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होमरूल आन्दोलन: अर्थ, उद्भव के कारण, विशेषताएँ, सीमाएं एवं महत्व
Home rule movement and league in Hindi PDF Download – Hello Students Currentshub.com पर आपका एक बार फिर से स्वागत है मुझे आशा है आप सभी अच्छे होंगे. दोस्तो जैसा की आप सभी जानते हैं की हम यहाँ रोजाना Study Material अपलोड करते हैं.आप इस पोस्ट में होमरूल आन्दोलन (लगभग 1916 से 1918) के उद्भव के कारण, विशेषताएँ, महत्व एवं उपलब्धियों के साथ इसके सीमाएं, आंदोलन खत्म होने के कारण, सरकार का रुख आदि बातों को भी पढेंगें. Home rule movement and league in hindi.
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Home rule movement का अर्थ
होमरूल का अर्थ है ‘स्वशासन’, जिससे तात्पर्य था ब्रिटिश शासन के अधीन स्वशासन की प्राप्ति. अर्थात ऐसा शासन जिस पर बाह्य रूप से ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण हो लेकिन आंतरिक नियंत्रण भारतीयों के हाथ में हो.
होमरूल आंदोलन तिलक तथा एनी बेसेंट के नेतृत्व में चलाया गया आंदोलन था. यह आंदोलन आयरलैंड के नेता रेमंड से प्रभावित था. इसके तहत आयरलैंड की भांति प्रशासन में भारतीयों के अधिकतम भागीदारी (स्वशासन) की मांग की गई. इस आन्दोलन के नेताओं ने समाज में एकता एवं समानता स्थापित करने का प्रयास किया.
होमरूल आंदोलन के उद्भव के कारण
इस आन्दोलन के उदय के निम्न कारण थे:
1. तिलक का जून 1914 में मांडले जेल से वापस आना तथा नए आंदोलन के लिए माहौल तैयार करना. स्वदेशी आन्दोलन के दौरान तिलक को 6 वर्ष की जेल हो गई थी. जेल से वापस लौटने के बाद उन्होंने होम रुल के रूप में नया प्रयास छेड़ा.
2. प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव – प्रथम विश्व युद्ध समानता, स्वतंत्रता तथा स्व निर्णय के प्रश्न पर लड़ा जा रहा था. मित्र राष्ट्रों ने इस युद्ध को प्रजातंत्र के विरोधी शक्तियों के खिलाफ युद्ध बतलाया था. अतः भारत में इसने स्वशासन संबंधी मांगों को बल प्रदान किया.
विश्व युद्ध जनित आर्थिक समस्याओं के निदान के लिए सरकार गंभीर प्रयास नहीं कर रही थी. अतः नेताओं ने सरकार के खिलाफ एकजुट होने का इसे अच्छा अवसर समझा.
3. लखनऊ समझौते के कारण हिंदू मुस्लिम एकता को बल मिला. इससे नए आंदोलन चलाए जाने की पृष्ठभूमि तैयार हुई.
Home rule movement की विशेषता
1. यह पूर्ण अहिंसात्मक आंदोलन था, जिसमें तिलक तथा एनी बेसेंट के नेतृत्व में शांतिपूर्ण साधनों के द्वारा जनता को लामबंद करने की कोशिश की गई.
2. नेताओं ने (विशेषकर तिलक ने) जनता के बीच स्थानीय भाषा में प्रचार प्रसार किया.
3. आंदोलन का स्वरूप धर्मनिरपेक्ष था. इसमें सभी धर्मों के राजनीतिक अधिकारों की बात की गई. आंदोलन के दौरान हिंदू मुस्लिम एकता स्थापित करने की बात की गई.
4. आंदोलन में नरमपंथी और गर्म पंथी दोनों कांग्रेसियों ने भाग लिया इनसे आंदोलन को काफी बल मिला.
होम रुल आंदोलन का विस्तार
इसका स्वरूप अखिल भारतीय तो रहा ही साथ ही इसका विदेशों में भी प्रचार हुआ. भारत में तिलक के नेतृत्व में महाराष्ट्र व कर्नाटक में यह एक संगठित व पदसोपान एक आंदोलन के रूप में उभरा.
दूसरी ओर एनी बेसेंट का कार्यक्षेत्र संपूर्ण भारत था, जो विकेंद्रित आधार पर कार्य कर रहा था. प्रत्येक स्थान पर कोई भी 3 सदस्य मिलकर शाखा का निर्माण कर सकते थे. संयुक्त प्रांत में नेहरू, जिन्ना, मद्रास में बेसेंट, कलकत्ता में बी. चक्रवर्ती और जे. बनर्जी आदि इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे.
भारत से बाहर इसका प्रचार मुख्यतः लंदन और अमेरिका में हुआ. लंदन में ग्राहम पोल ने ब्रिटिश जनमत को भारतीय समस्याओं के प्रति अवगत कराया तथा स्वशासन की भारतीयों की मांग को न्यायोचितत्ता को ब्रिटिश जनमत के समक्ष रखा. ब्रिटिश संसद की एक कमेटी ने होमरूल का समर्थन किया.
एक तरफ अमेरिका में इसका नेतृत्व लाला लाजपत राय ने किया. उन्होंने एक सूचना केंद्र खोला तथा प्रवासी भारतीयों को इस संबंध में जानकारी प्रदान करने का और समर्थन जुटाने का कार्य किया. इसके साथ ही भारतीय होमरूल की मांग पर अंतरराष्ट्रीय जनमत बनाने का कार्य किया गया.
होमरूल आंदोलन खत्म होने के कारण
सरकार ने संवैधानिक सुधारों का वादा किया परिणामस्वरुप एनी बेसेंट के नेतृत्व में नर्मपंथियों का एक गुट आंदोलन से अलग हो गया.
तिलक इंडियन अनरेस्ट के लेखक वेलेंटाइन शिरोल पर मुकदमा करने लंदन चले गए थे. उसने तिलक को भारतीय अशांति का जन्मदाता कहा था.
Home rule movement की सीमाएं
होमरूल आंदोलन ने प्रारंभ में तो अच्छे से कार्य किया. लेकिन बाद में आंदोलन को नेतृत्व के संकट का सामना करना पड़ा. आंदोलन के दौरान ही तिलक इंडियन अनरेस्ट के लेखक वेलेंटाइन शिरोल पर मानहानि का मुकदमा करने के लिए इंग्लैंड गए. उनकी अनुपस्थिति के बाद नेतृत्व प्रभावित हुआ.
एनी बेसेंट की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थक निष्क्रिय हो गए. आंदोलन के दौरान सरकार ने सुधार करने का वादा किया था अतः कई नेताओं को यह लगा कि अब आंदोलन जारी रखने की आवश्यकता नहीं है. खुद एनी बेसेंट अपनी मांगों को लेकर दुविधा में थी. प्रारंभ में उन्होंने सरकार का विरोध किया परंतु बाद में उन्होंने सरकार द्वारा दिए गए सुधारों के आश्वासन के बाद नरम रुख अपनाया.
Home rule movement का महत्व
होमरूल आंदोलन सभी आंदोलन जाति वर्ग तथा लिंग के लोगों को जोड़ने में सफल रहा. इससे कुछ समय के लिए अखिल भारतीय स्तर पर राजनीतिक सक्रियता स्थापित हुए. आंदोलन से हिंदू मुस्लिम एकता बनी. इसने उदारवादी तथा उग्रवादियों के मतभेदों को भुलाकर एकजुट होने को प्रेरित किया. इससे कांग्रेसी एवं राष्ट्रीय पार्टी मजबूत हुई तथा गांधीवादी आंदोलनों के पृष्ठभूमि तैयार हुई. आंदोलन ने सरकार पर दबाव डाला. इससे 1909 के अधिनियम में सरकार भारतीयों की कुछ राजनीतिक अधिकार देने पर बाध्य हुई.
होमरूल लीग ( Home rule league )
आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से तिलक और एनी बेसेंट ने किया. दोनों ने इस हेतु Home rule league लीग बनाया.
तिलक का Home rule league
तिलक ने अप्रैल 1916 में सर्वप्रथम Home rule league की स्थापना की. इसका मुख्यालय पुणे के बेलगांव में था. इसके अध्यक्ष जोसेफ बैपिस्ट तथा सचिव एन सी केलकर थे. तिलक की लीग की 6 शाखाएं थी. इन प्रांतों में कर्नाटक, मध्य प्रांत, बरार, मुंबई छोड़कर पूरा महाराष्ट्र शामिल था.
एनी बेसेंट का Home rule league
बेसेंट ने लीग का गठन 1916 में किया. इसका मुख्यालय अड्यार (मद्रास) था. इसके सचिव अरुंडेल थे. सीपी रामास्वामी अय्यर, बीपी बाडिया, जे बनर्जी, जवाहरलाल नेहरू, बी चक्रवर्ती आदि इसके सदस्य थे. इनकी लीग तिलक के लीग की अपेक्षा अधिक खुली थी. केवल तीन व्यक्ति मिलकर इसका कहीं भी गठन कर सकते थे. इसकी देश भर में 200 से ज्यादा शाखाएं थी.
होमरूल आन्दोलन पर सरकार का रुख
23 जुलाई 1916 को तिलक के जन्मदिन पर सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. उन्हें 60,000 का मुचलका (जमानत राशि) भरने का आदेश दिया गया. निचले कोर्ट ने तिलक को बरी नहीं किया. हाई कोर्ट में मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में वकीलों की पूरी टीम ने मुकदमा लड़ा और उनकी जीत हुई. तिलक को सरकार ने रिहा कर दिया. इससे नेताओं में उल्लास पैदा हुए. गांधी जी ने यंग इंडिया में लिखा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी की बहुत बड़ी जीत है.
जल्दी ही जून 1917 में एनी बेसेंट को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इसका देशभर में प्रतिक्रिया हुई. गिरफ्तारी के विरोध में सुब्रमण्यम अय्यर ने नाइटहुड की उपाधि वापस कर दी. बाद में सितंबर 1917 में सरकार ने एनी बेसेंट को छोड़ दिया. 1908 तक होमरूल आंदोलन समाप्त हो गया.
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