B.Ed./M.Ed.

बहुभाषी कक्षा-कक्ष | बहुभाषी कक्षा-कक्षों की आवश्यकता | multilingual class room in hindi

बहुभाषी कक्षा-कक्ष
बहुभाषी कक्षा-कक्ष

बहुभाषी कक्षा-कक्ष पर प्रकाश डालें। (Throw light on the multilingual class room.)

बहुभाषी कक्षा-कक्ष भाषा के क्षेत्र में एक नया विचार है। बहुभाषिता से तात्पर्य है बहुत-सी भाषाओं का ज्ञान। कक्षा-कक्ष से तात्पर्य है-कक्षा का वह कमरा जिसमें यह ज्ञान अथवा जानकारी प्रदान की जाती है। इस आधार पर बहुभाषी कक्षा-कक्ष उस स्थल को कहते हैं जहाँ पर बहुत-सी भाषाओं की जानकारी अथवा ज्ञान प्रदान किया जाता है। शिक्षण के क्षेत्र में उस शब्द का महत्त्व आधुनिक समय में बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार के कक्षा-कक्ष में कई भाषाओं को सीखने, समझने तथा बोलने का वातावरण उपलब्ध कराने का प्रया किया जाता है। व्याकरण की अशुद्धियों को दूर करने का प्रयास किया जाता है, उच्चारण संबंधी त्रुटियों को दूर करने का प्रयास किया जाता है, साथ ही बहुभाषी कक्षा-कक्षों में छात्रों को प्रश्नोत्तरों में भी दक्ष बनाने का प्रयास किया जाता है। यह कार्य इस प्रकार किया जाता है जिससे छात्रों में विचार अभिव्यक्ति की क्षमता का भी विकास हो, साथ ही छात्र अपनी भाषागत त्रुटियों में सुधार कर सकें। उनमें भाषा की बोधगम्यता भी बढ़ सके।

बहुभाषी कक्षा-कक्षों की आवश्यकता 

बहुभाषी कक्षा-कक्ष एक प्रकार से राष्ट्र को विशेषज्ञ उपलब्ध कराते हैं। भाषा के जानकारों के अभाव में राष्ट्र प्रगति नहीं कर पाते हैं, कई बार उनके पास सम्पर्क व्यक्तियों की कमी हो जाती है जिससे अन्य देशों तथा पर्यटनों के साथ सम्भाषण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। जब भी लोग यूरोपीय देशों में पढ़ने जाते हैं तो उन्हें कम-से-कम छः माह तक उस देश की भाषा सीखनी पड़ती है क्योंकि अधिकांश यूरोपीय देशों की शिक्षा उनकी भाषा में होती है। हिन्दी भाषा को भी हजारों विदेशी सीखते हैं। व्यापारीकरण के कारण भाषा विशेषज्ञों की माँग सभी देशों में बढ़ी है। अतः बहुभाषा भाषी एक प्रकार से किसी देश का संसाधन होते हैं और इसके लिए भाषा का ज्ञान बढ़ाना किसी भी राष्ट्र के लिए अत्यन्त आवश्यक हो जाता है! कक्षाओं में किसी भाषा को सीखाने के लिए कुछ विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है जिससे छात्रों की त्रुटियों में सुधार किया जा सके। छात्र भाषा सीखते समय कई प्रकार की त्रुटियाँ करते हैं, जैसे- लेखन में त्रुटियाँ, व्याकरण का प्रयोग करते समय त्रुटियाँ, उच्चारण में त्रुटियाँ, वाक्यों के प्रयोग में त्रुटियाँ, वर्तनी में त्रुटियाँ। बहुभाषी कक्षा-कक्षों में विभिन्न उपकरणों की सहायता से जहाँ एक ओर छात्रों की त्रुटियों को दूर किया जाता है, वहीं दूसरी ओर शुद्ध उच्चारण पर भी ध्यान दिया जाता है।

जिस राष्ट्र में कई प्रकार की बोलियाँ तथा भाषाएँ बोली एवं समझी जाती से साथ ही विभिन्न प्रकार की मातृभाषाएँ, राष्ट्रभाषा एवं विदेशी भाषाएँ भी सीखना आवश्यक समझा जाता हो वहाँ पर बहुभाषिता का वातावरण उपलब्ध हो जाता है। बहुत-सी भाषाओं को जानना कोई बुरा बात नहीं है, जिस प्रकार व्यक्ति शिक्षा ग्रहण करके बहुत-से विषयों की जानकारी प्राप्त करते हैं, बहुत-सी डिग्रियाँ लेते हैं, उसी प्रकार एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान उनके व्यक्तित्व का विस्तार ही करेगा। यह भी ज्ञान का एक क्षेत्र है जिसने हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। आज भी बहत से छात्र देशी एवं विदेशी भाषाओं का अध्ययन करने के लिए दूर-दराज शहरों में जाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। विदेशी भाषाओं को सीखने की चाह आजकल बहुत बढ़ गयी है क्योंकि पर्यटन के क्षेत्र में हजारों व्यक्ति अथवा गाइड या सेल्स मैनेजर बनकर विभिन्न प्रकार के रोजगारों में संलग्न हैं और इसे सीखने में किसी प्रकार का विरोध का वातावरण भी नहीं है। परंतु भाषा चाहे जो भी हो उसे सोखने की बाध्यता की अपेक्षा उसमें रोजगार के अवसर यदि उपलब्ध कराए जाएँ तो भाषा का विरोध स्वतः ही समाप्त हो जायेगा।

बहुभाषी कक्षा-कक्ष ( Multilingual Class room) 

बहुभाषी कक्षा-कक्ष एक शिक्षण कक्ष होता है जिसका उपयोग विभिन्न भाषाओं को सिखाने के लिए किया जाता है। बहुभाषी कक्षा-कक्ष, को आजकल प्रयोगशाला का रूप दे दिया गया है जहाँ पर साज-सज्जा से युक्त एक शिक्षण कक्ष होता है जिसका उपयोग भाषाओं में समूह शिक्षण के लिए किया जाता है। कम सज्जित प्रयोगशालाओं में प्रत्येक छात्र के लिए एक-एक पीठिका होती है जो छात्रों को शोरगुल से दूर रखती है और हरेक पर शीर्ष ध्वनि यंत्र रहते हैं जिनकी सहायता से वे बोलते हुए अध्यापक या टेपरिकार्डर या अध्यापक के नियंत्रण में बजने वाले रेकार्ड सुनते हैं। अधिक सज्जित भाषायी प्रयोगशालाओं में लोगों के द्वारा पहने जाने वाले शीर्ष ध्वनि यंत्र (हेडफोन्स) एक संलग्नक के साथ फिट रहते हैं जो लोगों के मुख के सामने एक माइक्रोफोन सीधे रहते हैं और विद्यार्थी के पास एक टेप रिकार्डर प्रायः दोहरे मार्ग और दोहरे रेकार्ड के पुनः चलाने वाले शीर्ष के साथ उसके नियंत्रण में होता है। अध्यापक एक ऐसे स्थान पर बैठता है जो ऐसे ढंग से सज्जित होता है कि किसी छात्र के टेप रिकार्ड करने को सुन सके और अनुदेश दे सके तथा वह छात्र के उच्चारण छात्र-विशेष के द्वारा कहे सुने गये शब्दों को शुद्ध कर सके। इस कथन से स्पष्ट होता है कि भाषा प्रयोगशाला कक्षा-कक्ष एक विशेष ढंग से तथा यंत्रों द्वारा सज्जित एक शिक्षण-कक्ष होता है जहाँ भाषा की शिक्षा दी जाती है। (विद्युतीय

विकसित भाषा कक्षा-कक्षों में छात्रों को अनुदेश पहले से टेप रिकार्ड किये गये भाषण व्याख्यान द्वारा दिये जाते हैं। छात्र शीर्ष ध्वनि यंत्रों के जरिए पढ़ी जाने वाली भाषा में कहे गये शब्द और वाक्य सुनते हैं और पुनः थोड़ी देर के लिए रुका जाता है जिससे छात्र बोलने वाले के शब्दों एवं वाक्यों को दो या तीन बार दुहरा सके। बाद में प्रश्न और उत्तर के अभ्यास से पाठ पढ़ाये जाते हैं और चित्रों का प्रकाशन बड़े पर्दे पर किया जाता है जिसे कक्षा के सभी सदस्य देख सकें। ऐसे प्रकाशन अभ्यास के लिए छात्र को शब्द समूह की जाँच करने का अवसर देते हैं। छात्र चित्रों का वर्णन करते हैं, चित्रों के बारे में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देते हैं, चित्रों तथा कविता का सौन्दर्य निरूपण करते हैं, अभिनयात्मक उद्धरणों का पुनर्कथन (रिसाइटेशन) करते हैं और इस प्रकार से भाषा का ज्ञान प्राप्त करते हैं। जो जिस किसी ढंग से छात्र अभिव्यक्त करते हैं उन्हें वे टेप में लपेट कर फिर से चालू करते कुछ भी और हैं और अपनी अभिव्यक्तियों को सुनते, समझते और सुधारते हैं तथा अपनी पीठिका से अध्यापक भी सुनता है और सुधारता भी है। इस प्रकार से भाषा प्रयोगशाला यंत्रों की सहायता से भाषा सिखाने का एक सक्रिय, स्वप्रयत्नपूर्ण, रोचक तथा उपयोगी आधुनिक शिक्षण अभिकरण कहा जा सकता है।

आधुनिक युग में आवश्यकता इस बात की है कि ज्ञानात्मक विकास वैज्ञानिक एवं यांत्रिक साधनों से हो इसलिए भाषा के शिक्षण के लिए बहुभाषी कक्षा-कक्षों की स्थापना की जाए। यह सर्वविदित है कि बहुभाषा का शिक्षण काफी पिछड़ा हुआ है और भाषा की प्रयोगशाला तथा बहुभाषी कक्षा-कक्ष एक उपयोगी साधन तथा माध्यम है जिससे गद्य, पद्य, नाटक, रचना एवं वैज्ञानिकता के साथ साहित्यिक एवं लोकभाषा का शुद्ध ज्ञान इस नवीन विधा के द्वारा देना संभव है। विदेशी लोगों को हिन्दी भाषा सीखाने के लिए तथा हिन्दी भाषियों को अन्य भाषाएँ सिखाने के लिए यह विधा अत्यन्त उपयोगी है परंतु सबसे बड़ी कठिनाई इस बात की है कि अपने देश में इस ओर शिक्षाशास्त्रियों का ध्यान नहीं जा रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि भारत में बहुभाषा कक्षा-कक्षों की कमी है, इस कारण भाषा गतिविधियों में कितना पिछड़ापन आ गया है, इसकी हम कल्पना भी नहीं कर रहे हैं। इसके साथ-साथ भाषा शिक्षण के क्षेत्र में शोध वृत्ति भी लुप्तप्राय हो गयी है। इस कारण भी बहुभाषा कक्षा-कक्षों के प्रति उदासीनता का वातावरण बना हुआ है। इससे भाषायी विशेषज्ञों की भी कमी हो रही है। किसी भी देश के नागरिकों का बहुभाषी होना मानवीय संसाधनों की वृद्धि है।

इसी भी पढ़ें…

About the author

shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment