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शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन (Branching Programmed Instruction)
रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन में विद्यार्थी को प्रत्येक फ्रेम को पढ़ना पड़ता था। इसकी आवश्यकता न हो तो इसे रेखीय न कह कर शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन कहते हैं। इस प्रकार की व्यवस्था में विद्यार्थी को एक फ्रेम पढ़ने को कहा जाता है। फिर प्रश्न का उत्तर तीन या चार विकल्पों में से एक को चुनना होता है, चूँकि केवल एक उत्तर ही सही उत्तर होता है, विद्यार्थी को गलत उत्तर चुनने पर उसका निदान करने के लिए शाखाओं में होकर पढ़ना पड़ता है। सही उत्तर चुनने पर वह अगले फ्रेम पर पहुँच जाता है। यह अग्र उदाहरण से स्पष्ट हो सकेगा-
उक्त चित्र से यह स्पष्ट है कि फ्रेम संख्या-1 में पूछे गये प्रश्न के तीन उत्तर क्रमशः ए, बी व सी हैं। इनमें ए और बी विकल्प गलत हैं। यदि छात्र इसमें से कोई एक चुनता है तो वह एक के लिए 1(ए) फ्रेम तथा बी के लिए 1 (बी) फ्रेम को पढ़ेगा तथा वहाँ यह समझेगा कि उसका यह उत्तर ठीक क्यों नहीं है ? वह पुनः फ्रेम-1 को पढ़ सही उत्तर ढूँढेगा। यदि वह सी अर्थात् सही उत्तर को चुनता है तो उसे शाखाओं में जाने की आवश्यकता नहीं है, वह सीधे ही फ्रेम संख्या 2 पर आ जाता है। इस प्रकार वह त्रुटि करने पर बार-बार उपचारात्मक शिक्षण के लिए शाखाओं के फ्रेम में पढ़ता है। चूँकि इसमें शाखाओं (Branching) की व्यवस्था है, इसलिए इसे शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन कहते हैं।
शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन के प्रतिपादक नार्मन ए० क्राउडर (Norman A. Crowder) हैं। इस कारण इसे कभी-कभी क्राउडेरियन अनुदेशन भी कहते हैं। इसमें विद्यार्थी अपने पढ़ने की दिशा स्वयं निर्धारित करता है अर्थात् त्रुटि करने पर वह शाखाओं में तथा न करने पर अगले फ्रेम का अध्ययन करता है चूँकि यह निर्णय आन्तरिक (Instrinsic) है अतः इसे आन्तरिक अनुदेशन (Instrinsic Instruction) भी कहते हैं।
शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन की विशेषताएँ (Characteristics of Branching Programmed Instruction)
1. इसमें लिया गया फ्रेम का आकार अपेक्षाकृत बड़ा होता है।
2. शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन में विद्यार्थी को प्रश्न का उत्तर स्वयं निर्मित नहीं करना पड़ अपितु उसे दिए गए विकल्पों में से चुनना पड़ता है। चुनने में उसे सरलता रहती है।
3. इसमें कई विकल्पों में से उसे सही विकल्प को चुनना होता है, इससे विद्यार्थी की ताकि शक्ति का विकास होता है।
4. शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन में यह बताया जाता है कि विद्यार्थी गलत क्यों है ? उर स्पष्टीकरण से उसे अपनी त्रुटि का आभास भी होता है।
5. प्रतिभावान छात्रों के लिए यह समय की बचत करता है।
6. शाखीय-अभिक्रमित अनुदेशन में विद्यार्थी की क्षमताओं को अधिक महत्त्व प्रदान किया गया है।
शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन की मान्यताएँ (Assumptions Underlying Branching Programmed Instruction)
यह चार मान्यताओं पर आधारित है-
1. जो फ्रेम बालक को पढ़ने के लिए प्रस्तुत किया जाता है उसको पढ़ने से छात्र उसे समझ
लेगा।
2. त्रुटियाँ सीखने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बालक द्वारा की जाने वाली त्रुटियों को ढूँढना तथा उनका निवारण करने से अधिगम अधिक प्रभावी होगा।
3. शाखीय-अभिक्रमित अनुदेशन पद्धति लचीली होने के कारण सभी स्तर के छात्र इससे लाभान्वित हो सकते हैं।
4. शाखीय-अभिक्रमित अनुदेशन में बालक तुलना करना व भेद करना सीखता है।
शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन की सीमाएँ (Limitations of Branching Programmed Instruction)
शाखीय-अभिक्रमित अनुदेशन की निम्न सीमाएँ हैं-
1. बालक कभी-कभी बिना पढे ही सही उत्तर को छाँट सकता है।
2. इस प्रकार के अनुदेशन का निर्माण किया जाना बहुत कठिन कार्य है।
3. इसमें पृष्ठ की संख्या अधिक होने से यह महँगा व विस्तृत हो जाता है।
4. यह बड़ी कक्षाओं के लिए उपयोगी है।
5. इस प्रकार के अधिगम से पूरी पुस्तक पढ़ाया जाना सम्भव नहीं है।
6. यह मन्द बुद्धि छात्रों के लिए उपयोगी नहीं है।
7. इसमें बार-बार पन्ने पलटने से विद्यार्थी शीघ्र ऊब सकता है।
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