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निर्देशन कार्यक्रम | निर्देशन कार्यक्रम संगठन के कार्य | निर्देशन कार्यक्रम के लाभ | Guidance Programme in Hindi

निर्देशन कार्यक्रम
निर्देशन कार्यक्रम

अनुक्रम (Contents)

निर्देशन कार्यक्रम (Guidance Programme)

छात्रों की एक बड़ी संख्या बिना किसी योजना के कालेज या विश्वविद्यालयों में जा रहे हैं। वे अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् कैरियर चुनाव के विषय में सोचते हैं। इसलिए इन बाधाओं को दूर करने के लिए उचित प्रकार के संगठित कार्यक्रमों की आवश्यकता होती है।

समाज एवं इसकी माँगे निरन्तर परिवर्तित तथा अत्यधिक जटिल होती जा रही हैं तथा बिना किसी निर्देशन कार्यक्रम के एक बालक के लिए परिवर्तनशील समाज का सामना करना सम्भव नहीं है। अतः निर्देशन कार्यक्रम सभी बालकों के सामंजस्यपूर्ण विकास के प्रत्येक पक्ष के लिए आवश्यक है।

इस प्रकार निर्देशन कार्यक्रमों का अन्य शैक्षिक संस्थानों की तरह निरन्तर विकास की आवश्यकता है।

श्रीवास्तव के अनुसार- “वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निर्देशन के रूप में किसी भी सेवा की योजना व्यापक रूप में सावधानी पूर्वक की जानी चाहिए जब कार्यक्रम पूर्ण रूप से संगठित हो जाता है तो इसमें कोई सन्देह नहीं है कि सभी सम्मिलित रूप से पूर्णतया भाग लेंगे।”

According to Srivastava, “Any Service as comprehensive as guidance must be carefully planned if it is to meet the desired goals. When the programme is well organised, there is no doubt that all involved will participate to the fullest extent.”

अतः विद्यालय में शिक्षक, प्रधानाचार्य को स्वयं इन कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए। निर्देशन कार्यक्रम केवल छात्रों की समस्याओं का समाधान करने के लिए ही नहीं बल्कि उनके उचित स्थान समय, सही कार्य एवं उनके उज्ज्वल भविष्य के अवसर भी उपलब्ध कराता है।

प्राथमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम का संगठन (Organisation of Guidance Programme at Primary Level)

प्राथमिक स्तर पर सभी छात्रों के शैक्षिक उद्देश्य समान ही होते हैं तथा यह अपेक्षा की जाती है कि सभी छात्रों का गन्तव्य एक है। प्राथमिक विद्यालय संगठन कार्यक्रम की चर्चा करते हुए अमेरिका के राष्ट्रीय शिक्षा संघ द्वारा नियुक्त माध्यमिक शिक्षा पुनर्गठन आयोग ने लिखा था कि “स्वास्थ्य निर्माण, शिक्षा के आरम्भिक प्रक्रिया का ज्ञान प्रदान करते हुए प्राथमिक स्तर तक यदि छात्र सीखने के प्रमुख साधनों पर अधिकार प्राप्त कर तथा उनमें कुछ मूलभूत आदतों, आदर्शों, अवधारणाओं, पद्धतियों तथा सद्भावना का विकास हो जाए तो प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य पूर्ण मानना चाहिए।”

प्राथमिक विद्यालय स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम का संगठन के अर्न्तगत निम्नलिखित तथ्य सम्मिलिखित हैं-

(1) उत्तम आदतों के निर्माण, संरक्षण एवं विकास में विद्यालय के शिक्षकों को सहयोग उपलब्ध करना।

(2) कक्षा में ऐसी सामग्रियों का प्रदर्शन करना जिससे स्पष्ट हो कि छात्र कैसे रहते हैं तथा किस प्रकार जीविका अर्जित करते हैं।

(3) विद्यालयी नागरिकता सम्बन्धी आदतों की सुरक्षा उसके विकास के निमित्व अध्यापकों का सहयोग करना।

(4) छात्रों के अभिभावकों तथा विद्यालय वातावरण के मध्य स्वस्थ सम्बन्ध विकसित करना।

(5) उपस्थिति रजिस्टरों से सहयोग प्राप्त करना तथा ऐसे उपायों का प्रयोग करना कि अनुपस्थिति अथवा अल्प उपस्थिति का ज्ञान प्राप्त हो सके।

(6) भविष्य में जिस विद्यालय में छात्र प्रवेश लेगा उसे वांछित सूचनाएँ प्रदान करके उसका सहयोग प्राप्त करना तथा छात्र को इतना समर्थ बनाना कि वह उस विद्यालय के सम्बन्ध में सूचनाएँ प्राप्त कर सके।

(7) व्यक्तिगत अनुसूची तैयार करना इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य सम्मिलित हैं-

(i) छात्रों को व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से उनकी दक्षता, उपलब्धि तथा अवबोध को पहचानना।

(ii) उच्च या निम्न मानसिक योग्यता के कारण विद्यालयी कार्यक्रम के अनुरूप छात्र को पहचानना।

(iii) ऐसे छात्र जिनका शारीरिक स्वास्थ्य, घर एवं विद्यालय के वातावरण से उचित समायोजन नहीं कर पाता है उन्हें चिकित्सकों की देख-रेख में रखना।

(iv) जिन छात्रों के समक्ष सामाजिक एवं सांवेगिक समस्याएँ हो, उन्हें बाल मनोविज्ञान वेत्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा आचरण चिकित्सक (Behaviour Clinics) के सम्पर्क में रखना।

प्राथमिक स्तर पर निर्देशन प्रदान करने के उद्देश्य (Objectives of Providing Guidance at Primary Level)

प्राथमिक स्तर पर बालकों की आयु 6 से 11 वर्ष तक ही होती है। अतः इस आयु वर्ग के बालकों की विशेषताओं को ध्यान में रखकर निर्देशन प्रदान किया जाना चाहिए। प्राथमिक स्तर पर निर्देशन प्रदान करने के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

(1) प्राथमिक स्तर से ही बालकों में आत्म-अनुशासन की भावना का विकास करना। अनुशासन के वास्तविक उददेश्यों को समझाने पर ही बालकों में आत्मानुशासन का विकास होगा। इसलिए बालकों को अनुशासन का महत्त्व समझाने के लिए, विद्यालय की विभिन्न क्रियाओं में उन्हें भाग लेने का अवसर प्रदान करना चाहिए।

(2) बालकों में भावात्मक असन्तुलन को विकसित होने से रोकना

(3) सृजनात्मक कार्यों के प्रति छात्रों में रुचि का विकास करना रुचि के विकास हेतु अवसर उपलब्ध कराना।

(4) बालकों में शारीरिक स्वास्थ्य की देख-रेख एवं स्वच्छता की आदतों का निर्माण करने में सहायता प्रदान करना ।

(5) प्राथमिक स्तर पर बालकों में खेल की भावना के आधार पर समाजिकता का विकास करना।

प्राथमिक स्तर पर निर्देशन प्रदान करने की आवश्यकता (Need of Providing Guidance at Primary Level)

क्रो एण्ड क्रो का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलीफोर्निया राज्य के मोटेवेलों के विद्यालयों में चलने वाले निर्देशन कार्यक्रमों के द्वारा छात्रों के निम्नलिखित मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करने का प्रयास किया जाता है-

(1) व्यावसायिक कौशल-विश्व के कार्यों की सामान्य जानकारी।

(2) अवकाश काल के क्रियाकलाप-व्यक्तिगत रुचियों तथा मनोरंजन के सम्बन्ध में।

(3) अनुशासन – स्नेहयुक्त एवं सुदृढ़, आत्म-अनुशासन की ओर उन्नति।

(4) मित्रों तथा समाज स्वीकृति की इच्छा-बालकों एवं प्रौढ़ों के बीच।

(5) आधारभूत कौशलों की जानकारी-अधिगम तथा अवबोध के योग्यतानुरूप।

(6) उत्तम स्वास्थ्य – पर्याप्त संतुलित भोजन, अपेक्षित नींद एवं आराम।

निर्देशन कार्यक्रम संगठन के कार्य (Functions of Guidance Programme Organisation)

प्राथमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम संगठन के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-

(1) सभी छात्रों की आवश्यकताओं का पता लगाना।

(2) शिक्षण कार्यक्रम एवं सम्पूर्ण शैक्षिक अनुभव का एक अभिन्न भाग के रूप में कार्य करना।

(3) प्रत्येक छात्र की आवश्यकता विकास एवं सुधारात्मक सेवाओं के आधार पर संरचित गतिविधियाँ सम्मिलित करना।

(4) छात्र प्रगति एवं कर्मचारियों के कार्यक्रम मूल्यांकन की वार्षिक समीक्षा के माध्यम से जवाबदेही एवं निरन्तर सुधार प्रदान करना।

(5) सभी कर्मचारियों के कार्यक्रम को गुणवत्तापूर्ण बनाए रखने के लिए उपयुक्त वृत्तिक विकास करना।

निर्देशन संगठन एवं प्रशासन शिक्षकों, समर्थकों, प्रशासकों एवं अन्य विद्यालय कर्मचारियों तथा छात्र और समुदाय के सहयोग पर निर्भर होती है। मान्यता प्राप्त विद्यालय सलाहकारों द्वारा सम्पादित एवं समन्वित किया जाता है।

प्राथमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम से लाभ (Benefits of Guidance Programme at Primary Level)

प्राथमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम के द्वारा अभिभावकों, शिक्षकों, सलाहकारों, प्रशासकों एवं समुदाय के एक व्यापक समूह को निम्नलिखित प्रकार से लाभ प्राप्त होते हैं-

(1) छात्र (Student) – प्राथमिक स्तर पर छात्रों को निर्देशन कार्यक्रम के संगठन द्वारा निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

(i) भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए छात्रों को तैयार करता है। साथ ही साथ छात्र का शैक्षिक विकास, व्यक्तिगत एवं सामाजिक विकास हेतु समुदाय की सहभागिता का समर्थन करता है।

(ii) छात्र अधिगम विकास, आत्म-प्रबन्धन एवं सामाजिक सम्बन्धों से सम्बन्धित जीवन कौशल सिखाते हैं।

(iii) छात्र शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए अगले चरण एवं भविष्य की सफलता के लिए, संगठन कार्यक्रम निर्देश देते हैं।

(iv) यह छात्रों को विश्व परिवर्तन की जानकारी प्रदान करता है।

(v) संगठन अन्वेषण एवं नियोजन का कार्य छात्रों की प्रगति के लिए करता है।

(vi) प्रत्येक छात्र व्यक्तिगत रूप से निर्देशन प्राप्त करते हैं।

(2) अभिभावक (Parents)- छात्रों के माता-पिता को भी निर्देशन कार्यक्रम संगठन के द्वारा निम्नलिखित लाभ मिलते हैं-

(i) यह संगठन उनके बच्चों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार कर रहा है।

(ii) माता-पिता अपने बच्चे के शैक्षणिक विकास, कैरियर प्रगति में समर्थन एवं व्यक्तिगत विकास के लिए निर्देशन कार्यक्रमों में सम्मिलित होने का अवसर देते हैं।

(iii) माता-पिता को विद्यालय में छात्र से सम्बन्धित बातचीत करने के अवसर बढ़ रहे हैं।

(iv) निर्देशकों एवं शिक्षाविदों के साथ मिलकर अभिभावक अपने बच्चे की प्रगति के सन्दर्भ में बातचीत कर सकते हैं।

(3) शिक्षक (Teacher) – शिक्षकों से सम्बन्धित लाभ निम्नलिखित हैं-

(i) यह छात्र की शैक्षणिक सफलता का समर्थन करता है।

(ii) इसके द्वारा शिक्षकों के मार्गदर्शन भूमिका को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

(iii) एक अन्तर अनुशासनात्मक टीम द्वारा छात्र की आवश्यकताओं एवं शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त कराने के लिए शिक्षक को प्रदान की जाती है।

(iv) को शैक्षणिक सुविधा के लिए निर्देशन कार्यक्रम संगठन के द्वारा निर्देशन एवं परामर्श प्रदान किया जाता है।

(4) विद्यालय परामर्शदाता (School Counsellor) – विद्यालय परामर्शदाता को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

(i) प्रत्येक छात्र के लिए कार्यक्रम सामग्री का प्रावधान सुनिश्चित किया जाता है।

(ii) विद्यालय परामर्शदाताओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके भूमिका एवं कार्य प्रदान किया जाता है।

(iii) कार्यक्रम प्रबन्धन एवं जबावदेही के लिए एक उपकरण के रूप में निर्देशन प्रदान किया जाता है।

(iv) इसके सहयोग से प्राथमिक विद्यालयों के शैक्षणिक कार्यक्रमों को सुनिश्चित किया जाता है।

(v) ये संगठन संवेदनशील परामर्श कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।

(5) प्रशासक (Administrators) – प्राथमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम के संगठन में प्रशासकों के निम्नलिखित लाभ सम्मिलित हैं-

(i) स्कूल परामर्श स्कूल के शैक्षणिक मिशन के साथ एकीकृत है।

(ii) कार्यक्रम की संरचना विभिन्न सामग्री के साथ प्रदान की जाती है।

(iii) प्रत्येक सलाहकारों एवं प्रशासकों की भूमिका को प्रत्येक छात्र के अधिगम विकास को बढ़ाने के माध्यम से परिभाषित किया गया है।

(iv) विद्यालयों के निर्देशन एवं परामर्श कार्यक्रमों का मूल्यांकन करने में प्रशासकों की सहायता करता है।

(6) समुदाय (Community) – इसके माध्यम से निम्नलिखित सामुदायिक लाभ होते हैं-

(i) छात्रों की सफलता के लिए आवश्यक सामुदायिक जागरूकता बढ़ाई जाती है।

(ii) स्कूल कार्यक्रमों की वृद्धि के लिए समुदाय के सदस्यों को भागीदारी का अवसर प्रदान किया जाता है।

(iii) छात्रों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए समुदाय को प्रेरित करके बढ़ाया जाता है।

माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम का संगठन (Organisation of Guidance Programme at Secondary Level)

जोन्स के अनुसार- जब माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओं को मान्यता प्राप्त हो जाती हैं, तो यह आवश्यक हो जाता है कि स्टाफ के सभी सदस्य यह समुचित रूप से समझ लें कि यह एक सामूहिक कार्य है तथा यह तभी संगठित की जा सकती है जब सभी उसमें सक्रिय रूप से सहभागी होते हैं। विद्यालय प्रशासन को सर्वप्रथम इस सेवा का सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।

संकाय का संगठन (Organisation of Faculty) माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रमों के संगठन के लिए निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है-

(1) संकाय निर्देशन समिति (Faculty Guidance Committee) – विद्यालय में निर्देशन सेवा संगठन के समय सबसे पहले एक प्रेसीडेन्ट के रूप में प्रधानाध्यापक के साथ एक स्थायी संकाय का संगठन किया जाना चाहिए तथा उन सभी शिक्षकों को जिन्होंने कुछ प्रशिक्षण प्राप्त किया है, उन्हें इसका सदस्य बनाया जाना चाहिए। यह समिति को, अपने लक्ष्य सुनिश्चित करने सभी कर्मचारियों से परिचित होने, अभिभावकों एवं छात्रों को इस सेवा से लाभ पहुँचाना, निर्देशन सेवाओं के संगठन के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेना तथा उस पर कार्य करना तथा इसमें अपेक्षित परिवर्तन लाने के लिए निर्देशन कार्यक्रमों का मूल्यांकन करने के लिए नीति की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।

(2) विद्यालय का प्रधानाचार्य (Headmaster of School) – प्रधानाध्यापक को निर्देशन सेवाओं पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। निर्देशन के सम्बन्ध में उसका स्पष्ट शिक्षा दर्शन होना चाहिए उसे प्रजातान्त्रिक परिचर्चा एवं आलेख प्रबन्धन हेतु निर्देशन समिति बुलाई जानी चाहिए। उसे संचयी अभिलेखों का परिचय देना चाहिए तथा कक्षा अध्यापक को समुचित सूचनाओं के भरण एवं इस प्रबन्धन के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए। उसे छात्र शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, रोजगार अधिकारी, जिला स्तर अधिकारी एवं कालेज के अन्य लोगों से अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने चाहिए।

(3) परामर्शदाता (Counsellors)-माध्यमिक विद्यालय पर्यावरण में परामर्शदाता निम्नलिखित चार कार्य करते हैं-

(i) छात्रों को विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराना एवं उसका संगठन करना जो शैक्षिक एवं व्यावसायिक योजना एवं निर्णय लेने में आवश्यक व्यवस्था करता है।

(ii) कक्षागत पाठ्यक्रम का संगठन एवं उसे प्रस्तुत करना जो किशोर के विकास पर ध्यान केन्द्रित करता है।

(iii) छात्रों की व्यक्तिगत विशेषताओं के आंकलन में सहायता करना।

(iv) छात्रों की विशिष्ट सहायता हेतु उपचारात्मक हस्तक्षेप प्रदान करना।  परामर्शदाता का कार्य शिक्षक द्वारा पूरा किया जाता है जो परामर्शदाता का एक वर्ष का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया होता है। परामर्शदाता सभी प्रकार की सेवाएँ जैसे- शैक्षिक परामर्श एवं सूचनाएँ प्रदान करना, वैयक्तिक परामर्श, प्रशासनिक क्रियाएँ एवं रिकार्ड रखना, रोकथाम गतिविधियाँ, कैरियर निर्देशन एवं सहायता प्रदान करना मानकीकृत परीक्षण प्रशासन एवं व्याख्या, सूचना का प्रचार प्रसार, सार्वजनिक संचार एवं मानव सम्बन्धों, परामर्श गतिविधियाँ, छात्र विकासात्मक गतिविधि, समूह निर्देशन एवं परामर्श आदि प्रदान करता है।

(4) शिक्षक (Teacher) – शिक्षक छात्रों का मित्र, पथ प्रदर्शक एवं नेता होता है। अपने ही विषय के शिक्षण में शिक्षक छात्रों को व्यावसायकि सूचनाएँ प्रदान कर सकता है। उसे विभिन्न प्रकार की सूचनाओं का ज्ञान होना चाहिए जो उसके अध्ययन पर प्रभाव डालता है जैसे-बौद्धिक स्तर, सामाजिक सम्पर्क स्तर स्वास्थ्य एवं आर्थिक समस्याएँ आदि । छात्र के विषय मे परामर्शदाताओं को पूर्ण सहयोग देता है।

(5) विद्यालय मनोवैज्ञानिक (School Psychologist) – विद्यालय परामर्शदाता बहुत सी गतिविधियों में व्यस्त रहता है। इसलिए प्रत्येक विद्यालय में एक समय पर या विद्यालयों के एक समूह के लिए मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति की जानी चाहिए जो आवश्यक मनोवैज्ञानिक परीक्षण या उनकी व्याख्या करते हैं। यह कार्य उच्च तकनीकी पूर्ण होने के कारण इस पद पर एक योग्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए। वह सदैव परामर्शदाता के लिए सहायक (मदद) के रूप में रहेगा।

(6) विद्यालय का स्वास्थ्य विभाग (Health Department of School) – एक नियम के अनुरूप प्रत्येक बड़े विद्यालय में पूर्ण कालिक रूप से एक डॉक्टर, एक दन्तचिकित्सक, भाषा मनोवैज्ञानिक एवं एक नर्स होनी चाहिए। हालांकि यह स्तर परिपक्व नही है इसलिए सरकार को चाहिए कि डॉक्टर को अस्पताल में नियुक्त करे जो छात्रों को सहायता प्रदान करने के लिए विद्यालय में आएं।

(7) लाइब्रेरियन (Librarian) – लाइब्रेरियन एक सीमा तक पुस्तकें एकत्रित करने, जर्नल्स एवं निर्देशन के पम्पलेट्स व्यावसायिक सूचनाएँ एवं छात्रों के उपयोग हेतु आवश्यक सहायता प्रदान करने में सहायक हो सकता है।

माध्यमिक स्तर पर निर्देशन प्रदान करने के उद्देश्य (Objectives of Providing Guidance at Secondary School Level)

निर्देशन के वृहद क्षेत्र एवं कार्य होते हैं जो छात्रों को शैक्षिक एवं व्यावसायिक अवसरों के चयन में सहायता करते हैं। माध्यमिक स्तर पर निर्देशन प्रदान करने के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

(1) व्यक्ति को समझना एवं उनकी योग्यताओं, रुचियों एवं आवश्यकताओं के आंकलन करने में सहायता करना।

(2) बालकों को समुदाय एवं विद्यालयों में संसाधनों एवं सुविधाओं से परिचित कराना, जो उनकी सूचना एवं अनुभवों के लिए उपलब्ध रहते हैं।

(3) अपनी ऊर्जा को बुद्धिपूर्वक निर्देशित करने में सहायता करने एवं अवसरों के उच्चतम उपयोग को सम्भव बनाने में छात्रों की सहायता करना।

(4) उन्हें अपने अनुभवों का मूल्यांकन, उद्देश्यों को स्पष्ट करने तथा भविष्य की योजना का निर्माण करना।

(5) यह छात्रों की व्यावसायिक सम्पत्ति एवं क्षमताओं को मापने के लिए तथा उन्हें अपनी पसन्द के कैरियर में प्रवेश करने एवं उपयुक्त रोजगार पाने में उनकी सहायता करना।

(6) प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों को वैयक्तिक रूप से छात्रों को पहचानने में सहायता करना तथा ऐसी परिस्थिति का निर्माण करना जिसमें छात्र अधिक प्रभावी रूप से अधिगम कर सकें।

(7) छात्रों की घर एवं विद्यालय में व्यक्तिगत सामाजिक समायोजन सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करना।

8) छात्रों के विषय में समस्त प्रासंगिक जानकारी एकत्रित करना।

(9) सामूहिक एवं सम्पूर्ण समुदाय के द्वारा छात्र समस्याओं का हल करना।

(10) छात्र, अभिभावकों एवं समुदाय का सहयोग प्राप्त करने के लिए।

(11) समस्त बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के अवसर उपलब्ध कराने के लिए।

उपरोक्त दिए गए उददेश्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि माध्यमिक स्तर पर विद्यालय निर्देशन कार्यक्रम छात्रों में विषयगत कठिनाइयों को हटाकर तथा अच्छी अधिगम आदतों का विकास करके शैक्षिक में प्रगति करने में छात्रों की सहायता करते हैं।

निर्देशन कार्यक्रम के लाभ (Benefits of School Guidance Programme)

गिब्सन के अनुसार, “एक विकासात्मक एवं व्यापक विद्यालय के निर्देशन कार्यक्रम न केवल छात्रों को लाभ पहुँचाते हैं बल्कि यह अभिभावक, शिक्षक, प्रशासन एवं व्यापार समुदाय के लिए भी लाभदायक होता है।”

विभिन्न समूहों के लिए इसके लाभ निम्नलिखित हैं-

(1) छात्र (Students)- छात्रों के लिए इसके निम्नलिखित लाभ हैं-

(i) आत्मज्ञान में वृद्धि एवं दूसरों से प्रभावी रूप से सम्बन्धित करते हैं।

(ii) परिवर्तनशील वातावरण में ज्ञान को व्यापक बनाना।

(iii) उन्हें उनकी पूर्ण शैक्षिक क्षमता एक पहुँचाने में सहायता करना।

(iv) कैरियर अन्वेषण, योजना एवं निर्णय लेने के अवसर प्रदान करना।

(v) सेवाओं के साथ नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करता है तथा इस प्रकार यह एक प्रभावी सम्प्रेषण प्रणाली स्थापित करता है।

(vi) उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार सिखाता है।

(2) माता-पिता (Parents) – छात्रों के माता-पिता के लिए इसके निम्नलिखित लाभ हैं-

(i) छात्र की जरूरतों एवं शैक्षिक उद्देश्यों को सम्बोधित करने के लिए एक अन्त विषयक टोली उपागम को बढ़ावा देता है।

(ii) बालकों की शिक्षा के क्षेत्र में अभिभावकों की भागीदारी के अवसर बढ़ जाते हैं।

(iii) अपने बच्चों के समर्थन हेतु माता-पिता को आवश्यक कौशलों से सज्जित करता है।

(iv) छात्र शिक्षा एवं कैरियर योजना के लिए सक्रिय भागीदारी का समर्थन करता है।

(v) छात्र प्रगति के विषय में सूचनाओं के डेटा प्रदान करता है।

(3) शिक्षक (Teacher) – शिक्षक के लिए इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

(i) छात्रों की आवश्यकताओं एवं शैक्षिक लक्ष्यों की पहचान के लिए शिक्षक एक अन्तः विषयक टोली उपागम को बढ़ावा देता है।

(ii) अन्य शिक्षकों एवं माता-पिता के साथ सहयोगात्मक रूप से कार्य करने के अवसर प्रदान करता है।

(iii) कक्षा, प्रबन्धन कौशल के विकास का समर्थन करता है।

(4) व्यवस्थापक (Administrators) – व्यवस्थापक के लिए निर्देशन कार्यक्रम के निम्नलिखित लाभ हैं-

(i) समुदाय में विद्यालय की छवि का निर्माण एवं विद्यालय के सामान्य स्वरूप में सुधार करना।

(ii) व्यवस्थित मूल्यांकन के लिए अनुमति प्रदान करता है।

(iii) एक ऐसी संरचना प्रदान करना जिसकी सरलता से जाँच की जा सके।

(iv) एक गत्यात्मक विद्यालय निर्देशन पाठ्यचर्या प्रदान करना जो छात्रों की आवश्यकताएँ पहचान सके तथा विद्यालय वातावरण में वृद्धि कर सके।

(5) व्यापार, उद्योग, श्रम बाजार (Business, Industry, the Labour Market) – इसके लिए निर्देशन कार्यक्रम के लाभ इस प्रकार हैं-

(i) सकारात्मक दृष्टिकोण एवं आवश्यक कौशल वाले व्यक्ति को व्यावसायिक क्षमता प्रदान करता है।

(ii) कार्यात्मक संसार के लिए छात्रों को कैरियर मेलों एवं अन्य कैरियर निर्देशन गतिविधियों के माध्यम से तैयार करने के लिए शिक्षकों के साथ सहयोग के अवसर उपलब्ध कराता है।

(iii) एक संसाधन व्यक्ति के रूप में परामर्शदाता की भूमिका को बढ़ाता है।

(iv) विद्यालय के सभी कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए व्यापार, उद्योग एवं श्रम के लिए अवसरों की वृद्धि करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

विद्यालय निर्देशन का संसार के समस्त देशों में बहुत तीव्रता से विकास हो रहा है। माध्यमिक विद्यालय में परामर्शदाता के रूप में चुनौतियों एवं विशिष्ट मुद्दे की विशेषतया पहचान, चर्चा एवं प्रबन्धित किए जा रहे हैं। माध्यमिक स्तर पर छात्रों में परीक्षा में अच्छे नम्बर लाने, एक उज्जवल भविष्य हेतु व्यावसायिक विकल्प का चयन करने के लिए उनके मध्य प्रतिस्पर्द्धा होती है जिससे छात्रों के मध्य निराशा बढ़ती है।

ऐसे परिदृश्य में छात्रों को स्वयं की योग्यताओं को जानने, तनाव एवं समस्याओं से बाहर आने तथा उन्हें सुचारु रूप से शैक्षिक सत्र को पास करने के लिए उनकी सहायता करने में विद्यालय शैक्षिक निर्देशन कार्यक्रमों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

अतः यह सिफारिश की गई कि प्रत्येक विद्यालय में उचित निर्देशन इकाई होनी चाहिए तथा छात्रों की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए इसे पर्याप्त रूप से सहायता के रूप से कार्य करना चाहिए जो शिक्षा की सम्पूर्ण गुणवत्ता की वृद्धि में सहायता करेगा।

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shubham yadav

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