सुचेता कृपलानी का जीवन परिचय (Biography of Sucheta Kriplani in Hindi)– विरले ही होते हैं, जो जन्म से ही महान होते हैं। जाहिर है कि जन्म से महान बनने वाले व्यक्ति किसी विशेष कुल में जन्म लेने के कारण ही महानता का वरण करते हैं। तथापि सामान्य तौर पर प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के कार्यकलापों के माध्यम से ही महानता तक की यात्रा को पूर्ण करता है। सुचेता कृपलानी भी ऐसा ही एक नाम है।
नाम | सुचेता कृपलानी |
वास्तविक नाम | सुचेता मजूमदार |
जन्मतिथि | 25 जून 1904 |
जन्मस्थान | अम्बाला,पंजाब |
पिता | सुरेन्द्रनाथ मजुमदार |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विख्यात स्वाधीनता सेनानी एवं उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री कृपलानी का जन्म 25 जून, 1908 को पंजाब के अंबाला नगर में हुआ था। इनके पिता डॉ. एस.एन. मजूमदार पंजाब सरकार के चिकित्सा विभाग में थे। सुचेता ने सेंट स्टीफेंस महाविद्यालय दिल्ली से इतिहास व राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की, फिर शिक्षिका के बतौर अपना जीवन शुरू किया।
कुछ समय तक लाहौर के एक उच्च विद्यालय में पढ़ाने के पश्चात् सुचेता काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आ गईं। यहां ये 1939 तक शिक्षणकार्य करती रहीं। अपने विख्यात चचेरे भाई (क्रियात्मक कार्यकर्ता) धीरेंद्र मजूमदार के कारण इनका परिचय आचार्य कृपलानी से हुआ। फिर 1936 में 28 वर्ष की सुचेता ने 48 वर्ष के आचार्य कृपलानी से शादी कर ली।
आचार्य कृपलानी तब कांग्रेस के महासचिव भी थे। कुछ समय पश्चात् सुचेता भी वाराणसी से इलाहाबाद आकर कांग्रेस संगठन के कार्यों को देखने लगीं व कांग्रेस के महिला संगठन की जिम्मेदारी ग्रहण की। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में इन्हें दो वर्ष की जेल की सजा काटनी पड़ी। 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में इन्होंने भूमिगत रहते हुए जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया और अरुणा आसफ अली के साथ कार्य किया और 1944 में ही गिरफ्तार की जा सकीं। 1945 में जेल से रिहाई के पश्चात् सुचेता ‘कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट’ की सचिव बनाई गईं। 1946 में ये उत्तर प्रदेश से संविधान परिषद की सदस्या चयनित हुईं।
आजादी के पश्चात् पं. जवाहरलाल नेहरू से वैचारिक मतभेद हो जाने पर आचार्य कृपलानी ने कांग्रेस त्याग दी, किंतु सुचेता कांग्रेस में मौजूद रहीं। 1959 में ये कांग्रेस की महामंत्री और 1962 में उत्तर प्रदेश की मंत्री भी बनीं। 1963 में चंद्रभानु गुप्त ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दिया तो सुचेता कृपलानी मुख्यमंत्री बनीं। सुचेता कृपलानी ने समाजसेवा के कार्यों में विशेष रुचि दर्शाई। इसके लिए इन्होंने ‘लोक कल्याण समिति’ भी गठित की थी। 1949 में संयुक्त राष्ट्र संघ और 1952 में जर्मनी में आयोजित विश्व शांति सम्मेलन में इन्होंने भारतीय प्रतिनिधि स्वरूप हिस्सा लिया। 1971 से ये सार्वजनिक जीवन से पृथक हो गईं और 66 वर्ष की उम्र में 1974 में इनका निधन हो गया।
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