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भारतीय संविधान की 20 प्रमुख विशेषताएँ
प्रत्येक संविधान के प्रारम्भ में सामान्यतया एक प्रस्तावना होती है, जिसके द्वारा संविधान के मूल उद्देश्यों एवं लक्ष्यों को स्पष्ट किया जाता है। यह संविधान का सबसे मूल्यवान अंग होने के कारण संविधान की आत्मा, कुंजी तथा मानदण्ड है जिसके आधार पर ही संविधान का मूल्यांकन किया जाता है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना संविधान में जुड़ा हुआ एक श्रेष्ठ आभूषण है। यह भारत के प्रजातांत्रिक गणतंत्रात्मक राज्य का एक संक्षिप्त, किन्तु सारपूर्ण घोषणा पत्र है। संविधान के गौरवपूर्ण मूल्यों को संविधान में इस प्रकार समाहित किया गया है कि यह इसकी मूल भावना को अधिक स्पष्ट कर देता है । वर्तमान में इसकी प्रस्तावना इस प्रकार है-
“हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक न्याय दिलाने के लिए तथा विचार-अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म एवं उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवम्बर, 1949 (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल नवमी संवत् 2006 विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित तथा आत्मार्पित करते हैं। “
“We the people of India-Having solemnly resolved to constitute India into a Sovereign, Domecratic, Republic and to secure to all its citizens justice, social, economic and political, liberty of thought expression, belief, faith and worship: equality of status and of opportunity, and to promote among them all fraternity assuring the duignity of the individual and the unity of the Nation, in our constituent assembly, this twenty sixth day of Novermber, 1949 to hereby adopt, enact and give to ourselves this constitution.”
भारतीय संविधान की विशेषताएँ (Characteristics of Indian Constitution)
भारतीय संविधान में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं-