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अनुसूची क्या है?
अनुसूची क्या है?- सामाजिक अनुसंधान हेतु सामग्री संकलन की प्रविधियों में अनुसूची का एक प्रमुख स्थान है। यह एक सरल, विश्वसनीय औपचारिक व निष्पक्ष प्रविधि मानी जाती है। अनुसूची प्रश्नों की एक लिखित सूची है जो अनुसंधानकर्ता द्वारा अध्ययन विषय, साधन, समय व उत्तरदाताओं की स्थिति के अनुसार तैयार की जाती है। इस सूची में विषय से सम्बन्धित अनेक प्रश्न लिखे होते हैं जिनका प्रत्युत्तर उसी अनुसूची में उत्तरदाता को देना या लिखना पड़ता है। स्पष्ट है कि अनुसूची द्वारा उत्तरदाताओं के विचारों को व्यवस्थित रूप में संकलित किया जाता है।
अनुसूची के उद्देश्य
मौलिक रूप से अनुसूची का सृजन शोध विषय से सम्बन्धित तथ्यों के संकलन के लिए किया जाता है, इसके माध्यम से विषय के बारे में अनेक व्यक्तियों के विचारों के जानने व संकलित करने का प्रयास किया जाता है। अन्ततोगत्वा इसी सूचना के आधार पर शोध कार्य सम्पादित किया है। विश्लेषण हेतु इसके उद्देश्य के विभिन्न आयाम इस प्रकार हैं-
(1) तथ्यों का संकलन- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है अनुसूची का प्राथमिक व मौलिक उद्देश्य शोधविषय के सम्बन्ध में तथ्यों का संकलन करना है।
(2) प्रमाणिक तथा वैषयिक अध्ययन- अनुसूची का उद्देश्य अध्ययन को यथासंभव प्रामाणिक तथा वैषयिक बनाना होता है। अनुसन्धानकर्ता उत्तर दाता के पास स्वयं उपस्थित रहता है, आवश्यकतानुसार उत्तरदाता को स्पष्टीकरण, सुझाव एवं निर्देश देता है। सभी उत्तरदाताओं को निर्देश दिया जाता है। इस प्रकार अनुसूची द्वारा प्राप्त तथ्य प्रामाणिक तथा वैषयिक होते हैं। प्रश्नों का स्पष्टीकरण के कारण व्यक्तिगत त्रुटि होने की संभावना नहीं होती है।
(3) प्रासंगिक अध्ययन- अनुसूची के अनुप्रयोग से अध्ययन विषय से सीधे सम्बन्धित प्रश्नों पर ही ध्यान दिया जाता है। अनुसूची में केवल उन्हीं प्रश्नों को स्थान दिया जाता है जो अध्ययन विषय के लिए महत्व रखते हैं।
(4) सुव्यवस्थित अध्ययन- इस प्रविधि की एक विशेषता यह भी है कि इसमें अध्ययन अर्थात् आंकड़ों का संकलन एक व्यवस्थित ढंग से किया जाता है। उत्तरदाता द्वारा प्राप्त उत्तर निश्चत क्रम में संकलित हो जाते हैं, आगे चलकर, वर्गीकरण, सारणीयन, तथा विश्लेषण कार्य सरल व सुलभ हो जाते हैं।
(5) सम्पूर्ण सूचना- अनुसूची का एक उद्देश्य यह भी है कि विषय के बारे में पूर्ण प्रासंगिक जानकारी की प्राप्ति हो। इसमें उत्तरदाता सभी प्रश्नों का उत्तर लिख देता है या लिखवाता है, अनुसंधानकर्ता को स्मरण शक्ति पर नहीं आश्रित होना पड़ता है।
उत्तम अनुसूची की विशेषताएँ
(1) सही व पर्याप्त प्रत्युत्तर- एक उत्तम श्रेणी की अनुसूची की विशेषता है कि इसके द्वारा प्राप्त उत्तर सही होने के साथ-साथ पर्याप्त भी होने चाहिए। प्रश्नों का संचालन इस प्रकार का चाहिए कि प्रत्येक उत्तरदाता यथासंभव सही व पूर्ण उत्तर दे। सूची में सभी प्रश्नों का उत्तर मिलना चाहिए न कि प्रत्येक आधे-अधूरे का। इसके लिए अनुसंधानकर्ता को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
(2) स्पष्ट प्रश्न- उच्चकोटि की अनुसूची में सही सन्देश वाहन होना चाहिए। पूछे गये प्रश्नों की भाषा सरल, स्पष्ट तथा विषय सम्बन्धित होनी चाहिए। भाषा भ्रमरहित तथा प्रामाणिक अर्थों वाली होनी चाहिए। प्रश्नों का क्रम तथा संख्या का भी ध्यान रखना चाहिए। प्रश्न इस क्रम में रखने चाहिए कि शुरू में ही उत्तरदाता चिड़चिड़ाहट न महसूस करे तथा प्रश्नों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं होनी चाहिए कि उत्तरदाता उत्तर देना भार महसूस करे, साथ ही साथ प्रश्नों की संख्या कम भी इतनी नहीं होनी चाहिए कि पर्याप्त जानकारी भी न मिल सके। एक अच्छी अनुसूची में इन तमाम विशेषताओं को पाया जाना चाहिए।
अनुसूची की उपयोगिता
सामाजिक घटनाओं एवं मानवीय व्यवहार के अध्ययन व विश्लेषण में अनुसूची जैसी प्रविधियों का अत्यधिक महत्व व उपयोगिता है। स्पष्ट है कि समाजशास्त्र जैसे सामाजिक विज्ञानों के लिए अनुसूची एक अनुपम यन्त्र है। इसकी प्रमुख उपयोगितायें निम्नलिखित हैं-
(1) सामाजिक शोध सम्बन्धी विषय के सम्बन्ध में अर्थात, सूचनाओं को प्राप्त करने की यह महत्वपूर्ण प्रविधि है।
(2) इसकी एक अन्य उपयोगिता यह है कि अनुसंधानकर्ता की उपस्थिति के कारण इसमें प्रश्नों का सम्पूर्ण, वास्तविक तथा स्पष्ट उत्तर मिल जाता है।
(3) इस प्रविधि की एक उपयोगिता यह भी है कि इसमें मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी हो जाता है। प्राय: साक्षात्कार आदि में व्यक्ति संकोच करता है परन्तु अनुसूची में ऐसी कोई समस्या नहीं आती है।
(4) चूंकि अनुसंधानकर्ता उत्तरदाता के पास उपस्थित रहता है अतः अनुसंधानकर्ता के व्यक्तित्व का भरपूर प्रयोग होता है, उत्तरदाता आलस्यवश प्रश्नों को टाल नहीं देता है।
(5) अनुसूची के माध्यम से अनुसन्धानकर्ता की अवलोकन शक्ति में पर्याप्त वृद्धि हो जाती है।
(6) अनुसूची की प्रविधि सीमित व प्रासंगिक तथ्यों का ही संग्रह करती है। इस प्रकार अनावश्यक अध्ययन से बचाव हो जाता है।
(7) अनुसूची की एक उपयोगिता यह भी है कि इसमें प्रत्युत्तर लिखित होने के कारण रिपोर्ट में त्रुटि नहीं होती है।
(8) प्रश्नावली आदि की तुलना में अनुसूची प्रविधि द्वारा प्राप्त प्रत्युत्तरों की संख्या कहीं बहुत ज्यादा होती है।
(9) इस प्रविधि में सूचना संकलन सरल, रोचक तथा आकर्षक होता है।
अनुसूची के आवश्यक स्तर
अनुसूची द्वारा सामग्री प्राप्त करने के प्रमुख स्तर या चरण निम्नलिखित हैं-
1. उत्तरदाताओं का चयन- अनुसूची का प्रयोग करने में पूर्व उत्तरदाताओं का चयन किया जाता है, जिसके माध्यम से सूचना एकत्र करनी होती है। इसके अन्तर्गत दो प्रकार की प्रणालियों को अपनाया जा सकता है—संगणन पद्धति और निदर्शन पद्धति। जहाँ समूह के सभी व्यक्तियों का साक्षात्कार करके अनुसूची को भरा जाता है, उसमें संगणना पद्धति होती है। संगणना पद्धति को अपनाने से पूर्व अनुसन्धानकर्ता देख लेता है कि अध्ययन समस्या की प्रकृति किस प्रकार की है। वह समूह को कई उप-समूहों में भी विभाजित कर सकता है। इसके बावजूद भी उन सबके स्तरों को अनुसूची में स्थान नहीं दे सकता तो निदर्शन पद्धति को काम में लाया जाता है। निदर्शन पद्धति द्वारा कुछ उत्तरदाताओं का चयन कर उनका साक्षात्कार कर लिया जाता है और उनमें प्राप्त सूचनाओं को अनुसूचियों में भर दिया जाता है। चुने हुए व्यक्तियों का पूरा ब्यौरा तुरन्त लिख लिया जाता है तथा इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि उत्तरदाता उपलब्ध होंगे अथवा नहीं। उनसे सम्पर्क बनाकर रखा जाता है।
2. जाँच कर्त्ताओं का चयन एवं प्रशिक्षण- यदि साक्षात्कारदाताओं की संख्या अधिक हो तो अनुसन्धानकर्ता कुछ ऐसे जाँचकर्त्ताओं का चयन कर सकता है, जो बड़ी ही कुशलता, सूझबूझ धैर्य और होशियारी से अनुसूची में साक्षात्कार द्वारा सूचना को भर सकते हों। उनके चयन में अनुसन्धानकर्ता को बड़ी सावधानी रखनी पड़ती है, क्योंकि बिना अनुभव वाले जाँचकत्ताओं का चयन करने पर वे अनुपयुक्त सिद्ध होते हैं तथा अनुसान्धान कार्य सही रूप में संचालित होने में कठिनाई होती है। अत: उन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उनके लिए प्रारम्भिक प्रशिक्षण शिविर होने चाहिए ताकि उन्हें अध्ययन की प्रकृति, क्षेत्र, उद्देश्य अनुसूचियों को भरने के तरीके साक्षात्कार के तरीके, कौन-सी सूचनाओं की प्राथमिकता देना आदि बातों का ज्ञान एवं प्रशिक्षण दिया जा सके।
3. तथ्य सामग्री का संकलन – तथ्य सामग्री के संकलन के लिए अध्ययनकर्ता को साक्षात्कार करने के लिए निश्चित स्थान पर जाना पड़ता है। उत्तरदाताओं से सूचना प्राप्त करके उसे अनुसूची में भरना होता है, लेकिन इसके लिए एक क्रमिक प्रक्रिया को अपनाना पड़ता है, जो कि निम्नलिखित हैं-
(अ) सूचनादाताओं से सम्पर्क- साक्षात्कार द्वारा सूचना प्राप्त करने में पूर्व सूचनादाताओं से सम्पर्क करना होता है। सम्पर्क स्थापित करने में क्षेत्रीय कार्यकर्त्ताओं को कुशलता, चतुरता धैर्य व शान्ति से काम लेना पड़ता है। यदि प्रारम्भ में ही कार्यकर्ता सूचनादाता को प्रभावित नहीं कर पाता तो उसमें सूचना प्राप्त करना कठिन हो जाता है। यदि सूचनादाता के मन में कार्यकर्त्ता के प्रति कुछ गलत धारणा या कोई संशय पैदा हो गया तो ऐसी स्थिति में सूचना प्राप्त करना बिल्कुल असम्भव है। अतः कार्यकर्त्ता को चाहिए कि वह बड़े हो प्रभावशाली ढंग से अपना परिचय दे तथा अपनी मधुर वाणी और सौम्य स्वभाव से उसका हृदय जीत ले। उसे बड़ा ही नम्र ढंग से अभिवादन करके उसके स्वभाव, आदतों एवं व्यवहार के साथ तारतम्य स्थापित करना चाहिए। अतः उसे ऐसी स्थिति उत्पन्न करनी चाहिए कि सूचनादाता स्वयं उत्साहित होकर सूचना दे। इसीलिए कार्यकर्त्ता को उसके बारे में संक्षिप्त जानकारी पहले ही कर लेनी चाहिए। यदि सूचनादाता किसी काम में व्यस्त हो गया हो तो उसके काम में विघ्न पहुँचाना चाहिए। उसे धैर्य रखकर समयानुकूल दशा में ही प्रश्न पूछने चाहिए।
(ब) साक्षात्कार – साक्षात्कार करना सूचनाओं से सम्पर्क स्थापित करने के समान ही कठिन कार्य है। साक्षात्कार करते समय अनुसन्धानकर्त्ता को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह प्रश्नों की बौछार न कर दे। उसका उद्देश्य साक्षात्कारदाता से अधिक से अधिक विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करना होता है। यह तभी सम्भव हो सकता है जब अनुसन्धानकर्ता एक स्वाभाविक में सूचनादाता के मनोभावों को ध्यान में रखते हुए सूचना प्राप्त करना है। बीच में थोड़ा रुककर कुछ इधर-उधर की बातें करनी चाहिए ताकि सूचनादाता की अभिरुचि बनी रहे। साक्षात्कार को रोचक बनाने के लिए कुछ हँसी-मजाक की बात भी कर लेनी चाहिए ताकि सूचनादाता, साक्षात्कार को कोई बोझ न समझ कर एक रुचिपूर्ण भेट समझे ।
(स) सूचना प्राप्त करना – साक्षात्कारकर्त्ता को अनुसूची में एक एक करके प्रश्न कर सूचना प्राप्त करनी चाहिए। लेकिन साक्षात्कारदाता के दिमाग में यह आशंका पैदा न हो। कि अनुसनधानकर्ता उससे कोई गुप्त जानकारी प्राप्त कर रहा है या उसे किसी उलझन में डाल रहा है। यदि उत्तरदाता सूचना देते समय मुख्य विषय से हट जाता है तो उसे स्थिति में बड़ी सावधानीपूर्वक उसका ध्यान मुख्य विषय की ओर केन्द्रित करना चाहिए या उसे साक्षात्कार के बीच में कुछ अन्य बातें करके बन्द कर देना चाहिए। अनुसन्धानकर्ता या अध्यनकर्ता को चाहिए कि वे सटीक एवं स्पष्ट प्रश्नों का निर्माण करें।
उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि अनुसूची सूचनाओं को एकत्रित करने का एक अध्ययन यन्त्र है, जिसमें समस्या से सम्बन्धित प्रश्न व सारणियाँ ऐसी होती हैं, जिनसे अध्ययनकर्ता स्वयंअध्ययन क्षेत्र में जाकर सम्बन्धित व्यक्तियों का साक्षात्कार कर सकता है।
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