अनुक्रम (Contents)
समाजशास्त्र के अध्ययन में पुस्तकालय का एक संसाधन के रूप में उपयोग
आज के युग में समाजशास्त्र के ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। अच्छी से अच्छी पाठ्यपुस्तक भी सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का विस्तृत रूप में ज्ञान नहीं दे सकती अतः विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त और अन्य पुस्तकों, पत्र पत्रिकाओं व अन्य पाठ्यसामग्री का अध्ययन करना बहुत आवश्यक हो जाता है व्यक्तिगत रूप से इतनी पुस्तकों को क्रय करना सम्भव नहीं है अतः पुस्तकालय उपरोक्त स्वरूप में संसाधन की तरह कार्य करता है। विद्यार्थियों द्वारा खाली समय का सदुपयोग करने हेतु अतिरिक्त सामग्री अच्छी आदतों का विकास हेतु भी पुस्तकालय उपयोगी होता है।
सामान्यतः विद्यालयों में समाजशास्त्र हेतु अलग से पुस्तकालय की व्यवस्था नहीं होती किन्तु यदि शिक्षक चाहे तो अपने स्तर पर किसी कक्षा में एक अलमारी में समाजशास्त्र सम्बन्धित पाठ्यपुस्तकें व अन्य पत्र पत्रिकाऐं रख सकता है इसके संचालन हेतु विद्यार्थियों की सहायता ली जा सकती, इसके द्वारा विद्यार्थी कक्षा में ही समाजशास्त्र के शिक्षक के मार्गदर्शन द्वारा विषय वस्तु से सम्बन्धित पत्र पत्रिकाऐं पढ़ सकते हैं।
पुस्तकालय एक प्रभावी संसाधन तभी हो सकता है अतः विद्यार्थी रुचि से पुस्तकालय जाकर सम्बन्धित पाठ्य सामग्री शिक्षक के सहयोग से प्राप्त करना चाहते हैं । अतः शिक्षक को चाहिए कि वह विद्यार्थियों में पुस्तकालय के प्रति रुचि बढ़ाए। इस हेतु पुस्तकालय में नवीन पुस्तकों की सूचीपट्ट पर टांगी जा सकती है ताकि विद्यार्थियों में उनके अध्ययन के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न हो।
शिक्षक पढ़ाते समय भी पुस्तकालय की पुस्तकों के नाम व पृष्ठ संख्या का ज्ञान करा सकते हैं। समाजशास्त्र विषय पर आधारित वाद-विवाद भी करवाया जा सकता है। उस कार्य हेतु विद्यार्थी पुस्तकालय की पाठ्यसामग्री का उपयोग कर सकते हैं। शिक्षक कक्षा में विद्यार्थियों को पुस्तकों के चित्र या अंश दिखा सकता है।
पुस्तकालय प्रभावी संसाधन की तरह विद्यार्थियों के उपयोग में आ सके इसीलिए यह ध्यान रखना आवश्यक है कि नवीन चयनित पुस्तकें पुस्तकालय में लाई जाये व विविध प्रकार की पुस्तकों का संग्रह हो। समाजशास्त्र की संदर्भ पुस्तकें, एनसाइक्लोपीडिया, शब्द कोष व अन्य पत्र पत्रिकाऐं भी पुस्तकालय में होनी चाहिए। समाजशास्त्र की प्रगति से सम्बन्धित नवीन व रोचक ज्ञान देने वाली पत्रिकाएँ भी नियमित रूप से पुस्तकालय में आनी चाहिए।
इसी भी पढ़ें…
- ई-लर्निंग क्या है – What is E-learning in Hindi
- क्षेत्र पर्यटन | क्षेत्र पर्यटन के प्रकार | क्षेत्र पर्यटन के लाभ
- इंटरनेट क्या है? | इंटरनेट का उपयोग
- श्रव्य-दृश्य सामग्री का शिक्षकों के लिये उपयोग
- ऑनलाइन पत्रिका | ऑनलाइन पत्रिका के लाभ | ऑनलाईन पत्रिकाओं की सीमाएँ
- ई-जर्नल्स | ई-जर्नल्स के लाभ
- वृत्तिका विकास से आप क्या समझते हैं?
- वृत्तिका विकास तथा रोजगार चयन को प्रभावित करने वाले कारक
- रोयबर द्वारा वृत्तिक विकास के महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त
- वृत्तिका विकास का बहुलर द्वारा किए गए वर्गीकरण
- निर्देशन का महत्त्व
- निर्देशन के विभिन्न सिद्धान्त
- निर्देशन कार्यक्रम की विशेषताएँ
- निर्देशन कार्यक्रम को संगठित करने के उपाय, विशेषताएँ तथा प्रकार
- निर्देशन का क्षेत्र, लक्ष्य एवं उद्देश्य
- निर्देशन का अर्थ | निर्देशन की परिभाषा | निर्देशन की प्रकृति | निर्देशन की विशेषताएँ
- निर्देशन की आवश्यकता | सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता
- अभिप्रेरणा क्या है ? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित है?
- अभिप्रेरणा की विधियाँ | Methods of Motivating in Hindi
- अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार
- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ, परिभाषाएं, प्रकार, महत्त्व, उपयोग/लाभ, सीमाएँ
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अनुप्रयोग
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र