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समता की अवधारणा | समता एवं समानता का अर्थ | समता एवं समानता में अन्तर

समता की अवधारणा
समता की अवधारणा

समता की अवधारणा (Concept of Equity)

वर्तमान में ऐसी शिक्षा प्रणाली का निर्माण किया गया है जो कि सभी बालकों को समान महत्व देती है कक्षा में ऐसे सहायक उपकरणों का प्रयोग किया जाता हैं जिससे विकलांगता से ग्रसित बालक सामुदायिक स्तर, लैंगिक या धार्मिक स्तर आदि समस्त बालकों को समन्वित रूप से एक ही कक्षा में शिक्षा प्राप्त हो जाती है। समता एवं समावेशन एक-दूसरे के पूरक हैं। समता के अन्तर्गत प्रत्येक छात्र के साथ समानता का व्यवहार किया जाता है। छात्रों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है। समता को संविधान की प्रस्तावना में मुख्य स्थान दिया गया है।

समता व समानता इन दोनों शब्दों को अधिकतर एक-दूसरे का पर्यायवाची समझा जाता है। वैसे तो भारतीय संविधान की स्थापना समानता के आधार पर हुई है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार, “जनतन्त्र यह सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्तियों को अपने अन्तर्निहित, असमान गुणों के विकास का समान अवसर मिले।”

According to Dr. S. Radhakrishnan, “Democracy only provides that all men should have equal oppurtunities for development of their unequal talent.”

भारतीय संविधान की धारा 15, 16, 17, 38 तथा 48 भी यह सुनिश्चित करती हैं कि राज्य व्यक्तियों के बीच जाति, धर्म, वर्ग और स्थान के आधार पर विभेद नहीं करेगा। इसके अतिरिक्त 1964-66 में प्रस्तावित शिक्षा कमीशन में डॉ. माथुर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि शिक्षा का एक प्रमुख ध्येय सभी को अवसरों की समानता प्रदान करना है जिससे कि पिछड़े और दबे कुचले लोगों को शिक्षा का प्रयोग कर अपनी स्थिति में सुधार करने का मौका मिले। वस्तुतः समता एवं समानता एक जटिल विचार है इसीलिए कभी-कभी इसका अर्थ समझने में हम गलती कर जाते हैं। सर्वप्रथम, हमें यह समझना चाहिए कि समता यानि प्रत्येक मायने में समान एक कल्पना ही है जिसमें सब कुछ समान होने की बात की जाती है जबकि यह सम्भव ही नहीं है, जैसे- महिला और पुरुष के सभी मामलों में समता सम्भव नहीं है इसमें कुछ न कुछ अन्तर तो रहेगा ही, पर समानता जरूर कायम की जा सकती है।

समता एवं समानता का अर्थ (Meaning of Equity and Equality)

समता- समता का सामान्य अर्थ है सबको एक समान परिस्थितियाँ उपलब्ध कराना। इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी को एक जैसा बना दिया जाए। सभी को एक समान वेतन देना, सभी को एक जैसा घर देना, सभी को एक जैसा सामान देना आदि समता के उदाहरण है। समता के लिए एक शब्द का प्रयोग किया जा सकता है, वह है निष्पक्षता, न्यायपूर्ण समान सच्चा व्यवहार। समता एक व्यापक शब्द और प्रत्यय है जो न्याय और निष्पक्षता के आधार पर समान परिस्थितियाँ उत्पन्न करने पर बल देता है।

समानता- समानता का अर्थ हैं समान व्यवहार करना। समानता का वास्तविक अर्थ है सभी को एक जैसी परिस्थितियाँ देना। हम सभी को बिल्कुल समान नहीं बना सकते लेकिन समान परिस्थितियाँ तो दी जा सकती हैं, जैसे-शिक्षा प्राप्त करने के लिए समाज के सभी लोगों को चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या लिंग के हों, सभी को समान अधिकार दिया गया है। कानून भी सबके लिए समान एवं सभी को उपलब्ध है। लोकतान्त्रिक परिस्थितियाँ उत्पन्न करना भी समाज के लिए आवश्यक होता है। लोकतन्त्र बिना समानता के अधूरा है लेकिन जब समाज में किसी खास वर्ग को विशेष अधिकार मिल जाता है तथा विशेष लाभ मिलने लगता है तब समानता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है और असमानता की स्थिति पैदा हो जाती है।

उदाहरण के लिए सभी को एक जैसा काम मिलें- यह समता है।” सभी को काम मिलने की समान परिस्थितियाँ उपलब्ध हो यह समानता है।”

समानता, समान परिस्थितियों की बजाय समान व्यवहार से ज्यादा सम्बन्धित है।

समता एवं समानता में अन्तर (Difference between Equity and Euality)

समानता का अर्थ सभी के साथ एक जैसा व्यवहार (Equality) करना है जिससे कि कोई भी अपनी विशेष परिस्थिति का अवांछित लाभ न ले सके। सभी को समान अवसर मिलते हैं जिसमें सभी अपनी-अपनी प्रतिभा के आधार पर आगे बढ़ते हैं। समता (Equity) शब्द का प्रयोग करते समय यह माना जाता है कि सभी एक समान नहीं होते। कुछ ऐसे भी होते हैं जो अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक शोषित या पिछड़े होते हैं जैसे कि विकलांग व्यक्ति। इन्हें सामान्यजनों के समान अवसर प्रदान करने पर इनके साथ अन्याय होगा। इनके लिए अवसरों की अधिकता होनी चाहिए जिससे वह अन्य के साथ एक ही प्लेटफार्म पर आ सकें। इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि कक्षा में सभी छात्र शिक्षक के लिए समान होते हैं परन्तु कुछ बच्चों के साथ कोई समस्या हो सकती है जैसे कि- दृष्टिदोष । अब कमजोर आँख वाले बच्चे को आगे बैठाना उसे अन्य छात्रों के समान अवसर प्रदान करने के लिए है, न कि उसे विशेष महत्व प्रदान करने के लिए। इसे ही समता (Equity) कहते हैं। समान दृष्टि वाले सभी छात्र या तो एक साथ बैठाया जाए या उन्हें आगे बैठने के समान अवसर प्रदान किए जाए। इसे समानता (Equality) कहेंगे।

समता (Equity) समानता (Equality)
1. इस सिद्धान्त के अनुसार व्यक्तियों अलग-अलग क्षमताएँ या कमियाँ पाई जाती हैं। 1. इस सिद्धान्त के अनुसार सभी व्यक्ति आपस में समान हैं।
2. सभी को अपनी क्षमता के अनुसार अवसर मिलने चाहिए।

2. सभी के लिए अवसरों की समानता होनी चाहिए।

3. समान क्षमता वालों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए।

3. सभी के साथ समान व्यवहार होना चाहिए।

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