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पाठ्यक्रम पाठ्यवस्तु और पाठ्य-विवरण में अन्तर

पाठ्यक्रम पाठ्यवस्तु और पाठ्य-विवरण में अन्तर
पाठ्यक्रम पाठ्यवस्तु और पाठ्य-विवरण में अन्तर

पाठ्यक्रम पाठ्यवस्तु और पाठ्य-विवरण में अन्तर (Difference between Curriculum Syllabus and Course Study)

पाठ्यक्रम के लिए ‘करीक्युलम’ के साथ-साथ ‘सिलेबस’ (Syllabus) तथा ‘कोर्स ऑफ स्टडी’ शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है, किन्तु इन तीनों के स्वरूप में अन्तर है जिसमें से पाठ्यक्रम शब्द सबसे व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होता है अत: इनमें अन्तर समझने से पूर्व सबके प्रत्यय पर एक दृष्टि डालनी होगी।

पाठ्यक्रम के अन्तर्गत वे सभी अनुभव अन्तर्निहित है जिन्हें छात्र विद्यालयी जीवन में प्राप्त करता है तथा जिनमें कक्षा के अन्दर एवं बाहर आयोजित की जाने वाली पाठ्य एवं पाठ्येत्तर क्रियाएँ सम्मिलित होती है।

पाठ्यवस्तु या सिलेबस पाठ्यक्रम के विषय केन्द्रित भाग का केवल एक भाग होता है। अत: यह पाठ्यक्रम की अपेक्षा एक संकुचित विचारधारा है जिसका फैलाव केवल विषय-वस्तु तक सीमित होता है। छात्र कक्षा में अलग-अलग विषय-वस्तुओं को सिलेबस के आधार पर प्राप्त करता है जिससे उसका बौद्धिक व मानसिक विकास होता है। डॉ. दीपक शर्मा के अनुसार, “सिलेबस किसी विषय से सम्बन्धित सामग्री होती है जिसको छात्रों की रुचियों, आवश्यकता व निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बनाया जाता है। इसमें छात्रों का एक निश्चित स्तर तक मानसिक विकास होता है।”

पाठ्यक्रम व पाठ्यवस्तु के इसी अन्तर को एक विद्वान ने भिन्न दृष्टि से प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, ,”पाठ्यवस्तु पूरे शैक्षिक सत्र में विभिन्न विषयों में शिक्षक द्वारा छात्रों को दिए जाने वाले ज्ञान की मात्रा के विषय में निश्चित जानकारी प्रस्तुत करता है, जबकि पाठ्यक्रम यह प्रदर्शित करता है कि शिक्षक किस प्रकार की शैक्षिक क्रियाओं के द्वारा पाठ्य वस्तु की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा। दूसरे शब्दों में पाठ्यवस्तु शिक्षण की विषय-वस्तु का निर्धारण करता है तथा पाठ्यक्रम उसे देने के लिए प्रयुक्त विधि। “

यूनेस्को (UNESCO) के एक प्रकाशन ‘Preparing Textbook Manuscript’ (1970) में पाठ्यक्रम व पाठ्य-वस्तु के अन्तर को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि पाठ्यक्रम अध्ययन हेतु विषयों, उनकी व्यवस्था एवं क्रम का निर्धारण करता है व पाठ्य-वस्तु निर्धारित पाठ्य विषयों के शिक्षण हेतु अन्तर्वस्तु उसके ज्ञान की सीमा, छात्रों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले कौशलों को निश्चित करता है व इस प्रकार यह पाठ्यक्रम का एक परिष्कृत एवं विस्तृत रूप होता है । उदाहरणार्थ हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में गणित एक विषय के रूप में सम्मिलित किया जाता है, किन्तु गणित विषय के अन्तर्गत जिन उप-विषयों (अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित) की एक निश्चित पाठ्य सामग्री अथवा प्रकरणों को पढ़ाने के लिए निर्धारित किया जाता है उसे गणित की पाठ्यवस्तु कहा जाएगा। इस प्रकार पाठ्यवस्तु का सम्बन्ध ज्ञानात्मक पक्ष के विकास से होता है, जबकि पाठ्यक्रम का सम्बन्ध बालक के सम्पूर्ण विकास से होता है।

पाठ्यवस्तु (Course of Study) पाठ्यक्रम के उस पक्ष को कहा जाता जिसे कक्षा में प्रयोग हेतु व्यवस्थित किया जाता है। इसमें अन्तर्वस्तु के अतिरिक्त शिक्षकों, छात्रों तथा प्रकाशकों के उपयोगार्थ सहायक सामग्री एवं कार्यविधि आदि के निर्देश भी सम्मिलित होते हैं। वी, गुड के शिक्षा शब्दकोष के अनुसार पाठ्यचर्या एक कार्यालयी संदर्शिका होती है जो किसी कक्षा का किसी विषय के शिक्षण में सहायता के लिए किसी विद्यालय विशेष अथवा व्यवस्था के लिए तैयार की जाती है। इसके अन्तर्गत पाठ्यक्रम के परिणाम, अध्ययन सामग्री की प्रकृति एवं विस्तार तथा उपर्युक्त सहायक सामग्री एव पाठ्य-पुस्तकों के साथ-साथ अनुपूरक पुस्तकों, शिक्षण विधियों, सहगामी क्रियाओं तथा लक्ष्य, अपेक्षित उपलब्धि के मापन सुझाव भी दिए जाते हैं। कुछ विद्वानों द्वारा पाठ्यवस्तु (Syllabus) एवं पाठ्यचर्या (Course of Study) को एक ही अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है। वर्तमान में भी ‘सिलेबस’ के स्थान पर ‘कोर्स ऑफ स्टडी’ का प्रयोग अधिक किया जाने लगा पाठ्यचर्या व पाठ्य-विवरण में अन्तर-सामान्यतः लोग पाठ्यचर्या (Curriculum) है और पाठ्य-विवरण (Syllabus) में भी भेद नहीं करते हैं, परन्तु इन दोनों में भी अन्तर होता है। इस प्रकार शिक्षा किसी-किसी स्तर अथवा स्तर की कक्षा विशेष की पाठ्यचर्या में नियोजित शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विद्यालय में और विद्यालय के बाहर जो कुछ भी नियोजित रूप से करना होता है, वह सब सम्मिलित होता है, जबकि पाठ्य-विवरण में किसी स्तर विशेष अथवा किसी कक्षा विशेष की इस पाठ्यचर्या की रूपरेखा के साथ-साथ यथा पाठ्यचर्या से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तकों के नाम भी होते हैं और इस पाठ्यचर्या को पूरा करने के बाद छात्रों के मूल्यांकन की रूपरेखा भी होती है अर्थात् कितने प्रश्न पत्र होंगे? कितने-कितने अंक के होंगे? उनमें किस प्रकार के प्रश्न होंगे ? इस परीक्षा का सम्पादन कौन करेगा और यदि मौखिक परीक्षा होनी है तो वह कितने अंकों की होगी? उसका सम्पादन कौन करेगा? और उसके अंक श्रेणी निर्धारण में जोड़े जाएँगे अथवा नहीं आदि का स्पष्ट संकेत होता है। स्पष्ट है कि शिक्षा के किसी स्तर विशेष अथवा कक्षा विशेष की पाठ्यचर्या में केवल पाठ्य-विषयों एवं सह-पाठ्यचारी क्रियाओं की ही रूपरेखा होती है, जबकि उसके पाठ्य विवरण में इसके साथ-साथ इससे सम्बन्धित पाठ्य पुस्तकों के नाम परीक्षा योजना की पूरी रूपरेखा होती है जिस पाठ्य-विवरण में किसी स्तर पर पढ़ाए जाने वाले दो या दो से अधिक विषयों का पाठ्य विवरण होता है, उसे हिन्दी में तो पाठ्य विवरण कहते हैं, परन्तु अंग्रेजी में सिलेबाई (Syllabai) कहते हैं, सिलेबाई (Syllabai) सिलेबस (Syllabus) का बहुवचन है।

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shubham yadav

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