अमृतलाल नागर का जीवन परिचय
हिंदी के सशक्त साहित्यकार अमृतलाल नागर का जन्म 17 अगस्त, 1916 को आगरा में हुआ था। आर्थिक मुश्किलों से नागर जी को कम उम्र में ही रोजगार के लिए प्रयास करना पड़ा। इस कारण औपचारिक शिक्षा हाई स्कूल तक ही प्राप्त कर सके, लेकिन इनका स्वाध्याय बाधित नहीं हुआ। अपने अध्वयवसाय से इन्होंने हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगला व अंग्रेजी भाषाओं पर विशेष पकड़ बना ली थी। साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, पुराण, समाजशास्त्र और मनोविज्ञान आदि विषयों के ये प्रकांड ज्ञाता थे और इसकी झलक इनके रचे साहित्य सागर में देखी जा सकती हैं।
नागर जी ने संपूर्ण विधाओं में लेखन किया। इन्होंने मेघराज इंद्र के नाम से कविताएं, तसलीम लखनवी के नाम से व्यंग्यपूर्ण रेखा चित्र एवं अपने वास्तविक नाम से प्रभूत कथा साहित्य लिखा था। ‘महाकाल’, ‘सेठ बांकेलाल’, ‘बूंद और समुद्र’, ‘अमृत और विष’, ‘एकदा नैमिषारण्ये’, ‘मानस का हंस’ व ‘खंजन नयन’ इत्यादि इनके विख्यात उपन्यास हैं। इनकी संपूर्ण कहानियां ‘एक दिल हजार अफसाने’ शीर्षक से एक पुस्तक में संकलित हो चुकी हैं। संस्मरण विधा में ‘भी इनकी ‘ये कोठेवालियां’, ‘गदर के फूल’ और ‘टुकड़े-टुकड़े दास्तान’ का प्रमुख स्थान है। नागर जी ने 1940-47 के बीच फिल्म संसार में रहकर भी लेखन कार्य किया। ये 1953 से 1956 तक आकाशवाणी लखनऊ में नाट्य दिग्दर्शक भी रहे। इन्हें ‘भारत-भारती’, ‘साहित्य अकादमी’ सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए गए। 1990 में इनका देहांत हुआ।
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