्त होता है। किन्तु उससे भी अधिक ज्ञान उसे खेल के मैदान में मिलता है। भाषाओं को सुनकर वाद-विवाद प्रतियोगिता एवं अन्य गतिविधियों में भाग लेकर वह नये अनुभव ग्रहण करता है। केरीकुलम में ये सभी अनुभव सम्मिलित होते है। केरीकुलम का निश्चय हम छात्र के दृष्टिकोण से करते है। सिलेबस अध्यापक को दृष्टि में रखकर बनता हैं, केरीकुलम की रचना छात्र को ध्यान में रखकर की जाती है।
पाठ्यचर्या/शिक्षाक्रम | पाठ्यक्रम |
1. पाठ्यचर्या/शिक्षाक्रम में विद्यालय तथा विद्यालय के बाहर होने वाली समस्त क्रियाओं को शामिल किया जाता हैं। | इसमें विशेष पाठ्यवस्तु को ही शामिल किया जाता है। |
2. पाठ्यचर्या को शामिल बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का चहुंर्मूखी विकास से सम्बन्धित | पाठ्यक्रम बालक के विषय से संबंधित विकास पर ही बल देना है। |
3. यह चारित्रिक गुणों के विकास में सहायक | यह चरित्र निर्माण में सहायक नहीं है । |
4. यह उद्देश्य आधारित होता है। | यह पाठ्यवस्तु आधारित होता है। |
5. यह राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करना है। | इसके द्वारा राष्ट्रीय मूल्यों का विकास नही होता है। |
6. पाठ्यचर्या सम्पूर्ण क्रियाकलाप है। | यह पाठ्क्रमश पाठ्यचर्चा का एक भाग है। |
7. इसमें बालक का समाजीकरण सम्भव होता है। | इसमें व्यवहारिकता का अभाव रहता है। |
8. पाठ्यचर्या मनौवेज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। | यह अमनोवैज्ञानिक है। |
9. यह बालक के दृष्टिकोण से निर्मित है। | यह शिक्षण के उपयोगार्थ बनाया जाता है। |
10. यह अधिगम अनुभव पर आधारित है। | यह पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित है। |
11. पाठ्यचर्चा का क्षेत्र व्यापक है। | पाठ्यक्रम का क्षेत्र एक विषय एक ही सीमित है। |
12. पाठ्यचर्चा को क्रिया एवं अनुभव के रूप में समझता है। | पाठ्यक्रम अर्जित ज्ञान एवं संग्रहित तथ्य पर आधारित है। |
13. पाठ्यचर्चा में विषय वस्तु शिक्षण विधि, सहायक सामग्री नवीन तकनीकी आदि का निर्धारिण किया जाता है। | इसमें केवल शिक्षा की विषय वस्तु को ही सम्मिलित किया जाता है। |
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