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कौशल का आकलन करने वाले उपकरण और तकनीक क्या है?

कौशल का आकलन करने वाले उपकरण और तकनीक क्या है?
कौशल का आकलन करने वाले उपकरण और तकनीक क्या है?

कौशल का आकलन करने वाले उपकरण और तकनीक क्या है? (What are the tools and Techniques for assessment of Skills?)

किसी भी व्यक्ति के कौशल एवं योग्यता का मापन केवल परीक्षा के माध्यम से ही नहीं हो सकता है। सैद्धान्तिक ज्ञान का मापन परीक्षा के माध्यम से किया जा सकता है, परन्तु कौशलों का आंकलन निष्पादन के माध्यम से ही हो सकता है। कौशलों के विकास के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती ही है। साथ ही बहुत अधिक ध्यान की भी आवश्यकता होती है। निष्पादन के लिए गतिविधियों का विशेष महत्त्व होता है। शिक्षक को या निरीक्षणकर्ता को छात्रों के निष्पादन का आंकलन करने के लिए कुछ विशेष तकनीकों को अपनाना पड़ता है। जिससे कौशलों का विकास होता है।

आंकलन में निपणुता अर्जित करने के लिए शिक्षक को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

(1) शैक्षिक परीक्षणों के शैक्षिक उपयोग तथा उनकी परिसीमाओं का ज्ञान होना चाहिए।

(2) परीक्षण की गुणवत्ता का निश्चय करने की कसौटियों तथा उन कसौटियों से सम्बन्धित आवश्यक सूचनाएँ संकलित करने की विधियों का ज्ञान होना चाहिए।

(3) परीक्षण तैयार करने की योजना बनाने तथा उसमें सम्मिलित किये जाने वाले प्रश्न को लिखने का ज्ञान होना चाहिए।

(4) विभिन्न परिस्थितियों में उपयोगी एवं प्रभावशाली प्रमापीकृत परीक्षणों का चयन करने का ज्ञान होना चाहिए।

(5) उचित तथा निष्पक्ष ढंग से परीक्षण का प्रशासन करना आना चाहिए।

(6) परीक्षणों से प्राप्त प्रांप्ताकों की ठीक-ठीक ढंग से व्याख्या करना तथा उनकी सीमाओं का ज्ञान होना चाहिए। उपर्युक्त बातों के ज्ञान व कौशल से शिक्षणगण छात्रों का शैक्षिक आंकलन करने के अपने दायित्वों को भली प्रकार से पूरा कर सकते हैं।

कौशलों के आंकलन के लिए उपकरण एवं तकनीकी, (Tools and Techinques for Assessment of Skills)

1. निरीक्षण (Observation)— कौशलों का आंकलन निरीक्षण के द्वारा सरलता से किया जा सकता है। किसी भी कौशल को सीखने के लिए सर्वप्रथम हमें उसको भली प्रकार समझना पड़ता है। किसी भी कौशल को समझने के लिए उसकी कलाकृति, कारीगरी पर ध्यान केन्द्रित करना पड़ता है और बहुत बारीकी से उसका निरीक्षण करना पड़ता है। निरीक्षण करते समय उसकी बारीकियों को समझना पड़ता है। उदाहरण के लिए कम्प्यूटर सीखते समय उसके प्रत्येक प्रोग्राम को भिन्न प्रकार से सीखना पड़ता है और उसके लिए भिन्न-भिन्न कार्य विधियाँ अपनानी पड़ती हैं। उसी प्रकार सिलाई का कौशल सीखते समय वस्त्र को आड़ा रखा जाये या सीधा, किनारी किसी ओर पड़ता है, कपड़े के किस भाग से कौन का हिस्सा निकालना है, कहाँ पर कौन सी सिलाई लगानी है इन सभी को समझने के लिए किसी सिले हुए कपड़े का बार-बार निरीक्षण किया जाता है। निरीक्षण तैयार वस्तु का करते हैं और निरीक्षण के आधार पर ही अपनी कमियों को दूर किया जाता है। निरीक्षण किसी कौशल के बारे में जानकारी प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण साधन है। निरीक्षण द्वारा किसी विशिष्ट कौशल के व्यवहारों तथा क्रियाओं का विवरण प्राप्त किया जाता है। निरीक्षण द्वारा व्यक्ति की प्रतिदिन की क्रियाओं और व्यवहारों का निश्चित समय पर एवं समय-समय पर विवरण इकट्ठा किया जाता है। निरीक्षण द्वारा केवल एक व्यक्ति के कौशल का ही आंकलन नहीं किया जाता बल्कि किसी समूह के कौशलों का भी आंकलन किया जा सकता है। केवल कौशलों का आंकलन करने के लिए ही नहीं बल्कि निर्देशन प्रक्रिया में भी निरीक्षण का प्रयोग किया जाता है असामान्य व्यवहार के विभिन्न पक्षों के आंकलन में तथा त्रुटियों को समझने के लिए निरीक्षण किया जाता है।

गुड के अनुसार,निरीक्षण का उपयुक्त परिस्थितियों में व्यक्ति के प्रकट व्यवहार से सम्बन्ध होता है। निरीक्षण को परिभाषित करते हुए सरासन तथा सरासन (Sarason & Sarason) ने कहा है- “निरीक्षण एक शोध विधि है जिसमें कोई चर परिचालित नहीं किया जाता है और सम्बन्धों का अध्ययन उसी स्वाभाविक रूप में किया जाता है जिस रूप में वे धरित होते हैं।”

निरीक्षण में किसी कला के व्यवहार का अध्ययन उसी रूप में किया जाता है जिस रूप में वह कला छात्रों द्वारा सम्पादित की जा रही है।

2. परीक्षण (Test)- किसी भी कौशल को सीखने के लिए निरीक्षण के बाद उसका परीक्षण किया जाता है। निरीक्षण करने के बाद उस ज्ञान को एप्लाई करने के लिए स्वयं ही उस वस्तु को बनाना पड़ता है। कौशलों का विकास करने में परीक्षणों का विशेष महत्त्व होता है। सीखे हुए (निरीक्षण) द्वारा ज्ञान को परीक्षकों के माध्यम से एप्लाई किया जाता हैं परीक्षण स्वयं करके सीखने से सम्बन्धित होते हैं। परीक्षणों के माध्यम से ही व्यक्ति धीरे-धीरे किसी चीज को समझ कर स्वयं उनका प्रयोग करना सीखता है। निरीक्षित वस्तु से प्राप्त ज्ञान का प्रयोग सफलतापूर्वक पूर्ण हो जाता है। परीक्षण निरीक्षित ज्ञान की परीक्षा लेने के लिए किये जाते हैं। परीक्षण यदि ठीक है और परीक्षण के माध्यम से यह ज्ञात हो जाता है कि इसके कौशल का विकास धीरे-धीरे व्यक्ति में हो रहा है। परीक्षण की सफलता निरीक्षण की सफलता पर आधारित होती है। निरीक्षण तथा परीक्षण यह दोनों ही उपकरण एक-दूसरे से सह-सम्बन्धित हैं।

3. अभ्यास (Excercise) – अभ्यास भी निष्पादन का आंकलन करने की एक महत्त्वपूर्ण तकनीक है अभ्यास के माध्यम से भी कौशलों का आंकलन सरलता से किया जा सकता है। किसी भी कौशल को सीखने के लिए उसके सोपानों का निरन्तर अभ्यास करना पड़ता है अभ्यास के माध्यम से ही अधिगम को सुदृढ़ बनाया जाता है। अभ्यास वह तकनीकी है जिसके माध्यम से अति शीघ्र किसी कौशल पर नियन्त्रण किया जा सकता है, नृत्यकला, संगीत कला, कारीगरी कार्य, सिलाई कला, मूर्तिकला आदि किसी भी प्रकार का कौशलजन्य कार्य हो निरन्तर अभ्यास करने से अधिगम को सुदृढ़ बनाया जा सकता है और उस कौशल में व्यक्ति पारंगत बन सकता है। किसी भी कार्य को बार-बार करने से उस कार्य के अधिगम से सम्बन्धित स्मृति चिह्न दृढ़ हो जाते हैं और व्यक्ति बहुत ही सरलता से कुछ ही दिनों में उन विशेष कौशल के निष्पादन के क्षेत्र में पारंगत हो जाता है। अभ्यास का कौशल सीखने में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।

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