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निकष सन्दर्भित तथा मानक सन्दर्भित मापन की तुलना (Comparision between Criterion refernced and Norm refernced Measurement)
निकष संदर्भित मापन की विशेषताओं को ठीक ढंग से समझने के लिये यह आवश्यक होगा कि देखा जाय कि इस प्रकार का मापन संदर्भित मापन से किस प्रकार से भिन्न है। निकष संदर्भित मापन तथा मानक संदर्भित मापन में मुख्य भेद निम्नवत् हैं-
1. निकष संदर्भित मापन तथा मानक संदर्भित मापन में एक मुख्य अन्तर दोनों से प्राप्त सूचना की प्रकृति में होता है। निकष संदर्भित मापन में किसी छात्र के द्वारा अर्जित विशिष्ट शिक्षण उद्देश्यों को जाना जाता है जबकि मान संदर्भित मापन में किसी छात्र द्वारा किसी विषय में अर्जित कुल ज्ञान को ज्ञात किया जाता है। निकष संदर्भित मापन से प्राप्त परिणाम छात्र के द्वारा अर्जित उद्देश्यों अथवा योग्यताओं की सूची तथा अर्जित नहीं किये गये उद्देश्यों की सूची होती है। इसके विपरीत मानक संदर्भित मापन से प्राप्त परिणाम में उन प्रश्नों की संख्या होती है जिन्हें छात्र ने सही हल किया होता है।
2. इन दोनों प्रकार के मापन में दूसरा प्रमुख अन्तर परिणामों की व्याख्या से सम्बन्धित होता है। निकष सदर्भित परीक्षणों में व्याख्या का आधार सभी शिक्षण उद्देश्यों अथवा योग्यताओं के अर्जित करने से सम्बन्धित होता है। किसी छात्र की उपलब्धि का स्तर इस बात से जाना जाता है कि उसने निर्धारित उद्देश्यों को किस सीमा तक अर्जित किया है । इसके विपरीत मानक संदर्भित परीक्षणों में किसी प्राप्तांक की व्याख्या का आधार छात्र समूह की सामूहिक उपलब्धि होती है। किसी छात्र की उपलब्धि का स्तर समूह के अन्य छात्रों की उपलब्धि से तुलना करके निर्धारित किया जाता है।
3. दोनों प्रकार के मापन में तीसरा अन्तर प्रश्नों के वितरण से सम्बन्धित होता है। निकष संदर्भित परीक्षण में प्रश्न कुछ सीमित विशिष्ट उद्देश्यों के ऊपर केंन्द्रित रहते हैं जबकि मानक संदर्भित परीक्षणों में प्रश्न अनेक उद्देश्यों से सम्बन्धित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए 100 प्रश्नों वाले किसी निकष संदर्भित परीक्षण में 10-10 प्रश्न एक-एक विशिष्ट उद्देश्य के मान के लिये बनाये जा सकते हैं जबकि मानक संदर्भित परीक्षण में साधारणत: एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए केवल एक ही प्रश्न बनाते हैं।
4. निकष संदर्भित तथा मानक में एक अन्य अन्तर परीक्षणों से प्राप्त सूचना के उपयोग का है। निरुष संदर्भित परीक्षणों का प्रयोग अधिकांशतः शिक्षण विधियों की प्रभावशीलता की जानकारी करने से सम्बन्धित होता है तथा इनके द्वारा छात्रों के अधिगम को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है। जबकि मानक संदर्भित परीक्षण का उपयोग छात्रों की अधिगम सफलता को सापेक्षिक दृष्टि से इंगित करने के लिए किया जाता है।
निकष संदर्भित तथा मानक संदर्भित मापन में उपरोक्त वर्णित विभिन्नताओं के बाजवूद इनमें कुछ समानतायें भी होती हैं। इनकी कुछ समानतायें निम्नवत् हैं-
1. दोनों प्रकार के मापन वास्तव में एक ही प्रकार के कार्य को सम्पन्न करते हैं। निकष संदर्भित परीक्षण तथा मानक संदर्भित परीक्षण (NFTs) दोनों ही छात्रों की शैक्षिक सम्प्राप्ति का मापन करते हैं।
2. दोनों ही प्रकार मापन में प्रयुक्त किये जाने वाले विभिन्न प्रश्न प्रस्तुत कक्षा में की जानेवाली शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के उद्देश्यों से सम्बन्धित होते हैं।
3. दोनों ही प्रकार के परीक्षणों की रचना विधि मूलतः एक ही समान होती है अर्थात दोनों ही प्रकार के परीक्षणों में परीक्षण निर्माण के सभी आवश्यक सोपानों का अनुसरण किया जाता है।
4. दोनों ही प्रकार के परीक्षण की गुणवत्ता लगभग एक जैसे होती है अर्थात् दोनों प्रकार के परीक्षणों के लिए वस्तुनिष्ठता, विश्वसनीयता तथा वैधता का होना आवश्यक तथा महत्त्वपूर्ण है।
5. किसी भी प्रश्न को निकष परीक्षण (CRT) अथवा मानक संदर्भित परीक्षण (NRT) मे सम्मिलित किया जा सकता है। किसी प्रश्न के लिए यह कहना असम्भव सा कार्य है कि वह निकष संदर्भित प्रश्न है अथवा मानक संदर्भित प्रश्न है।
निकष संदर्भित परीक्षण किन परिस्थितियों में अधिक उपयोगी है तथा मानक संदर्भित परीक्षण किस परिस्थिति में अधिक उपयोगी है यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। सामान्यतः निकष संदर्भित परीक्षण किन्हीं विशिष्ट कार्यों अथवा योग्यताओं के सम्बन्ध में छात्रों में सफल अथवा असफल जैसे निर्णय लेने में अधिक सहायक सिद्ध हो सकते हैं। क्या छात्र किसी वाक्य में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया को इंगित कर सकता है ? क्या छात्र वर्गमूल ज्ञात कर सकता है ? क्या छात्र थर्मस फ्लास्ट की कार्य विधिक को स्पष्ट कर सकता है ? जैसे प्रश्नों का उत्तर निकष संदर्भित मापन से ही मिल सकता है। इसके विपरीत मानक संदर्भित परीक्षण किसी छात्र के द्वारा किसी विषय में अर्जित कुल ज्ञान का मापन करने में अधिक उपयोगी होते हैं। यद्यपि कभी-कभी मानक संदर्भित परीक्षणों के आधार पर भी उत्तीर्ण एवं अनुत्तीर्ण जैसे निर्णय लिये जाते हैं फिर भी इन परीक्षणों का उद्देश्य छात्रों की सापेक्षिक समग्र उपलब्धि का मापन करना होता है।
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