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वैयक्तिक अध्ययन पद्धति का अर्थ एवं परिभाषा
सामाजिक अनुसंधान में वैयक्तिक अध्ययन पद्धति समंकों को एकत्रित करने की सर्वाधिक प्रचलित पद्धति है। इस पद्धति का सर्वप्रथम प्रयोग हर्बट स्पेन्सर ने किया था। इसके पश्चात् लिप्ले ने इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया।
वैयक्तिक अध्ययन का अर्थ कई बार किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन के अध्ययन से लगाया जाता है। जो कि सही नहीं है। यह किसी भी सामाजिक इकाई चाहे व्यक्ति हो या संपूर्ण समुदाय सभी का विस्तृत अध्ययन है। इसकी प्रमुख परिभाषायें इस प्रकार हैं-
1. गुडे एवं हॉट (Goode and Hatt)- के अनुसार ‘वैयक्तिक विषय अध्ययन सामाजिक तथ्यों को संगठित करने का ढंग है जिससे अध्ययन किये जाने वाले विषय के एकात्मक स्वभाव का संरक्षण हो सके। थोड़े से भिन्न रूप में यह एक विधि है जिसमें किसी सामाजिक इकाई को एक समग्र के रूप में देखा जाता है।”
2. जिन-पाओ-यांग (Hsin-Pao-Vang)- के अनुसार “वैयक्तिक विषय अध्ययन की परिभाषा इकाई के गहन एवं संपूर्ण अध्ययन के रूप में दी जा सकती है, जिसमें अनुसंधानकर्ता अपनी पूर्ण कुशलता और सभी उपलब्ध विधियों का प्रयोग करता है अथवा वह किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में पर्याप्त सूचनाओं का संकलन करके यह ज्ञात करता है कि वह समाज की इकाई के रूप में किस प्रकार कार्य करता है या करती है।”
3. श्रीमती पी. वी. यंग (P. V. Young)- के अनुसार “वैयक्तिक विषय किसी एक सामाजिक इकाई चाहे वह एक व्यक्ति या परिवार, संस्था सांस्कृतिक समूह अथवा समुदाय के जीवन के अन्वेषण एवं विवेचन करने की विधि को कहते हैं।”
वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की विशेषताएं
(1) अध्ययन की एक विशिष्ट इकाई- इसके अन्तर्गत एक या कुछ विशिष्ट इकाइयों का अध्ययन किया जाता हैं। जैसे- व्यक्ति, परिवार, जाति, संस्था अथवा सम्पूर्ण समुदाय आदि। इसकी इकाई सम्बन्ध तथा प्रक्रिया भी हो सकती हैं।
(2) सम्पूर्ण अध्ययन- इस पद्धति में किसी घटना अथवा इकाई के समस्त पहलुओं का अध्ययन किया जाता हैं। इसमें इकाई के समस्त जीवन को ही अध्ययन का केन्द्र बनाया जाता हैं।
(3) गुणात्मक अध्ययन- वैयक्तिक अध्ययन में गुणात्मक अध्ययन किया जाता है न कि संख्यात्मक। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि इकाई के सम्बन्ध में आँकड़ों और संख्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है, निष्कर्ष भी संख्याओं में प्रकट नहीं किए जाते हैं। इसमें इकाई का जीवन – इतिहास और वर्णनात्मक उल्लेख तैयार किया जाता हैं।
(4) गहन अध्ययन- इस पद्धति के अन्तर्गत इकाई के सम्बन्ध में सूक्ष्म एवं गहन जानकारी प्राप्त की जाती हैं। सम्बन्धित इकाई का अध्ययन भूतकाल से लेकर वर्तमान काल तक किया जाता हैं। इसमें धन एवं समय अधिक लगता हैं।
वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के महत्व/उपयोगिता
सामाजिक शोध में प्रयोग की जाने वाली अनेक अन्य प्रविधियों के समान वैयक्तिक विषय अध्ययन पद्धति का भी अपना विशेष महत्व है। वैयक्तिक अध्ययन पद्धति की प्रमुख विशेषता या महत्व इस प्रकार है।
वैयक्तिक विषय अध्ययन की प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार हैं-
1. गुणात्मक अध्ययन (Qualitative Study)- वैयक्तिक विषय अध्ययन किसी सामाजिक इकाई के विभिन्न पक्षों के बारे में गुणात्मक सूचनायें एकत्रित करने से सम्बन्धित है। इसका परिमाणात्मक आंकड़ों से कोई सम्बन्ध नहीं है।
2. गहन अध्ययन (Intensive Study)- वैयक्तिक विषय अध्ययन सामाजिक इकाई का संपूर्ण पहलुओं के संदर्भ में सभी दृष्टिकोणों द्वारा किया गया अध्ययन है अतः यह इकाई के विस्तृत एवं गहन अध्ययन से सम्बन्धित मुख्य विधि है।
3. अध्ययन की विशेष इकाई (Specific Unit of Study)- वैयक्तिक विषय अध्ययन किसी एक विशेष सामाजिक इकाई का अध्ययन है। यह इकाई कोई व्यक्ति, उसके जीवन की कोई घटना, परिवार, जाति या अन्य कोई समूह (जैसे राजनीतिक दल आदि), संपूर्ण समुदाय, राष्ट्र, कोई ऐतिहासिक घटना अथवा कोई सामाजिक संस्था जैसे कचहरी, चर्च, औद्योगिक संगठन अथवा कोई सरकारी विभाग हो सकती है।
4. ऐतिहासिक अध्ययन (Historical Study)- वैयक्तिक विषय अध्ययन में इकाई का अध्ययन न केवल एक लम्बे समय तक चलता है अपितु भूतकाल में उस इकाई की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान स्थिति तक का ऐतिहासिक विवेचन भी किया जाता है ताकि उचित निष्कर्ष निकालने योग्य पर्याप्त एवं निर्भर योग्य सूचनायें संकलित हो सकें।
5. कारकों का अध्ययन (Study of Causal Factors)- वैयक्तिक विषय अध्ययन में किसी इकाई की प्रकृति को पूर्ण रूप से समझने का प्रयास किया जाता है। यह इकाइयों के विशेष प्रकार के कार्य या व्यवहार करने के कारणों को समझने में उपयोगी विधि है। इसके द्वारा हम जान सकते हैं कि कौन सी परिस्थितियों में व्यक्ति किस प्रकार का व्यवहार करता है।
6. अनेक स्रोतों तथा प्रविधियों का प्रयोग (Use of Varied Sources and Techniques)- वैयक्तिक विषय अध्ययन अन्य प्रविधियों से इस दृष्टि से भिन्न है कि इसमें हम इकाई के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये विविध प्रकार के स्रोतों एवं प्रविधियों का प्रयोग करते हैं। हर सम्भव स्रोत एवं प्रविधि इकाई के विभिन्न पक्षों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
वैयक्ति अध्ययन के प्रकार
1. व्यक्ति का अध्ययन-व्यक्ति के वैयक्तिक अध्ययन में किसी मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन अथवा जीवन की किसी महत्वपूर्ण घटना का अध्ययन किया जाता है। व्यक्ति के परिवार के सदस्यों उससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित व्यक्तियों तथा संगठनों के सदस्यों एवं स्वयं व्यक्ति से उसके विषय में आवश्यक सूचना एकत्रित की जाती है। साक्षात्कार के अतिरिक्त व्यक्ति के व्यक्तिगत पत्रों, डायरियों, आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, लेख आदि लिखित स्रोतों (Documentary Sources) का भी उपयोग किया जाता है।
2. समुदाय का अध्ययन- वैयक्तिक अध्ययन के इस दूसरे प्रकार में किसी सामाजिक समूह, वर्ग अथवा समुदाय का सम्पूर्ण, अथवा किसी भाग या पहलू का अध्ययन किया जाता है। समुदाय के आन्तरिक जीवन का सर्वांगीण अध्ययन एक कठिन कार्य है। तथ्य संकलन के लिये समुदाय के वैयक्तिक अध्ययन में भी उन्हीं स्रोतों का सहारा लेना होता है जो व्यक्ति के अध्ययन में उपयोगी हैं। समुदाय के वैयक्तिक अध्ययन में अनुभव, कौशल तथा सतर्कता की अत्यन्त आवश्यकता होती है।
वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के दोष अथवा सीमाएँ
1. यह अवैज्ञानिक विधि है, क्योंकि इसमें कुछ इकाइयों के अध्ययन के आधार पर ही निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
2. इसमें केवल कुछ इकाइयों का चयन करके ही अध्ययन किया जाता हैं।
3. यह अत्यधिक खर्चीली एवं अधिक समय लेने वाली पद्धति हैं।
4. इसका सामान्यीकरण दोषपूर्ण हैं।
5. इस विधि में निदर्शन का अभाव पाया जाता हैं
6. इसका जीवन- इतिहास दोषपूर्ण हैं।
7. वैयक्तिक विषयों में प्राप्त सामग्री को विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कई बार रिकार्ड अपूर्ण एवं त्रुटिपूर्ण होते हैं।
8. इसमें अध्ययनकर्ता आवश्यकता से अधिक विश्वास कर लेता हैं।
9. इसमें सामग्री की विश्वसनीयता की जाँच असम्भव हैं।
10. इस विधि में अनुसन्धानकर्ता के पक्षपात की सम्भवना रहती हैं।
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