सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय- खूब लड़ी वाली रानी थी।’ की कवयित्री चौहान थी, कुछ ही ये उस मर्दानी वह तो झांसी इन अमर काव्य पंक्तियों का ही नाम सुभद्रा कुमारी लेकिन इनका जीवन परिचय सुधि पाठकों को ज्ञात है, क्योंकि दौर की कवयित्री रही हैं, जब महिमामंडन करने की पृथक से परंपरा नहीं थी। इनका जीवन, इनके विचारों एवं काव्य से पृथक नहीं था। इनका निजी चेहरा ही इनकी कविता में दिखता था।
अनुक्रम (Contents)
सुभद्रा कुमारी चौहान का संक्षिप्त जीवन परिचय (Introduction to Subhadra Kumari Chauhan)
नाम | सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) |
जन्म | 16 अगस्त 1904, गांव निहालपुर, जिला इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) |
पिता | ठाकुर रामनाथ सिंह |
माता | धिराज कुँवरी |
शिक्षा | नौवीं कक्षा पास |
स्कूल | क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल |
पति | ठाकुर लक्ष्मण सिंह |
संतान | 5 |
बेटे | अजय चौहान, विजय चौहान और अशोक चौहान |
बेटी | सुधा चौहान और ममता चौहान |
प्रसिद्ध रचनाएँ | ’झाँसी की रानी’, ’बिखरे मोती’ (1932), ’उन्मादिनी’ (1934), ’सीधे सादे चित्र’ (1947) |
प्रसिद्धि का कारण | कवयित्री, लेखिका |
नागरिकता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
मृत्यु | 15 फरवरी 1948, सिवनी जिला (मध्य प्रदेश) |
जीवनकाल | 43 वर्ष |
महान राष्ट्रीय कवयित्री तथा अग्रणी स्वाधीनता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 1904 में बसंत पंचमी के शुभ दिन पर इलाहाबाद के निहालपुर आवासीय मोहल्ले में हुआ था। इनकी शिक्षा इलाहाबाद के क्रास्थवेट कन्या महाविद्यालय में हुई। जबलपुर के नामी कानूनविज्ञ ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ इनका गठबंधन हुआ। सुभद्रा कुमारी के ज्येष्ठ भ्राता ठाकुर रामप्रसाद सिंह ने असहयोग आंदोलन के दौरान पुलिस सब- इंस्पेक्टर की नौकरी पर लात मार दी थी। इस तरह राष्ट्रीय विचारों का माहौल इनके परिवार में पूर्व से ही था। पति मिले तो ये भी स्वाधीनता संग्राम के सेनानी ही थे। फिर चौहान दंपत्ति ने मिलकर स्वाधीनता संघर्ष में भाग लिया। नागपुर का प्रसिद्ध झंडा सत्याग्रह सर्वप्रथम जबलपुर से शुरू हुआ था और हाथ में तिरंगा झंडा लेकर आगे बढ़ने वालों में सुभद्रा कुमारी प्रथम कतार में मौजूद थीं।
1936 के प्राथमिक चुनाव में सुभद्रा कुमारी चौहान मध्य प्रदेश विधानसभा की सदस्या नामांकित हुईं। 1946 में इन्हें चुनाव में फिर से कामयाबी मिली। आंदोलन में भाग लेने की वजह से इनको 1940 और 1942 में जेलयात्रा भी करनी पड़ी। 1942 में तो ये गोदी के बच्चों साथ जेल गई थीं।
सुभद्रा कुमारी चौहान की आत्मा कवयित्री की थी। इनकी कविताओं में प्रखर राष्ट्रीयता की भावना व पारिवारिक जीवन दोनों का रंग दिखता है। इनकी राष्ट्रीय कविताओं में तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों के साथ सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक घटनाक्रमों का भी समावेश रहता रहा था। इनकी सुप्रसिद्ध ‘झांसी की ‘रानी’ कविता को अंगेजों द्वारा जब्त कर लिया गया था। गंभीर विषय को भी सहजता से पेश करना इनके काव्य की खासियत कही जाती है। ‘त्रिधारा’ और ‘मुकुल’ शीर्षक काव्य संग्रह है। झांसी की रानी को लक्ष्य कर लिखी गई इनकी काव्य पंक्तियां ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’ आज भी उतनी ही विख्यात है, जितनी आजादी के आंदोलन के समय में थी।
कहानीकार के रूप में भी सुभद्रा कुमारी चौहान ने हिंदी साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान बनाया। दो कथा संग्रह ‘बिखरे मोती’ एवं ‘उन्मादिनी’ कहानियों के लिए उन्हें दो बार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा ‘सेक्सरिया’ पुरस्कार प्रदान किया गया।
सुभद्रा जी बेहद सरल विचारों की नारी थीं। जातिगत संकीर्णता से ये कोसों । दूर रहती थीं। जीवनयापन में इनकी सादगी इतनी थी कि 1930 तक इनके द्वारा। पायल नहीं पहनी गई थी। देश और साहित्य को उनसे काफी उम्मीदें थीं, लेकिन महज 44 वर्ष की आयु में नागपुर से जबलपुर प्रवास के दौरान 15 फरवरी, 1948 को एक मोटर दुर्घटना में इनका असामयिक निधन हो गया।
प्रमुख कविता संग्रह –
- झाँसी की रानी
- झाँसी की रानी की समाधि पर
- वीरों का कैसा हो वसंत
- मातृमंदिर में
- राखी की चुनौती
- सेनानी का स्वागत
- राखी की लाज
- विजयदशमी
- जलियांवाला बाग में बसंत
साहित्य –
- मेरा नया बचपन
- सभा का खेल
- पानी और धूप
- कोयल
- कदम्ब का पेङ
- अजय की पाठशाला
कहानी संग्रह –
सुभद्रा जी का प्रथम कहानी संग्रह 1932 में ’बिखरे मोती’ प्रकाशित हुई। यह कहानी संग्रह महिला विमर्श पर आधारित है। इसकी भाषा सरल एवं लोक जीवन की है। इनका ’बिखरे माती’ कहानी संग्रह बहुत लोकप्रिय हुआ, इसी लोकप्रियता के कारण इन्हें हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा ’सेकसरिया पुरस्कार’ मिला।
इसके उपरांत ’उन्मादिनी’ (1934) नामक कहानी संग्रह का प्रकाशन हुआ। ’सीधे सादे चित्र’ (1947) सुभद्रा जी का तीसरा व अंतिम कहानी संग्रह है।
अन्य रचनाएँ –
- कोयल
- ठुकरा दो या प्यार करो
- पानी और धूप
- अनोखा दान
- इसका रोना
- उपेक्षा
- आराधना
- उल्लास
- कलह-कारण
- खिलौनेवाला
- कठिन प्रयत्न की सामग्री
FAQs
उत्तर – हिंदी की प्रसिद्ध कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान काव्य सेनानी और स्वातंत्रय कोकिला के उपनामों से प्रसिद्ध है। सुभद्रा कुमारी का जन्म 16 अगस्त, 1904 को नाग पंचमी के दिन प्रयागराज (इलाहाबाद) के निकट ’निहालपुर गाँव’ में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह थे, जिनको शिक्षा से बहुत लगाव था।
उत्तर – सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे प्रसिद्ध एवं चर्चित कविता ’झाँसी की रानी’ है।
उत्तर – सुभद्रा जी का प्रथम कहानी संग्रह 1932 में प्रकाशित ’बिखरे मोती’ है।
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