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अधिनायक तंत्र
अधिनायक तंत्र कोई आधुनिक प्रणाली नहीं, बल्कि अत्यन्त प्राचीन है, क्योंकि प्राचीन रोम में भी यह व्यवस्था विद्यमान थी। अधिनायकतंत्र प्रजातंत्र के बिल्कुल विपरीत है। इसमें शासन की सत्ता एक व्यक्ति के पास होती है और वह राज्य स्रत्ता का प्रयोग अपनो इच्छानुसार करता है और तब तक अपने पद पर बना रहता है जब तक शासन की शक्ति उसके हाथों में रहती है। प्राचीन काल में सेना के उच्च अधिकारी ही अधिनायक बनते थे। अधिनायकतंत्र अंग्रेजी के शब्द’डिक्टेटरशिप’ का हिन्दी रूपान्तर है, जिसकी व्युत्पत्ति लैटिन भाषा से हुई है। किन्तु मूल रूप में अधिनायकतंत्र का उपर्थ वह नहीं था जो अर्थ अब हो गया है। रोमन साम्राज्य में संकटकालीन परिस्थितियों में त्याग व कानून बनाये रखने के लिए विशिष्ट व्यक्तियों के जिन अधिकारियों को मजिस्ट्रेट के रूप में 1नियुक्त किया जाता था उन्हें ‘अधिनायक’ कहा जाता था। इस प्रकार मूल रूप में अधिनायक शब्द का अर्थ आदेश देने वाला है तथा उससे आजकल जैसे दुर्भाव का बोध नहीं होता है।
फोर्ड के अनुसार, ” तानाशाही राज्य के अध्यक्ष द्वारा असाधारण एवं संविधानेत्तर शक्तियों को पाप्त करना ही अधिनायकर्त्र है।” न्यूमैन के शब्दों में, “अधिनायकरत्र एक व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह का वह शासन है जिन्होंने राज्य में शक्ति पर नियन्त्रण कर लिया हो और जिसका प्रयोग वे बिना किसी प्रतिबन्ध के करते हों।” एल्फ्रेडकॉबन का मत है- “अधिनायकतंत्र एक व्यक्ति की सरकार है जिसने अपना पद पैतृक धन या परम्परा के आधार पर प्राप्त नहीं किया होता बल्कि शक्ति या स्वीकृति से और साधारण दोनों के मिश्रण से प्राप्त किया होता है। उसके पास निरंकुश प्रभुसत्ता अवश्य होना चाहिए, अर्थात् सब राजनीतिक शक्तियों का स्रोत उसकी इच्छा में निहित हो और क्षेत्र में भी सीमित न हो । उसे इस शक्ति का प्रयोग कानून के रूप में नहीं बल्कि आदेश के रूप में करना चाहिए और अन्त में यह किसी और सत्ता द्वारा सीमित न हो क्योंकि ऐसी रुकावटें निरंकुश राज्य के विरुद्ध हैं।” उपर्युक्त परिभाषाओं से अधिनायकतंत्र की विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं-
1. अधिनायकतंत्र में राज्य निरंकुशवादी होते हैं जिसमें सरकार की शक्तियाँ असीमित होती हैं और उस पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं होता।
2. इसमें राज्य साध्य होता है और व्यक्ति साधन।
3.अधिनायकतंत्र में राज्य एवं समाज के मध्य कोई भेद नहीं किया जाता है ।
4. अधिनायकतंत्र में एक दल का शासन होता है ।
5. इसमें जिस दल का शासन होता है, उसके नेता को सर्वश्रेष्ठ, राष्ट्रीय एकता का प्रतीक, विश्वासपात्र समझा जाता है।
6. अधिनायकतंत्र में नागरिकों को अधिकारों तथा स्वतन्त्रताओं से वंचित कर दिया जात है।
7. यह शक्ति पर आधारित है और शांति एवं अहिंसा का परित्याग कर युद्ध हिंसात्मक साधनो में विश्वास करता है।
8. यह साम्राज्यवादी नीति में विश्वास करता है।
9. इसका प्रेस एवं रेडियो जैसे प्रचार-प्रसार के साधनों पर पूर्ण नियन्त्रण रहता है।
10. अधिनायकतंत्र अन्तर्राष्ट्रीयवाद का विरोधी है ।
11. यह धर्म का विरोधी होता है।
12. इसमें अधिनायक द्वारा अपनी जाति को अन्य जातियों की तुलना में श्रेष्ठ माना जाता है और इसका प्रचार भी किया जाता है।
संसदीय शासन प्रणाली के गुण एवं दोष
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के लक्षण
एकात्मक सरकार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, गुण एवं दोष
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