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मानकीकृत अच्छी परीक्षा की विशेषताएँ (Characteristics of Standardized Good Examination)
मानकीकृत अच्छी परीक्षा की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i) वैधता (Validity)
एक अच्छी परीक्षा के लिए उसमें यथार्थता या वैधता का गुण वर्तमान होना आवश्यक है। किसी भी परीक्षा का निर्माण एक विशेष उद्देश्य से किया जाता है। फलतः जिस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए परीक्षा की रूपरेखा तैयार की जाती है, यदि उससे उस उद्देश्य की पूर्ति हो जाती है तो उसे वैध परीक्षा कहते हैं। स्कीनर के शब्दों में” एक अच्छे मापन को उसके लक्ष्य अथवा उस लक्ष्य के एक पक्ष को मापना चाहिए जिसके मापने का दावा उसका निर्माता करता है।” स्लेवीन ने भी कहा है कि, एक अच्छे परीक्षण में वैधता का गुण होना आवश्यक है। जो परीक्षण इच्छित सूचना को प्राप्त करने में सक्षम हो उसे वैध परीक्षण कहेंगे।
(ii) विश्वसनीयता (Reliability)
परीक्षा में विश्वसनीयता का गुण भी होना आवश्यक है। विश्वसनीय परीक्षा उसे कहते हैं जिससे एक योग्यता विशेष का मापन विभिन्न समय में एक ही सत्यता के साथ हो सके। परीक्षा की विश्वसनीयता की जाँच कई प्रकार से होती है। एक सहज तरीका यह है कि एक परीक्षा का उपयोग दो समय में किसी योग्यता विशेष को मापने के लिए किया जाता है। दोनों समय में प्राप्तांकों के बीच जितना ही अधिक सह-संबंध होता है वह परीक्षा उतनी ही अधिक विश्वसनीय होती है।
(iii) वस्तुनिष्ठता (Objectivity)
वस्तुनिष्ठता भी एक अच्छी परीक्षा का आवश्यक गुण है। यह वस्तुनिष्ठता प्रश्नों के अर्थ तथा प्रश्नोत्तरों के मूल्यांकन दोनों में होना अनिवार्य है। प्रश्नों का निर्माण ऐसा हो कि उनके अर्थों को समझने में किसी प्रकार का संदेह न हो । इसी तरह प्रश्नोत्तर के मूल्यांकन का आधार स्पष्ट और वैज्ञानिक हो ताकि विभिन्न समय में विभिन्न परीक्षकों द्वारा मूल्यांकन समान रूप से हो।
(iv) समग्रता
परीक्षा में समग्रता का गुण होना अति आवश्यक है। इसमें इतने प्रश्न होने चाहिए जिससे विद्यार्थियों के ज्ञानोपार्जन का मापन समग्र रूप से हो सके। इसके बिना परीक्षा का उद्देश्य पूरा होना बड़ा ही कठिन है। वस्तुनिष्ठ परीक्षा में यह गुण वर्तमान है। इसलिए यह परीक्षा निबंधात्मक परीक्षा से अधिक श्रेष्ठ समझी जाती है।
(v) व्यावहारिकता (Practicality)
एक अच्छी परीक्षा के लिए व्यावहारिकता एक आवश्यक गुण है। परीक्षा में यह गुण होना चाहिए कि उसका उपयोग आसानी से किया जा सके, विद्यार्थी प्रश्नों के अर्थ समझ सकें और प्रश्नों का मूल्यांकन सरल रूप से हो सके। ओर्मरोड ने कहा है कि “किसी परीक्षा या परीक्षण को उसी हद तक अच्छा माना जाता है, जिस हद तक वह आसान तथा कम खर्च का होता है।”
(vi) मानक (Norm)
परीक्षाफल की समुचित व्याख्या के लिए विशेष प्रकार के मानक की आवश्यकता होती है। मानक विभिन्न प्रकार के होते हैं; जैसे- श्रेणी-प्राप्तांक, आयु-प्राप्तांक, शतांशीय प्राप्तांक, तथा मानक प्राप्तांक। उच्च विद्यालय तथा विश्वविद्यालय के स्तरों पर शतांशीय प्राप्तांक तथा मानक प्राप्तांक का व्यापक रूप से उपयोग होता है। यदि किसी परीक्षण में मानक का अभाव हो तो उसे अच्छा परीक्षण नहीं कहा जाता है। यहाँ यह बात स्मरण रखना चाहिए कि परीक्षा अर्थात् शिक्षक निर्मित परीक्षण में केवल कामचलाऊ मानक ही उपलब्ध होता है। इसीलिए, इसे मानकीकृत परीक्षण, जिसमें मान का उपयोग किया जाता है, की तरह वैज्ञानिक नहीं माना जाता है।
इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि अच्छी परीक्षा अथवा शिक्षक निर्मित परीक्षण की उपर्युक्त विशेषताएँ हैं। मानकीकृत परीक्षण की तरह परीक्षा या शिक्षक निर्मित परीक्षण वैज्ञानिक नहीं होता है।
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