अर्थशास्त्र (Economics)

रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य | Functions of Reserve Bank of India

रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य | Functions of Reserve Bank of India
रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य | Functions of Reserve Bank of India

रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य

प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में रिजर्व बैंक की स्थापना 1अप्रैल 1935 को हुई। प्रारम्भ मे रिजर्व बैंक अंशधारियों की संस्था थी। इसकी अधिकृत पूंजी 5 करोड़ रुपये थी, जो 100-100 रुपये के 55 लाख शेयरों में विभक्त थी। जनवरी 1949 में रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। रिजर्व बैंक का प्रबन्ध 20 सदस्यों वाले केन्द्रीय संचालक मण्डल के हाथ में है। बैंक का मुख्यालय बम्बई में स्थित है।

रिजर्व बैंक के कार्य-

रिजर्व बैंक के कार्यों को दो भागों में बाँटा जा सकता है।

(अ) केन्द्रीय बैंकिंग कार्य तथा (ब) साधारण बैंकिंग कार्य।

(अ) केन्द्रीय बैंकिंग कार्य-

देश का केन्द्रीय बैंक होने के नाते भारतीय रिजर्व बैंक को केन्द्र या बैंकिंग के सभी कार्य करने पड़ते है। ये कार्य निम्नलिखित है–

(1) नोट जारी करना-रिजर्व बैंक को नोट-निर्गमन का एकाधिकार प्राप्त है। 1956 तक रिजर्व बैंक ने नोटों का निर्गमन आनुपातिक कोष पद्धति के आधार पर किया। अक्टूबर 1956 में नोट-निकासी की न्यूनतम पद्धति अपनाई गई जिसके अन्तर्गत स्वर्ण निधि की न्यूनतम मात्रा 115 करोड़ रुपये तथा विदेशी प्रतिभूतियों की न्यूनतम मात्रा 85 करोड़ रुपये निर्धारित की गई

(2) साख-नियन्त्रण- भारत में साख नियन्त्रण का वैधानिक आधार 1934 के रिजर्व बैंक आफ इण्डिया अधिनियम और 1949 के भारतीय बैंकिंग कम्पनीज अधिनियम से निश्चित होता है। इनमें से प्रथम अधिनियम के अन्तर्गत रिजर्व बैंक को बैंकदर में परिवर्तन, खुले बाजार की क्रियायें तथा परिवर्तनीय निधि अनुपात में परिवर्तन शक्तियां प्राप्त हैं। द्वितीय अधिनियम के अन्तर्गत रिजर्व बैंक को चयनात्मक साख नियन्त्रण की शक्तियाँ प्राप्त हैं।

(3)सरकारी बैंकर तथा आर्थिक परामर्शदाता-सरकारी बैंकर के रूप में रिजर्व बैंक केन्द्र और राज्य सरकारों के कोषों का संरक्षण करता है। विभिन्न सरकारी कोषों के खाते और हिसाब-किताब रखता है। सरकार के नाम में जनता से करों का भुगतान स्वीकार करता है और सरकार द्वारा जारी किये गये चेकों का भुगतान करता है।

(4)विनिमय-नियन्त्रण-रिजर्व बैंक का विनिमय-नियन्त्रण विभाग विदेशी विनिमय की मांग एवं पूर्ति का लेखा-जोखा रखता है तथा उनमे सन्तुलन बनाये रखने का प्रयास करता है।

(5) बैंक का बैंक-बैंकों के बैंक के रूप में रिजर्व बैंक सदस्य बैंकों के प्रति ये समस्त कार्य करता है, जो एक बैंक अपने ग्राहकों के प्रति करता है।

(6)समाशोधन-गृह-समाशोधन गृह के रूप में रिजर्व बैंक सदस्यबैंकों के बीच धन का प्रेषण सुविधाजनक बनाता है।

(7) बैंकिंग व्यवस्था का नियमन-देश की बैंकिंग व्यवस्था पर नियन्त्रण हेतु रिजर्व बैंक को 1949 के बैंकिंग नियमन कानून के अन्तर्गत विस्तृत अधिकार प्राप्त है, जैसे-बैंकों को लाइसेंस देना, बैंकों द्वारा शाखा विस्तार पर नियन्त्रण रखना, बैंकों के एकीकरण की योजना की जांच पड़ताल तथा स्वीकृति देना, बैंकों को ऋण नीति की जाँच करके आवश्यक सलाह एवं निर्देश देना आदि।

(8)आर्थिक सूचनाओं का संग्रह और प्रकाशन- बैंक का अन्वेषण एवं समंक विभाग मुद्रा साख, कृषि उत्पादन, मुद्रा बाजार आदि विभिन्न आर्थिक विषयों के सम्बन्ध में अनुसंधान करता है तथा सम्बन्धित आँकड़े एकत्रित करके उनका प्रकाशन करता है।

(ब) साधारण बैंकिंग कार्य-

केन्द्रीय बैंकिंग कार्यों के साथ-साथ रिजर्व बैंक कुछ साधारण बैंकिंग कार्य भी करता है, जो निम्नलिखित हैं.

(1) जमाराशियाँ स्वीकार करना-रिजर्व बैंक केन्द्र और राज्य सरकारों, व्यापारिक बैंकों, सरकारी या अर्द्ध-सरकारी संस्थाओं तथा व्यक्तियों से जमा राशियां स्वीकार कर सकता है। परन्तु वह अपने पास जमा धन पर कोई ब्याज नहीं दे सकता।

(2) व्यापारिक पत्रों का क्रय-विक्रय- रिजर्व बैंक ऐसे व्यापारिक पत्रों या प्रतिज्ञा पत्रों क क्रय-विक्रय एवं पुनर्कटौती कर सकता है, जिनकी अवधि 90 दिनों से अधिक न हो, जिनका भुगतान भारत में होना हो तथा जिन पर कम से कम दो प्रतिष्ठित हस्ताक्षर हों।

( 3 ) ऋण प्रदान करना-रिजर्व बैंक स्वीकृत प्रतिभूतियों, स्वर्ण रजत प्रतिज्ञा पत्रों आदि को जमानत पर केन्द्र और राज्य सरकारों को 90 दिनों के लिए अर्थोपाय अग्निम प्रदान कर सकता है।

(4)ऋण लेना-रिजर्व बैंक 30 दिन की अवधि के लिये किसी विदेशी केन्द्रीय बैंक अथवा भारतीय अनुसूचित बैंक से अपनी सम्पत्ति की जनामत पर ऋण प्राप्त कर सकती है, जिनकी रकम बैंक की कुल पूंजी से अधिक नहीं होनी चाहिये

(5) विदेशी केन्द्रीय बैंकों में खाता खोलना-रिजर्व बैंक विदेशी केन्द्रीय बैंकों में अपना खाता  खोल सकता है| विदेशों में अभिकर्ता बैंक नियुक्त कर सकता है तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के साथ लेन-देन कर सकता है

इसे भी पढ़े…

मुद्रा का परिमाण सिद्धान्त (Quantity Theory of Money)

Reserve Bank Of India in Hindi-भारतीय रिज़र्व बैंक

फिशर का मुद्रा परिमाण सिद्धान्त (Quantity Theory of Money by Fisher)

Note: इसके साथ ही अगर आपको हमारी Website पर किसी भी पत्रिका को Download करने या Read करने या किसी अन्य प्रकार की समस्या आती है तो आप हमें Comment Box में जरूर बताएं हम जल्द से जल्द उस समस्या का समाधान करके आपको बेहतर Result Provide करने का प्रयत्न करेंगे धन्यवाद।

You May Also Like This

अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं |आप इसे Facebook, WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे | और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |

Disclaimer: currentshub.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है |हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है| यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- currentshub@gmail.com 

About the author

shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment