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ब्रोंफेनब्रेनर का पारिस्थितिक सिद्धांत | Bronfenbrenner’s Ecology Theory in Hindi

ब्रोंफेनब्रेनर का पारिस्थितिक सिद्धांत (Bronfenbrenner’s Ecology Theory)

ब्रोंफेनब्रेनर का पारिस्थितिक सिद्धांत- पारिस्थितिकी सिद्धान्त को मानव पारिस्थितिकी सिद्धान्त (Human Ecology Theory) के नाम से भी जाना जाता है। इस सिद्धान्त के माध्यम से मनोवैज्ञानिक समुदाय और समाज से व्यक्ति के सन्दर्भों के सम्बन्ध का अध्ययन करते हैं। यह सिद्धान्त ब्रॉनफेनब्रेनर (Urie Bronfenbbrenner) द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इस सिद्धान्त के अनुसार पाँच पर्यावरणीय प्रणालियाँ होती हैं, जिनके द्वारा व्यक्ति अन्तर्क्रिया करता है।

पाँच प्रणालियाँ (The five systems) – नीचे दिये गये चित्र के माध्यम से ब्रॉनफेनब्रेनर द्वारा वर्णित पाँचों पर्यावरणीय प्रणाली को प्रस्तुत किया जा रहा है।

ब्रोंफेनब्रेनर का पारिस्थितिक सिद्धांत

ब्रोंफेनब्रेनर का पारिस्थितिक सिद्धांत

1. माइक्रो प्रणाली (Micro System) – इस प्रणाली के अन्तर्गत वे समूह और संस्थायें हैं जो बालक के विकास पर त्वरित तथा सीधा प्रभाव डालते हैं-परिवार, विद्यालय, धार्मिक संस्थायें, पड़ोस तथा साथी।

2. मेसो प्रणाली (Meso System) – इस प्रणाली के अन्तर्गत हैं-

(i) माइक्रो प्रणालियों के मध्य अन्तर्सम्बन्ध।

(ii) परिवार और अध्यापकों के बीच अन्तक्रिया।

(iii) बच्चे के साथी और परिवार के बीच सम्बन्ध।

3. एक्सो प्रणाली (Exo System) – इस प्रणाली में व्यक्ति का सामाजिक प्रतिमानों से सम्बन्ध होता है, जिसमें व्यक्ति की कोई सक्रिय भूमिका नहीं होती, जैसे-किसी बच्चे या माता-पिता का घर में वैसा ही व्यवहार होने लगता है जैसा उन लोगों ने दूसरे माता-पिता या बच्चे को करते देखा है। इससे विविध प्रकार के परिवर्तन दृष्टिगोचर हो सकते हैं, जैसे- माता-पिता बच्चों पर अधिक निगाह रखने लगें, माता-पिता दूसरे बच्चों के माता-पिता से झगड़ा करने लगें, अपने बच्चों से व्यवहार का तरीका बदल जाये।

4. मैक्रो प्रणाली (Macro System) – यह प्रणाली उस संस्कृति को प्रदर्शित करती हैं, जिसमें व्यक्ति रहता है। विकासशील और औद्योगिक देश, सामाजिक-आर्थिक स्तर, निर्धनता और प्रज्ञानियता संस्कृति में निहित होते हैं। बालक, उसके माता-पिता, उसका विद्यालय, उसके माता-पिता का कार्यस्थल व्यापक सांस्कृतिक सन्दर्भ का हिस्सा हैं। किसी सांस्कृतिक समूह के सभी लोग समान पहचान, परम्परायें और मूल्य धारण करते हैं। आने वाली प्रत्येक नई पीढ़ी माइक्रो प्रणाली को समय के साथ परिवर्तित कर सकती है, एक विशिष्ट माइक्रो प्रणाली को जन्म दे सकती है।

5. क्रोनो प्रणाली (Chrono System) – इस प्रणाली में सामाजिक ऐतिहासिक परिस्थितियों में बदलाव होता है, जैसे- वर्तमान में महिलाओं में अपने कैरियर के प्रति जागरूकता आयी है, महिलायें घर से बाहर निकलकर आर्थिक जगत में पैर रख रही है। व्यक्ति की अपनी जैविक विशेषतायें माइक्रो प्रणाली का हिस्सा हो सकती है, इसीलिए इस सिद्धान्त को कभी-कभी ‘जैव-पारिस्थितिकी प्रणाली सिद्धान्त’ (Bio-Ecological System Theory) भी कहते हैं।

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shubham yadav

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