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मानसिक मंदिता का अर्थ, परिभाषा तथा विशेषताएँ | Mental Retardation in Hindi

मानसिक मंदिता का अर्थ
मानसिक मंदिता का अर्थ

मानसिक मंदिता का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definitions of Mental Retardation)

कुछ बालक विशेष रूप से कम बुद्धि के होते हैं । वे मानसिक रूप से इतने उप-सामान्य होते हैं कि कक्षा में अध्यापक द्वारा दिए गए निर्देशन को सुगमता से समझ नहीं पाते। टर्मन के अनुसार, 70 से कम बुद्धिलब्धि वाले मानसिक रूप से विकलांग बालक कहलाते हैं।

ऐसे बालक की सीमित बुद्धि होने के कारण वे समाज में अपने आपको समायोजित नहीं कर पाते। इनकी ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इनके समायोजन के लिए यह जानना आवश्यक है कि मानसिक पिछड़ापन क्या है ? मानसिक रूप से पिछड़ेपन या मंद बुद्धिपन से आशय उन बालकों से है जो किसी भी मानसिक रोग के कारण मंदबुद्धि का प्रदर्शन करते हैं और अपनी आयु के स्तर के अनुसार किसी भी कार्य को करने में असमर्थ होते हैं। इस दोष के कारण कई प्रकार की हीन ग्रन्थियाँ पैदा हो जाती है। ऐसे बालक हर तरफ से उपेक्षित रहते हैं। मानसिक रूप से मंदित बालकों को बुद्धिलब्धि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। 70 से 80 के बीच बुद्धिलब्धि (I.Q.) वाले बालक इस वर्ग में आते हैं। मानसिक मंदिता से सम्बन्धित अमेरिकन एसोसियेशन ने मंदिता शब्द की परिभाषा गठित की है, उसे शिक्षा एवं शिक्षण की दृष्टि से यह कार्य व्यावाहारिक माना जा सकता है इसकी परिभाषा इस प्रकार है-

“मानसिक मंदिता से तात्पर्य उस असामान्य साधारण बौद्धिक कार्यक्षमता से है जो व्यक्ति की विकासात्मक अवस्थाओं में प्रकट होती है तथा उसके अनुकूलित व्यवहार में हा से सम्बन्धित होती है ।”

जे. डी. पेज (D.J. Page, 1976) के अनुसार, ” मानसिक न्यूनता या मंदन व्यक्ति में जन्म के समय या बचपन के प्रारम्भ के वर्षों में पायी जाने वाली सामान्य से कम मानसिक विकास की ऐसी अवस्था है जो उसमें बुद्धि सम्बन्धी कमी तथा सामाजिक अक्षमता के लिए उत्तरदायी होती है।”

ब्रिटिश मेण्डल डैफिशियेन्सी एक्ट के अनुसार, “मानसिक मंदन 18 वर्ष से पहले आन्तरिक कारणों की वजह से अथवा बीमारी या चोट के कारण पैदा हुई एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास या तो रूक जाता है या उसमें पूर्णता नहीं आ पाती है।”

According to Tredgold. “A state of arrested or incomplete de- velopment of mind so severe that the patient is incapable of lead- ing an independent life or of guarding himself against serious expoitation in the case of a child, that he will be so incapable when an adult.” – British Mental Deficiency Act.

क्रो और क्रो के शब्दों में, “जिन बालकों की बुद्धिलब्धि 70 से कम होती है, उन्हें मानसिक मंदित बालक कहते हैं “

पोलक व पोलक ने लिखा है, “मंदित बालकों को अब क्षीण बुद्धि बालकों के समूह में नहीं रखा जाता है, इनके लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता है। अब यह स्वीकार करते हैं कि उनके व्यक्तित्व के उतने ही विभिन्न पहलू होते हैं, जितने सामान्य बालकों के व्यक्तित्व के होते हैं।”

अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ मेण्टल डैफिशिएन्सी (American Associa- tion of Mental Deficiency) के अनुसार, “मानसिक मंदिता से व्यक्ति की प्रकार्यात्मकता एवं समायोजन व्यवहार से सम्बन्धित वर्तमान स्थिति का बोध होता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति किसी समय मानसिक मन्दिता के मानदण्डों पर सही उतर सकता है जबकि किसी अन्य समय नहीं भी। कहने का आशय यह है कि व्यक्ति की सामाजिक स्थिति या दशाओं में परिवर्तन या बौद्धिक प्रकार्यात्मकता में कुशलता आने से उसकी सामान्य स्थिति बदल सकती है।”

कप्पूस्वामी के अनुसार, शैक्षिक पिछड़ापन अनेक कारणों का परिणाम है। अधिगम में मंदता उत्पन्न करने के लिए अनेक कारण एक साथ मिल जाते हैं।

इन परिभाषाओं के विश्लेषण के बाद हम मानसिक मंदिता की निम्न प्रकार से व्याख्या कर सकते हैं-

1. मन्दबुद्धि बच्चों की बुद्धिलब्धि 70 या इससे कम होती है।

2. वे समाज की मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करने में असमर्थ होते हैं तथा वे समाज के मूल्यों व आदर्शों के अनुसार व्यवहार नहीं कर पाते।

3. मानसिक शक्तियों का विकास काल 18-19 वर्ष की आयु तक माना जाता है।

4. मानसिक मंदित बालकों का शारीरिक, सामाजिक और संवेगात्मक विकास ठीक प्रकार नहीं हो पाता तथा वे अधिक समय तक किसी विषयवस्तु पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर सकते हैं।

5. औसत से बहुत कम बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ मानसिक मंदन की एक पहचान यह भी है कि इसके शिकार बालक या किशोर अपने आपसे तथा अपने परिवेश से समायोजित होने में काफी कठिनाई या असमर्थता अनुभव करते हैं।

मानसिक मंदित बालकों की विशेषताएँ (Characteristics of Mental Retarded Children)

मानसिक मंदित बालकों की अधिगम या सीखने की गति सामान्य बालकों से होती है। शोधकर्ताओं ने यह प्रमाणित किया है कि मानसिक मंदित – बालकों को बौद्धिक विकास से सम्बन्धित चार क्षेत्रों-अवधान, स्मृति, भाषा और शैक्षणिक स्तर आदि में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामान करना पड़ता है । मानसिक मंदित बालक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. अवधान की कमियाँ (Attentional Defects) – एक बालक किसी भी कार्य को तभी कर सकता है जब वह उसे स्मरण कर सकता हो या सीख सकता हो । शोधकर्ताओं का यह मत है कि मानसिक मंदित बालकों की बौद्धिक समस्याओं में सबसे महत्वपूर्ण समस्या अवधान की समस्या होती है। इसमें स्मरण एवं पूर्व अनुभव से लाभ उठाने की क्षमता नहीं के बराबर होता है।

2. निम्न स्मृति स्तर (Poor Memory) – मानसिक मंदित बालकों की सीखने की गति धीमी होने के कारण ये क्रिया को बार-बार दोहराने के बाद ही कुछ सीख पाते हैं। इतना ही नहीं ये सीखकर भूल भी जाते हैं। इनकी प्रतिक्रिया गति भी धीमी होती है।

3. भाषा विकास (Language Development) – मानसिक मंदित बालक का भाषा विकास निम्न स्तर का होता है। भाषा विकास निम्न स्तर का होने के कारण कोई भी शब्द अपूर्ण एवं दोषपूर्ण होती है। अतः इन बालकों का भाषा विकास सामान्य बालकों से भिन्न होता है।

4. निम्न शैक्षिक उपलब्धि (Poor Academic Achievement)- मानसिक मंदित बालक शैक्षिक उपलब्धि में भी पीछे रहते हैं। इनकी अधिगम क्षमता सीखने या समझने की अपेक्षा रटने पर आधारित होती है। ये कोई भी क्रिया या वस्तु रटकर ही सीखते हैं।

5. सामाजिक और संवेगात्मक अनुपयुक्तता (Social and Emotional Indequacy) – विद्यालयी शिक्षा कम होने के कारण ये बालक सामाजिक एवं संवेगात्मक रूप से स्वयं को समायोजित नहीं कर पाते। ये बालक संवेगात्मक रूप से अस्थिर होते हैं। ऐसे बालकों का अपने ऊपर नियंत्रण नहीं के बराबर होता है। सामूहिक कार्यक्रमों में ये बालक कम भाग लेते हैं। अनुपयुक्त व्यवहार प्रदर्शित करते हैं और जहाँ शांति की आवश्यकता होती है वहाँ शोर मचाना शुरू कर देते हैं।

6. शारीरिक हीनता (Physical Inferiority) – मानसिक मंदित बालकों का शरीर विकृत जाता है। शारीरिक रोगों का सामना करने की क्षमता कम होती है। सामान्य बालकों की तुलना में इनका शारीरिक विकास कम होता है।

7. अभिप्रेरणा की कमी (Lack of Motivation)- मानसिक मंदित बालकों में अभिप्रेरणा की कमी होती है। इनका झुकाव अनैतिकता और अपराध की ओर रहता है। इनमें आत्मविश्वास की कमी होती है। ये बालक स्वयं कार्य नहीं कर सकते लेकिन दूसरे के निर्देशन में ये कार्य कर लेते हैं।

8. समायोजन की समस्या (Adjustment Problem)- मानसिक मंदित बालक स्वयं को असहाय एवं हीन भावना ग्रसित महसूस करते हैं। इन बालकों को अपने परिवार तथा वातावरण सम्बन्धी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मानसिक मंदित बालकों में वातावरण के अनुसार स्वयं को समायोजित करने की क्षमता कम होती है। ये बालक समाज के दूसरे बालकों के साथ खेलना कूदना पसन्द नहीं करते, जिसका परिणाम यह होता है कि बालक में सामाजिकता का विकास नहीं हो पाता और हीन भावना पैदा हो सकती है।

9. सृजनात्मकता की कमी (Lack of Creativity)- मानसिक मंदित बालकों में सृजनात्मकता की भी कमी होती है। सीमित अवधान होने के कारण इन बालकों की रुचि तथा अभिवृत्ति आदि क्षेत्रों में भी कमी होती है। ये बालक किसी एक ही कार्य में अपनी रुचि का प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं।

10. सीमित वैयक्तिक विभिन्नता (Limited Individual Differences)- मानसिक मंदित बालकों में वैयक्तिक विभिन्नता सीमित होती है। वैयक्तिक विभिन्नता से अभिप्राय व्यक्तियों में किसी एक विशेषता या अनेक विशेषताओं को लेकर पाये जाने वाली विभिन्नताओं से है। विभिन्न अवसरों पर ये बालक विभिन्न प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित करते हैं।

 

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shubham yadav

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