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ई-लर्निंग
ई-लर्निंग को सभी प्रकार के इलैक्ट्रॉनिक समर्थित शिक्षा और अध्यापन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो स्वाभाविक तौर पर क्रियात्मक होते हैं और जिनका उद्देश्य शिक्षार्थी के व्यक्तिगत अनुभव, अभ्यास और ज्ञान के सन्दर्भ में ज्ञान के निर्माण को प्रभावित करना है। सूचना एवं संचार प्रणालियां चाहे इनमें नेटवर्क की व्यवस्था हो या न हो, शिक्षा प्रक्रिया को कार्यान्वित करने वाले विशेष माध्यम के रूप में अपनी सेवा प्रदान करती हैं।
ई-लर्निंग अनिवार्य रूप से कौशल एवं ज्ञान का कम्प्यूटर एवं नेटवर्क समर्थित अंतरण है। ई-लर्निंग इलैक्ट्रॉनिक अनुप्रयोगों और सीखने की प्रक्रियाओं के उपभोग को संदर्भित करता है। ई-लर्निंग के अनुप्रयोगों और प्रक्रियाओं में वेब-आधारित शिक्षा, कम्प्यूटर आधारित शिक्षा, आभासी कक्षाएं और डिजीटल सहयोग शामिल है। पाठ्य सामग्रियों का वितरण इंटरनेट, इंट्रानेट/एक्स्ट्रानेट, ऑडियो या वीडियो टेप, उपग्रह टीवी और सीडी रोम के माध्यम से किया जाता है। इसे खुद-ब-खुद या अनुदेशक के नेतृत्व में किया जा सकता है और इसका माध्यम पाठ छवि, एनीमेशन, स्ट्रीमिंग वीडियो और ऑडियो है।
ई-लर्निंग के समानार्थक शब्दों के रूप में सीबीटी (कम्प्यूटर आधारित प्रशिक्षा), आईबीटी (इंटरनेट आधारित प्रशिक्षा) या डब्ल्यूबीटी (वेब-आधारित प्रशिक्षा) जैसे संक्षिप्त शब्द-रूपों का इस्तेमाल किया जा सकता हैं। आज भी कोई व्यक्ति ई-लर्निंग के विभिन्न रूपों जैसे-Digital Classes के साथ-साथ उपरोक्त शब्दों का भी इस्तेमाल होता है।
ई-लर्निंग एक ऐसी इलैक्ट्रॉनिक व्यवस्था है जिसमें विभिन्न इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के समायोजन से उसे कक्षा में स्थापित कर छात्र छात्राओं के तीव्र अधिगम व अध्यापकों के सरल व प्रभावी अध्यापन हेतु विकसित किया जाता है। यह व्यवस्था पाठ्य सामग्री की सम्पूर्णता लिए हुए दृश्य-श्रव्य सामग्री का एक अनूठा व सफल उदाहरण है जिसका शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक उपयोग किया जाने लगा है।
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