विजयलक्ष्मी पंडित का जीवन परिचय (Biography of Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi)- नेहरू परिवार ने देश को कई चमत्कारिक व्यक्तित्व प्रदान किए हैं। उनमें विजयलक्ष्मी पंडित का नाम भी शामिल किया जाता है, लेकिन भारतीय राजनीति का शायद यह स्वार्थपूर्ण स्वरूप ही है कि नेहरू परिवार के सभी सदस्यों को कांग्रेस ने समान आधार पर महिमामंडित नहीं किया। आज मेनका गांधी व इनके पुत्र की स्थिति देखी जा सकती है। राजनीति में ‘रिश्ते’ भी स्थाई नहीं होते हैं, फिर राजनीतिक रिश्तों की बात करना तो बेमानी ही है। विजयलक्ष्मी पंडित की सक्रियता के समय में इनके भाई जवाहरलाल नेहरू की चमक संपूर्ण भारत में थी और इनका निधन होने के पश्चात् इंदिरा गांधी के राजनीतिक समीकरण बने और विजयलक्ष्मी पंडित को हाशिए पर डाल दिया गया।
अनुक्रम (Contents)
विजय लक्ष्मी पंडित का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान
नाम | विजय लक्ष्मी पंडित (Vijay Laxmi Pandit) |
जन्म की तारीख | 18 अगस्त |
जन्म स्थान | इलाहाबाद , उत्तर-पश्चिमी प्रांत , ब्रिटिश भारत |
निधन तिथि | 01 दिसम्बर |
माता व पिता का नाम | स्वरुप्रानी थसु / मोतीलाल नेहरू |
उपलब्धि | 1953 – संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष |
पेशा / देश | महिला / राजनीतिज्ञ / भारत |
उपरोक्त भूमिका से अर्थ ग्रहण करके इनकी जीवनी पर नजर दौड़ाई जाए तो राजनीतिज्ञ, स्वाधीनता सेनानी व देश की प्रमुख महिला नेत्री विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त, 1900 को पंडित मोतीलाल नेहरू की पुत्री के रूप में हुआ था। ये जवाहरलाल नेहरू की सहोदर थीं। इन्होंने संपूर्ण शिक्षा अंग्रेज शिक्षिका से घर पर ही प्राप्त की। 1919 में जब गांधी जी आनंद भवन में आकर ठहरे, तब विजयलक्ष्मी भी इनके चुंबकीय प्रभाव में आईं और असहयोग आंदोलन में शामिल हो गईं। इसी दौरान 1921 में बैरिस्टर रणजीत सीताराम पंडित से इनका विवाह संपन्न हो गया।
आंदोलन करने के कारण ये 1932 में गिरफ्तार भी की गईं। 1937 के मतदान में विजयलक्ष्मी उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्या चुनी गईं और इन्होंने भारत की प्रथम महिला मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने पर मंत्रिपद छोड़ते ही इन्हें पुनः जेल में डाल दिया गया। रिहा होने पर 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में ये पुनः गिरफ्तार हुईं, किंतु बीमारी के कारण 9 माह पश्चात् ही रिहा कर दी गईं। 1944 में इनके पति का निधन हो गया।
1945 में विजयलक्ष्मी अमेरिका गईं और अपने ओजस्वी संबोधनों से इन्होंने भारत की आजादी के पक्ष में जोरदार तकरीर की। 1946 में ये फिर से उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्या और राज्य सरकार में मंत्री बनीं। आजादी के पश्चात् इन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि मंडल की अगुवाई की और संघ की महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष भी चुनी गईं। इन्होंने रूस, अमेरिका, मैक्सिको, आयरलैंड और स्पेन में भारत के राजदूत का और इंग्लैंड में उच्चायुक्त का कार्य किया। 1952 और 1964 में ये लोकसभा की सदस्या भी रहीं और कुछ समय तक महाराष्ट्र में बतौर राज्यपाल भी रहीं। ये देश-विदेश के कई महिला संगठनों की सदस्या थीं। अंतिम समय में ये केंद्र की कांग्रेस सरकार की नीतियों की कटु आलोचना करने लगी थीं। 1990 में इनका निधन हो गया। अतः इनके जीवन से ज्ञात होता है कि कांग्रेस में इनका जो भी महत्व था, वह सीमित स्तर का ही था। रिश्तों में राजनीति आए या राजनीति के रिश्ते हों, क्षति सदैव रिश्तों की ही होती हैं, वरना अपने अंतिम समय में विजयलक्ष्मी पंडित को कांग्रेस की आलोचना करने की कोई जरूरत ही नहीं थी, क्योंकि कोई भी राजनीतिज्ञ अपनी ही पार्टी की निंदा जो नहीं करता।
विजय लक्ष्मी पंडित प्रश्नोत्तर (FAQs):
विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म कब हुआ था?
विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को इलाहाबाद , उत्तर-पश्चिमी प्रांत , ब्रिटिश भारत में हुआ था।
विजय लक्ष्मी पंडित क्यों प्रसिद्ध हैं?
विजय लक्ष्मी पंडित को 1953 में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है।
विजय लक्ष्मी पंडित की मृत्यु कब हुई थी?
विजय लक्ष्मी पंडित की मृत्यु 01 दिसम्बर 1990 को हुई थी।
विजय लक्ष्मी पंडित के पिता का क्या नाम था?
विजय लक्ष्मी पंडित के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था।
विजय लक्ष्मी पंडित की माता का नाम क्या था?
विजय लक्ष्मी पंडित की माता का नाम स्वरुप्रानी थसु था।
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