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सैद्धान्तिक व व्यवहारिक ज्ञान (Theoretical and Practical knowledge)
सैद्धान्तिक ज्ञान (Theoretical Knowledge)- स्वयं प्रत्यक्ष की भाँति समझा जाता है। सिद्धान्त जब समझ लिए जाते हैं, सत्य पहचान लिए जाते हैं फिर उन्हें निरीक्षण, अनुभव या प्रयोग द्वारा प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं होती है । इस प्रकार से ज्ञान को स्वतः सिद्ध या प्रमाणित मान लिया जाता है। इस प्रकार के ज्ञान में तर्क द्वारा तथ्यों को संगठित कर दिया जाता है तथा बुद्धि इसे बिना अनुभव की सहायता से प्राप्त कर लेती है।
व्यावहारिक (Practical Knowledge)– यह प्रयोग द्वारा प्राप्त होता है। डीबी के अनुसार ज्ञान की प्रक्रिया एवं प्रयास एवं समझ की प्रक्रिया है- एक विचार का अभ्यास में प्रयास करना एवं ऐसे प्रयास के परिणामस्वरूप जो फल प्राप्त होते हैं उनसे सीखता है। एक धारणा के अनुसार ज्ञान कोई भी ऐसी चीज नहीं है जिसे अनुभव द्वारा सक्रिय रूप में न लाया जा सके। व्यावहारिक ज्ञान स्वयमेव उद्भासित होता है इसमें किसी पूर्वधारणा की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि हम शतरंज के खिलाड़ी का लें तो उसके लिए शतरंज के नियमों का ज्ञान सैद्धान्तिक ज्ञान होगा अर्थात् खेलने के क्या नियम हैं आदि। परन्तु इस खेल में वह कैसे महारत हासिल करे या प्रतिद्वन्द्वी की दी हुई चुनौती का मुकाबला कैसे कर सकता है, यह सब व्यावहारिक ज्ञान है। व्यावहारिक ज्ञान हेतु नियमों की पाबन्दी नहीं होती है। यह ज्ञान कौशल पर आधारित ज्ञान होता है। अत: व्यावहारिक ज्ञान प्रयोग द्वारा प्राप्त होता है। एक विचार को अभ्यास में परिवर्तित करने का प्रयास करना एवं ऐसे प्रयास के परिणामस्वरूप जो फल प्राप्त होते हैं वह व्यावहारिक ज्ञान है। व्यावहारिक ज्ञान हेतु आगमन विधि का प्रयोग करना चाहिए।
ज्ञान प्रयोग द्वारा प्राप्त होता है ऐसी प्रयोजनवादियों की धारणा भी है। एक विचार को अभ्यास में परिवर्तित करने का प्रयास करना एवं ऐसे प्रयास के परिणामस्वरूप जो फल प्राप्त होते हैं उनसे सीखना चाहिए। इस प्रकार वास्तविक ज्ञान केवल समझने की चीज नहीं है बल्कि अनुभव एवं निरीक्षण द्वारा प्राप्त की जाती है जो प्राप्य ज्ञान को सन्तोषपूर्ण स्थिति की ओर ले जाती हैं।