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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (National Education Policy of 1986)
केन्द्रीय सरकार ने सुझावों के आधार पर एक नई शिक्षा नीति तैयार की और संसद के बजट अधिवेशन 1986 में प्रस्तुत किया। संसद में प्रस्तुत करने के बाद इसे मई, 1986 में पास कराया गया। इस शिक्षा नीति की घोषणा के कुछ माह बाद इसकी कार्य योजना (Plan Vof Action) नामक दस्तावेज प्रकाशित किया गया। यह भारत की ऐसी पहली राष्ट्रीय नीति है, जिसमें शारीरिक व मानसिक बाधित व्यक्तियों के लिये योजना प्रस्तुत की और साथ ही उनके लिये पर्याप्त संसाधन जुटाये गये हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 के लक्ष्य (Objective of National Policy of Education, 1986)
शारीरिक तथा मानसिक रूप से बाधित तथा सामान्य व्यक्तियों के लिये सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रमों को क्रियान्वयन किया गया है। इसी में से एक नीति है- ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986’ इस नीति का मुख्य उद्देश्य था, सबके जीवन में समन्वयता लाना। बाधितों को सामान्य विकास हेतु अवसर देना चाहिये तथा उनमें साहस व आत्म-विश्वास की वृद्धि करना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य लक्ष्य था इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अग्रलिखित साधन (Measure) अपनाने चाहिये-
1. पूर्णतः प्रयत्न यह करनी चाहिये कि सामान्य बाधित तथा गम्भीर रूप से बाधित बालकों व सामान्य बालकों को एक साथ शिक्षा प्रदान की जानी चाहिये।
2. विशिष्ट बालकों की शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ उनके लिये आवास की सुविधा भी दी जाये तथा जहाँ तक सम्भव हो, यह सुविधा निःशुल्क दी जाये।
3. बाधित बालकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवस्था भी इन संस्थाओं में की जानी चाहिये।
4. अध्यापकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विकास करना विशेषतया प्राथमिक कक्षाओं के अध्यापकों को ऐसा प्रशिक्षण देना जिससे वह विशिष्ट बालकों की विशिष्ट कठिनाइयों का समाधान खोजकर उन्हें मदद दे सकें।
5. शारीरिक रूप से बाधित बालकों की शिक्षा हेतु स्वैच्छिक प्रयास (Voluntary Efforts) करना।
इस प्रकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में यह सारे लक्ष्य रखे गये तथा इनके क्रियान्वयन हेतु हर सम्भव प्रयास सरकार द्वारा किये गये।