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महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय ( Mahatma Gandhi Chitrakoot Gramodaya Vishwavidyalaya)
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना 12 फरवरी, 1991 को चित्रकूट, मध्यप्रदेश में हुई थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है। यह विश्वविद्यालय शिक्षक तैयार करने में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। यहाँ इस दृष्टि से शोध के लिए सभी आवश्यक दशाएँ उपलब्ध हैं। एक केन्द्रीय पुस्तकालय, कम्प्यूटर केन्द्र और भोजन कक्ष भी यहाँ है।
यह विश्वविद्यालय भविष्य के लिए आदर्श नागरिक तैयार करने की दृष्टि से और महात्मा गांधी के स्वप्न ‘ग्रामीण विकास’ को पूर्ण करने की दिशा में अग्रसर है। यह विश्वविद्यालय प्रसिद्ध आध्यात्मिक दृष्टि से पवित्र नदी ‘मंदाकिनी’ के तट पर स्थित है। म० प्र० शासन ने महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर म० प्र० शासन अधिनियम (9, 1919) के अन्तर्गत इस विश्वविद्यालय की स्थापना की है। चित्रकूट म० प्र० के जिला सतना का प्रमुख तीर्थस्थल है। इस विश्वविद्यालय को म० प्र० सरकार ने इसलिए स्थापित किया जिससे दूरस्थ शिक्षा को वास्तविक तकनीक के माध्यम से ग्रामीण जनता को सुलभ कराया जा सके।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय की समस्त शिक्षा प्रणाली के आयाम ग्रामीण विकास को दृष्टिगत रखकर ही तैयार किए गए हैं। इन गतिविधियों में शोध एवं प्रसार शिक्षा भी सम्मिलित है। विश्वविद्यालय, मानव संसाधन, नवीनतम तकनीक, संबद्ध शोध, प्रसार शिक्षा का प्रयोग सतत् कृषि तकनीक के लिए तथा ग्रामीण जगत में निवास करने वाले लोगों के लिए कर रहा है साथ ही ग्रामीण संसाधनों का वास्तविक प्रबन्धन भी कर रहा है। विश्वविद्यालय आधुनिक संचार शिक्षा तकनीक का भी प्रयोग कर रहा है, यह महिला विकास की दिशा में कार्यरत है।
विश्वविद्यालय का न्याय क्षेत्र मध्यप्रदेश है। विश्वविद्यालय ने सम्पूर्ण देश में अपने केन्द्र स्थापित किए हैं।
विश्वविद्यालय उच्चशिक्षा के माध्यम से ग्रामीण विकास की दिशा में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है, इसकी इस भूमिका को आदर्शवादी कहा जा सकता है। ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने भारतीय संस्कृति को जीवित रखते हुए उसमें आधुनिकता का समावेश अत्यधिक प्रवीणता के साथ किया है जिससे सतत ग्रामीण विकास हो रहा है।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण विकास के साथ-साथ ग्रामीणों के नगों की ओर पलायन को रोकना भी है। इसके लिए वह जनसाधारण के साथ विभिन्न प्रकार के शैक्षिक और ज्ञानवर्द्धक कार्यक्रम आयोजित करता रहता है जिससे ग्रामीण जनों में ज्ञान का प्रवाह बिना कुछ व्यय किए होता रहे।
विश्वविद्यालय में निम्नलिखित विभाग कार्यरत हैं-
1. जनसंचार विभाग
2. कृषि विभाग
3. आयुर्वेद विभाग 4. वाणिज्य विभाग
5. शिक्षा विभाग
6. पर्यावरण विभाग
7. चित्रकला विभाग
8. भाषा विभाग
9. ग्रामीण पुनर्निर्माण विभाग
10. विज्ञान विभाग
11. सामाजिक विज्ञान विभाग
12. तकनीक विभाग
13. रिमोट सॉसिंग और जी. आई. एस. विभाग।
विश्वविद्यालय में निम्नलिखित सुविधाएँ भी हैं-
छात्रावास, जिज्ञासा पुस्तकालय, कम्प्यूटर केन्द्र, इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय, कृषि शोध फार्म, प्रयोगशालाएँ, दूरस्थ शिक्षा केन्द्र, स्वास्थ्य सुविधाएँ, इंटरनेट सुविधा आदि।
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