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प्रश्न -एकात्मक एवं संघात्मक शासन में क्या अन्तर है?
उत्तर-शक्तियों के केन्द्रीयकरण के सिद्धान्त पर आधारित एकात्मक शासन और शक्ति के विकेन्द्रीयकरण पर आधारित संघीय शासन व्यवस्था में प्रमुख अन्तर इस प्रकार है-
संघात्मक एवं एकात्मक शासन में अन्तर
1. एकात्मक शासन में संविधान द्वारा शक्तियों का विभाजन नहीं किया जाता, जबकि संघात्मक शासन व्यवस्था में संविधान द्वारा केन्द्रीय एवं इकाइयों की सरकारों के बीच शक्ति को विभाजित कर दिया जाता है। वस्तुत: एकात्मक शासन व्यवस्था के अन्तर्गत संविधान की समग्र शक्ति केन्द्रीय सरकार को प्रदान कर दिया जाता है । जहाँ तक प्रादेशिक सरकारों में शक्ति के विभाजन और वितरण का प्रश्न है, यह पूरी तरह से केन्द्रीय शासन की इच्छा पर निर्भर करता है। किंतु संघात्मक शासन प्रणाली के अन्तर्गत स्वयं संविधान ही केन्द्रीय सरकार तथा उसकी प्रान्तीय कारों में शक्ति का विभाजन कर देता है और प्रान्तीय सरकारें केन्द्रीय सरकार की वर्चस्वता के अधीन न होकर उनके समकक्ष होती हैं।
2. एकात्मक शासन में प्रान्तीय सरकारें पूर्णरूपेण केन्द्रीय शासन के अधीन होती हैं सच्चाई तो यह है कि इकाइयाँ जिन शक्तियों का प्रयोग करती हैं, उन्हें केन्द्रीय सरकार द्वारा ही प्रदान किया । लेकिन संघात्मक शासन में प्रान्तीय सरकारों को संविधान से ही शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। जाता है और सरकारें केन्द्रीय सरकार के अधीन नहीं वरन् समकक्ष होती हैं।
3. एकात्मक शासन में इकहरी नागरिकता होती है और नागरिकों की निष्ठा एवं भक्ति मात्र केन्द्रीय सरकार के प्रति ही केन्द्रित होती है किंतु संघात्मक शासन व्यवस्था में नागरिकों की निष्ठा एवं भक्ति जहाँ केन्द्रीय सरकार के प्रति होती है वहीं प्रान्तीय सरकार के प्रति भी होती है। इसीलिए संघात्मक शासन में दोहरी नागरिकता होती है ।
4. एकात्मक शासन में संविधान लिखित या अलिखित, कठोर या लचीला किसी भी प्रकार का हो सकता है। संघात्मक सरकार तो जैसा कि हम ऊपर देख आये हैं एक समझौते का फल होती है और यह समझौता अनिवार्य रूप से संविधान का ही भाग होता है। यही नहीं, यह भी आवश्यक होता है कि समझौते का कोई एक पक्ष अकेला दूसरे पक्ष की अवहेलना करते हुए शक्ति विभाजन में अपने हित की दृष्टि से मनमानी परिवर्तन न कर दे। इसीलिए संघात्मक शासन में संविधान लिखित एवं कठोर होता है।
5. एकात्मक शासन में प्रायं: सामान्यत: व्यवस्थापिका में सम्प्रभुता होती है और न्यायपालिका का कार्य केवल व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित विधियों के आधार पर न्याय करना मात्र होता है। किन्तु संघात्मक शासन में न्यायपालिका व्यवस्थापिका से स्वतन्त्र और संविधान की संरक्षक होती है क्योंकि संघात्मक शासन व्यवस्था में संविधान की सर्वोच्चता एक अनिवार्य तत्व होने के कारण संप्रभूता संविधान में ही निहित होती है और इस सर्वोच्च संविधान की व्याख्या एवं संरक्षण का दायित्व न्यायालय का ही होता है। इस दायित्व के तहत ही उसे न्यायिक समीक्षा का अधिकार प्राप्त होता है, जिसका प्रयोग करते हुए वह संविधान के विरुद्ध निर्मित कानूनों को अवैध घोषित कर सकती है। इस तरह संघात्मक शासन व्यवस्था में एकात्मक शासन व्यवस्था की न्यायपालिका व्यवस्थापिका से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
6. एकात्मक सरकार में व्यवस्थापिका सर्वोच्च किन्तु संघात्मक में न्यायपालिका सर्वोच्च होती है।
7. संघात्मक संविधान में दो प्रकार की विधियाँ यानी संघ के कानून और इकाइयों के कानून होते हैं, लेकिन एकात्मक शासन में केवल एक ही प्रकार का कानून होता है।
8. एकात्मक शासन में केवल एक ही प्रकार का शासन होता है जिससे वह संघात्मक शासन की तुलना में मितव्ययी, अधिक कुशल एवं दक्ष होता है ।
एकात्मक सरकार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, गुण एवं दोष
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