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शिक्षण व्यवहार विश्लेषण करने का आशय स्पष्ट कीजिए।

शिक्षण व्यवहार विश्लेषण
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शिक्षण व्यवहार विश्लेषण करना -Analyzing Teaching Behavior in Hindi

शिक्षण व्यवहार विश्लेषण का आशय शिक्षक द्वारा किए जाने वाले उन कार्यों से है जो कक्षा-कक्ष अन्तक्रिया के सम्बन्ध में किए जाते हैं। कक्षा-कक्ष अन्तक्रिया उन घटनाओं की श्रृंखला को संदर्भित करती है जो एक के बाद एक होती रहती है। प्रत्येक क्रिया में कम समय लगता है। ये घटनाएँ लघुतम संभावित कार्य होते हैं जिन्हें कोई प्रशिक्षित अन्वेषक पहचान सकता है एवं अभिलेखन कर सकता है। शिक्षण विभाग का विश्लेषण करने में प्रमुख रूप से यह देखा जाता है कि कक्षा-कक्ष में वर्णन किए जाने हेतु अवधारणाओं का कौन-सा समूह चयनित किया जाय। ये अवधारणाएँ प्रयोजन तथा आदत पर निर्भर करती हैं।

उद्देश्य (Purposes)

ये निम्नलिखित हैं-

1. शिक्षण व्यवहार का अध्ययन करने हेतु (To Study Teaching Behaviour)- कक्षा-कक्ष अन्तक्रिया के दौरान घटित होने वाली चयनित घटनाओं को ध्यान में रखकर शिक्षण व्यवहार का अध्ययन किया जाना होता है।

2. शिक्षण व्यवहार के विकास व नियंत्रण में मदद करने हेतु (To Help in Developing and Controlling Teaching Behaviour) – इसका उद्देश्य एक अध्यापक के शिक्षण व्यवहार के विकास व नियंत्रण में मदद करना होता है।

3. विचलनों को स्पष्ट करने हेतु (To Classify the variations) – ऐसे विश्लेषण का उद्देश्य उन विचलनों का विश्लेषण करना होता है जो कक्षा-कक्ष घटनाओं की श्रृंखला में घटित होते हैं। इनका का उद्देश्य शिक्षण व्यवहार पर ध्यान केन्द्रित करना होता है तथा ये कक्षा-कक्ष अन्तक्रिया एवं शैक्षिक परिणामों के बीच सम्बन्ध को बताते हैं।

सामान्य रूप से अच्छे आशय तथा उस शिक्षण व्यवहार जो कक्षा-कक्ष में होता है, में अन्तर रहता है। यद्यपि अध्यापक यह जानता है कि उसे क्या करना है परन्तु वह ऐसा नहीं कर पाता। कक्षा-कक्ष अन्तक्रिया का अध्ययन करके सरल तरीके से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है क्योंकि इससे आशय व गतिविधि का अन्तर कम हो जायेगा।

अन्तक्रिया विश्लेषण की तकनीकें (Techniques of Interaction Analysis)

अन्तक्रिया विश्लेषण में प्रत्येक घटना पर विचार करके कक्षा-कक्ष की श्रृंखला हेतु तकनीक को अपनाया जाता है। कक्षा-कक्ष घटनाओं के विश्लेषण हेतु विभिन्न प्रणालियों का विकास हो जाने के कारण शिक्षण व्यवहार का विश्लेषण अधिक सफलतापूर्वक किया जा सकता है। विश्लेषणकर्ता को यह निर्णय लेना होता है कि कौन-सी श्रेणी प्रत्येक घटना का सर्वोत्तम तरीके से प्रतिनिधित्व करती है। तत्पश्चात् वह उस श्रेणी के कूट प्रतीकों को लिखता है। उसके अभिलेखन की गति निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है-

1. श्रेणी की प्रणाली

2. अवलोकनकर्ता की दक्षता

3. शिक्षण व्यवहार विश्लेषण के सम्बन्ध में अन्तक्रिया सम्बन्धी कठिनता

घटनाओं की श्रृंखला का विश्लेषण करते समय पूरी प्रक्रिया की सीमाओं को ध्यान में रखा जाता है। अन्तक्रिया विश्लेषण में निष्कर्ष घटनाओं पर आधारित होते हैं तथा इनमें कक्षा-कक्ष अवलोकन की अपेक्षा निश्चितता का स्तर अधिक ऊँचा होता है। इसके अतिरिक्त आँकड़ों को उपयोगी धारणाओं के सम्बन्ध में पहले से ही संगठित कर लिया जाता है। अन्तक्रिया विश्लेषण के सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों में ध्यान देना आवश्यक होता है-

1. यह पूरी प्रक्रिया अधिक उद्देश्यपूर्ण होती है तथा त्रुटियाँ कम से कम होनी चाहिए।

2. अवलोकनकर्ता प्रशिक्षित होने चाहिए।

3. आँकड़े अन्तक्रिया के बड़े या जटिल रूप में निष्कर्ष निकालने में सहायक होते हैं।

4. कुछ प्रक्रियाएँ उन मूल कार्यों को संरक्षित एवं क्रम से प्रदर्शित करती हैं जिन्हें अवलोकनकर्ता ने अभिलिखित किया होता है। इससे घटनाओं की श्रृंखला में क्रमबद्ध रूप से निष्कर्षों तक पहुँचा जा सकता है।

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shubham yadav

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