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निर्देशन के प्रमुख क्षेत्र/प्रकार (Major Areas/Types of Guidance)
निर्देशन के प्रमुख क्षेत्र/प्रकार- मनुष्य एक बुद्धिमान, विवेकयुक्त सामाजिक प्राणी है जिसका विकास समाज में होता है। प्रत्येक मनुष्य के अन्दर वैयक्तिक विभिन्नता विद्यमान होती है जिसके आधार पर समाज में अपना स्थान बनाना चाहता है। मनुष्य का विकास और समाज में अपना स्थान सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही उसे समाज में रहकर समाज की भी विभिन्न समस्याओं से अवगत होना पड़ता है। यदि इन समस्याओं का उचित समय पर ठीक ढंग से निराकरण नहीं हो पाता तो व्यक्ति का समायोजन भली प्रकार नहीं हो पाता। ये समस्याएँ अपने आप में जटिल होती हैं, उनका अध्ययन और समाधान भी कठिन होता है। वर्तमान समय में समाज जितना ही विकास कर रहा है, समाज के इस विकास के साथ अनेक नवीन समस्याओं का भी जन्म हो रहा है। इन समस्याओं के कारण मानव जीवन में और जटिलता आ गई है। मनुष्य की समस्याओं में भी बढ़ोत्तरी हो गई है।
मनुष्य की इन समस्याओं के समाधान के लिए निर्देशन सेवाओं की आवश्यकता होती है। मनुष्य की समस्या जिस प्रकार की होगी उसी के अनुसार हमें निर्देशन सेवा का भी चयन करना पड़ता है। अतः समस्याओं की प्रकृति पर ही निर्देशन सेवाओं का प्रकार निर्भर करता है इसलिए मनुष्य की समस्याओं के सटीक निवारण के लिए आवश्यक है निर्देशन सेवाओं का वर्गीकरण कर लिया जाए। निर्देशन सेवाओं के सटीक संचालन के लिए इसका वर्गीकरण जानना अति महत्त्वपूर्ण है। विभिन्न विद्वानों ने निर्देशन सेवाओं के भिन्न-भिन्न प्रकार बताते हुए उनका वर्गीकरण अलग-अलग तरीके से किया है। कुछ विद्वानों द्वारा किया गया निर्देशन सेवाओं का वर्गीकरण इस प्रकार है-
(1) विलियम मार्टिन प्रॉक्टर (W.M. Proctor) का वर्गीकरण- प्रॉक्टर महोदय ने सन् 1930 में छपी अपनी पुस्तक “शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन में निर्देशन के छः प्रकार जो निम्नलिखित हैं-
(i) व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance),
(ii) शैक्षिक निर्देशन (Educational Guidance),
(iii) सामाजिक एवं नागरिक कार्यों हेतु निर्देशन (Guidance for Social and Civic Activities),
(iv) चरित्र निर्माण से सम्बन्धित कार्यों में निर्देशन (Guidance in Character Building Activities)
(v) स्वास्थ्य एवं शारीरिक क्रियाओं से सम्बन्धित निर्देशन ( Guidance Related to the Health and Physical Activities) तथा
(vi) अवकाश के समय का सदुपयोग करने के लिए निर्देशन (Guidance for the Use of Leisure Time)।
(2) कूफ एवं कीफॉवर का वर्गीकरण (Koof and Kefauvor’s Classification)-कूफ एवं कीफॉवर ने निर्देशन सेवाओं का वर्गीकरण पाँच भागों / प्रकारों में किया जो निम्नलिखित हैं-
(i) शैक्षिक निर्देशन (Educational Guidance),
(ii) व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance),
(iii) मनोरंजनात्मक निर्देशन (Recreational Guidance),
(iv) स्वास्थ्य सम्बन्धित निर्देशन (Health Related Guidance) तथा
(v) नागरिक, सामाजिक एवं नैतिक निर्देशन (Civic Socio and Moral Guidance)
(3) पैटरसन का वर्गीकरण (Paterson’s Classification) – कूफ एवं कीफॉवर की भाँति पैटरसन ने भी निर्देशन सेवाओं का वर्गीकरण किया। इन्होंने निर्देशन के निम्न पाँच प्रकार बताए-
(i) शैक्षिक निर्देशन (Educational Guidance),
(ii) व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance),
(iii) व्यक्तिगत निर्देशन ( Personal Guidance),
(iv) स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देशन (Health Related Guidance) एवं
(v) आर्थिक निर्देशन (Economic Guidance)
(4) ब्रीवर द्वारा दिया गया वर्गीकरण (Brewer’s Classification)- जॉन एम. ब्रीवर ने सन् 1932 में छपी अपनी पुस्तक ‘Education is Guidance’ में निर्देशन के निम्न दस प्रकार बताए-
(i) शैक्षिक निर्देशन (Educational Guidance),
(ii) व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance),
(iii) नागरिकता हेतु निर्देशन (Guidance for Citizenship),
(iv) घरेलू समस्याओं में निर्देशन (Guidance in Domestic Problems),
(v) धार्मिक निर्देशन (Religious Guidance),
(vi) सांस्कृतिक क्रिया-कलापों से सम्बन्धित निर्देशन (Guidance Related to Cultural Activities)
(vii) उचित कार्यों हेतु निर्देशन (Guidance for Right Works),
(viii) सहयोग एवं विचार सम्बन्धी निर्देशन (Guidance Related to Cooperation and Thoughtfulness),
(ix) अवकाश एवं मनोरंजन हेतु निर्देशन (Guidance for Leisure and Recreation) एवं
(x) व्यक्तिगत विकास हेतु निर्देशन (Guidance for Personal Development)।
ब्रीवर का वर्गीकरण
यदि ब्रीवर द्वारा दिए गए उपरोक्त वर्गीकरण पर गम्भीरता से विचार किया जाए तो स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ेगा कि ब्रीवर ने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन से सम्बन्धित अनेक पक्षों को निर्देशन के प्रकारों में गिनाया है जिनको व्यक्तिगत एवं सामाजिक निर्देशन के अन्तर्गत रखा जा सकता है। इस प्रकार बीवर के इस वर्गीकरण को केवल चार प्रकारों में समाहित किया जा सकता है। वे चार प्रकार हैं-
(1) शैक्षिक निर्देशन (Educational Guidance),
(2) व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance),
(3) व्यक्तिगत निर्देशन ( Personal Guidance) तथा
(4) सामाजिक निर्देशन (Social Guidance)|
इसी प्रकार यदि हम प्रॉक्टर के वर्गीकरण पर ध्यान दें तो यह ज्ञात होता है कि शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन को छोड़कर शेष चार प्रकारों में स्वास्थ्य, चरित्र निर्माण एवं अवकाश के समय के सदुपयोग को व्यक्तिगत निर्देशन के अन्तर्गत तथा सामाजिक एवं नागरिक कार्य सम्बन्धी निर्देशन को सामाजिक निर्देशन के अन्तर्गत रखा जा सकता है।
पैटरसर ने अपने वर्गीकरण में अनेक प्रकार के निर्देशन को व्यक्तिगत निर्देशन के अन्तर्गत रखकर एक नवीन नाम दिया है किन्तु स्वास्थ्य सम्बन्धी एवं आर्थिक निर्देशन दोनों ही व्यक्तिगत एवं सामाजिक निर्देशन क्षेत्र से सम्बन्धित हैं।
उपरोक्त वर्णित चारों वर्गीकरणों पर यदि विचार किया जाए तो सबसे स्पष्ट तथ्य यह नजर आता है कि शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन तो सर्वमान्य प्रकार हैं जो सभी के वर्गीकरण में शामिल हैं लेकिन अन्य प्रकारों को लेकर मत भिन्नता है लेकिन उन सभी प्रकारों को दो भिन्न-भिन्न वर्गों-व्यक्तिगत निर्देशन एवं सामाजिक निर्देशन की परिधि में समाहित किया जा सकता है। इस प्रकार जो निर्देशन के प्रमुख प्रकार हैं वे हैं-
(1) शैक्षिक निर्देशन (Educational Guidance),
(2) व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance) तथा
(3) व्यक्तिगत निर्देशन ( Personal Guidance)|
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