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भारत के प्रमुख राष्ट्रीय प्रतीक (National Symbols Of India In Hindi) important for Competitive exams
National symbols of india in hindi important for Competitive exams-हेलो दोस्तों , CurrentsHub.Com पर आपका स्वागत है.Dear Students, आज की अपनी इस पोस्ट में मैं आपको National symbols of india in hindi, national flower of india, indian symbols, national animal of india, national tree of india, indian flag in hindi,national fruit of india, national bird of india, के बारे मे हिंदी मे विस्तार पूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाने जा रहा हूँ | दुनिया के सभी देश अपने अपने देश के स्वाभिमान, विशिष्टता और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने के लिए कुछ प्रतीक को चुन कर उनको राष्ट्रीय प्रतीक घोषित करते है | भारत गणराज्य ने भी कुछ प्रतीकों को राष्ट्रीय प्रतीक घोषित किया है क्योकि राष्ट्रीय प्रतीक देश की गरिमा व् पहचान को दर्शाते है इसलिए इनको चुनते वक़्त बहुत सावधानी रखी जाती है जैसे की ध्वज, मुद्रा, नदी, पक्षी, पेड़ आदि
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भारत के प्रमुख राष्ट्रीय प्रतीक (National Symbols Of India In Hindi)
भारतीय गणराज्य में बहुत से आधिकारिक राष्ट्रीय प्रतीक (National Symbols Of India) है जिनमे ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट, ध्वज, प्रतीक चिन्ह, भजन, यादगार इमारतें और बहुत से देश-भक्त भी शामिल है। इन सभी प्रतीक का भारतीय इतिहास में बहुत महत्व रहा है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भारत के प्रमुख राष्ट्रीय प्रतीक व चिन्ह के आधार पर प्रश्न पूछे जाते है, नीचे हमने राष्ट्रीय प्रतीक (National Symbols of india) के बारे मे विस्तार पूर्वक जानेंगे तो उपलब्ध लेख को ध्यान पूर्वक पढ़े।
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय प्रतीक (National Symbols Of India In Hindi)
राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem Of India)
भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ स्थित अशोक के साम्राज्य से लिया गया है जिसे सम्राट अशोक के समय में 272 BCE – 232 BCE में बनाया गया था।
मूल स्तम्भ में शीर्ष पर चार शेर हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। साथ ही इस जगह पर हाथी, घोड़े और बैल के भी स्मारक बने हुए है। आधार भाग पर बने हुए शेर को कलात्मक ढंग से कमल से अलग किया गया था। 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में स्वीकृत किया था। लेकिन हमें आधिकारिक कागज़ों पर केवल सामने के तीन शेर ही दिखाई देते है, जबकि एक शेर धर्म चक्र के पीछे की तरफ भी बना हुआ होता है।
शासकीय कार्यों में प्रयोग में लाये जाने वाले राष्ट्रीय प्रतीक अलग-अलग रंग के होते हैं। नीला राष्ट्रीय प्रतीक भारत के मंत्रियों द्वारा, लाल राष्ट्रीय प्रतीक राज्य सभा के सदस्यों व अधिकारियों द्वारा, हरा राष्ट्रीय प्रतीक लोक सभा के सदस्यों के द्वारा उपयोग में लाया जाता है।
प्रतीक के नीचे मुंडकोपनिषद् में लिखा सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में अंकित है। इस खंड में आपको भारत की राष्ट्रीय पहचान के प्रतीकों का परिचय दिया गया है। यह प्रतीक भारतीय पहचान और विरासत का मूलभूत हिस्सा हैं। विश्व भर में बसे विविध पृष्ठभूमियों के भारतीय इन राष्ट्रीय प्रतीकों पर गर्व करते हैं क्योंकि वे प्रत्येक भारतीय के हृदय में गौरव और देश भक्ति की भावना का संचार करते हैं।
इसके उपयोग को नियंत्रित और प्रतिबंधित करने का कार्य राज्य प्रतीक की भारतीय धारा, 2005 के तहत किया जाता है। वास्तविक अशोक के स्तम्भ शिखर पर मौजूद शेर वाराणसी के सारनाथ संग्रहालय में संरक्षित है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (National Flag Of India)
केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग से बना है हमारे देश का तिरंगा, भारतीय तिरंगा आयताकार आकार में बना हुआ है।तीन अलग-अलग रंगों से तीन समतल चौड़ाई वाली सीमा बनाई गयी है। तीनो रंग अलग-अलग बातो और गुणों को दर्शाते है। इसे सारनाथ में अशोक के सिंह स्तम्भ पर बने चक्र से लिया गया है ध्वज की लम्बाई एवं चौडाई का अनुपात 3:2 है भारत के संविधान सभा ने राष्ट्र ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई, 1947 ई. को अपनाया। शीर्ष में गहरा केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है। हरा रंग देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाता है।
बीच की सफेद पट्टी में एक नौसैनिक नीला चक्र है (जिसे धर्म चक्र या कानून का पहिया भी कहते है)
कानून के तहत तिरंगे का निर्माण हाथ से काते हुए कपड़े से हुआ है जिसे ख़ादी कहा जाता है।
भारतीय ध्वज संहिता 2002 के अनुसार सभी भारतीय नागरिकों एवं निजी संस्थाओं आदि को भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शन का अधिकार है
जनवरी, 2004 को एक महत्वपूर्ण विनिर्णय में उच्चतम न्यायालय (मुख्य न्यायाधीश बी.एन. खरे की अध्यक्षता में) ने यह घोषणा की कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (अ) के आधीन राष्ट्रीय ध्वज फहराना नागरिकों का मूल अधिकार है।
भारत का राष्ट्रगान (National Anthem Of India)
24 जनवरी 1950 में संवैधानिक सभा द्वारा भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ को आधिकारिक रुप से अंगीकृत किया गया था। इसको रविन्द्रनाथ टैगोर (प्रसिद्ध बंगाली कवि, कलाकार, नाट्य कार, दर्शन शास्त्री, संगीतकार और उपन्यासकार) द्वारा लिखा गया था।पहली बार 27 दिसम्बर 1911 को कलकत्ता में कांग्रेस के सेशन में इसे गाया गया था। इसे रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने 1912 ई0 में “तत्व बोधिनी ” में भारत भाग्य विधाता शीर्षक से प्रकाशित किया था | कुछ राजनैतिक कारणों की वजह से ही वंदेमातरम् की जगह पर जन गन मन को राष्ट्रगान घोषित किया गया था। भारत के सभी राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान इसे गाया जाता है। इसके पूरे प्रस्तुतिकरण में 52 सेकेंड का समय लगता है हालाँकि इसका लघु संस्करण (पहली और अंतिम पंक्ति) को पूरा करने में केवल 20 सेकेंड का समय लगता है। 1919 में ‘Morning Song of India’ के नाम से अंग्रेजी अनुवाद किया और मदनपल्लै में इसका संगीत दिया गया।
राष्ट्रगान के वर्तमान संगीतमय धुन को बनाने का श्रेय कैप्टन राम सिंह ठाकुर (INA के सिपाही) को जाता है।
“ जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जय गाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।। ”
राष्ट्रीय गीत – National Song Of India
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वंदे मातरम् के पहले दो छंदों को राष्ट्रीय गीत के रूप में 26 जनवरी 1950 को स्वीकार किया गया | इसको बंकिमचन्द्र चैटर्जी द्वारा बंगाली और संस्कृत में 1882 में उनके अपने उपन्यास आनन्द मठ् में लिखा गया था। इस गीत को उन्होंने चिनसुरा (पश्चिम बंगाल का एक शहर, हुगली नदी पर अवस्थित, कोलकाता से 35 कि.मी. उत्तर, भारत) में लिखा था। इसे सर्वप्रथम 1896 ई0 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अधिवेशन (अध्यक्ष – रहीमतुल्ला सयानी ) में रबिन्द्रनाथ टैगोर ने गाया था। इसका स्थान जन गण मन के बराबर है। 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में एक बयान दिया, “वंदे मातरम्, जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई है, जन गण मन के साथ समान रूप से सम्मानित किया जाएगा और इसके साथ बराबर का दर्जा होगा”| इस गीत को गाने का समय 1 मिनट और पाँच सेकेंड है। किसी भी व्यक्ति को राष्ट्र गीत गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
भारत का राष्ट्रगीत
” वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यश्यामलाम्
मातरम्।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम् “
भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर – National Calendar Of India
22 मार्च 1957 को राष्ट्रीय कैलेंडर को अपनाया गया जो साका कैलेंडर पर आधारित था। साधारणतः एक साल में 365 दिन होते है। भारतीय राष्ट्रिय कैलेंडर की तारीख भी ग्रेगोरियन कैलेंडर की तारीखों की तरह ही थी। इसका पहला महीना चैत्र है। यह सामान्यत: सामान्य वर्ष में 21 मार्च को एवं लीप वर्ष में 22 मार्च को प्रारंभ होता है।कैलेंडर सुधार कमेटी के प्रमुख (तारा भौतिकविद् मेघनाद साह) और दूसरे सहयोगियों को एकदम सही कैलेंडर बनाने के लिये कहा गया था जिसे पूरे देश के लोग अंगीकृत करें।
कुछ अधिकारिक कार्यो जैसे भारत सरकार, न्यूज़ ब्रॉडकास्ट, ऑल इंडिया रेडियो इत्यादि जगहों पर भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर और ग्रेगोरियन कैलेंडर दोनों का भी उपयोग किया जाता है।
month(sanskrit) Length start date Tropical zodiac Tropical zodiac (sanskrit)
1.चैत्र 30/31 march 22* Aries मेष
2.वैशाख 31 april 21 Taurus वृषभ
3.ज्येष्ठ 31 may 22 Gemini मिथुन
4.आषाढ़ 31 june 22 Cancer कर्क
5.श्रावण 31 July 23 Leo सिंह
6.भाद्रपद 31 august 23 Virgo कन्या
7.अश्विन 30 september 23 Libra तुला
8.कार्तिक 30 october 23 Scorpio वृश्चिक
9.अग्रहायण 30 november 22 Sagittarius धनु
10.पौष 30 december 22 Capricorn मकर
11.माघ 30 january 21 Aquarius कुंभ
12.फाल्गुन 30 february 20 Pisces मीन
राष्ट्रीय फूल – National Flower Of India
भारत में बहुत से सुगंधित और रंग-बिरंगे फूल पाये जाते है लेकिन भारत का राष्ट्रीय फूल कमल ( नेलम्बो न्यूसिफेरा गार्टन ) है।यह पवित्र पुष्प है और इसका प्राचीन भारत की कला और गाथाओं में विशेष स्थान है और यह अति प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है। कहा जाता है की कमल से ही भारत की परंपरा, भारत का इतिहास और भारतीय संस्कृति जुडी हुई है। कहा जाता है की सुंदर और मनमोहक कमल का फूल भारत की संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है।
कमल का फूल मैले पानी में खिलता है और पानी के बाहर ऊंचाई पर जाता है।दिल की शुद्धता और दिमाग की शांति का प्रतिनिधित्व भी राष्ट्रीय फूल कमल करता है। कमल को ईश्वर का प्रतीक भी माना जाता है। बहुत से धार्मिक कार्यो के लिये भी लोग कमल के फूल का उपयोग करते है। भारत पेड़ पौधों से भरा है। वर्तमान में उपलब्ध डाटा वनस्पति विविधता में इसका विश्व में दसवाँ और एशिया में चौथा स्थान है।
राष्ट्रीय पक्षी – National Bird Of India
भारतीय मोर (प्राणी शास्त्र से संबंधित नाम पावो क्रिसटेट्स) को भारत में 1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। इसके राष्ट्रीय पक्षी चुने जाने का एक और कारण यह भी है की देश के सभी भागों में मोर पाये जाते है और साधारणतः सभी लोग मोर को जानते ही है। ये भारतीय उपमहाद्वीप का देशीय पक्षी है, जो एकता के सजीव रंगों और भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
ये सुंदरता, गर्व और पवित्रता को दिखाता है। इसके पास एक बड़े पंखों के आकार में फैले पंख है और लंबा पतला गर्दन है। मादा मोर की अपेक्षा (बिना पूँछ के) नर मोर ज्यादा रंगीन और अति मनमोहक कांस्य हरा 200 लम्बे पंखों का गुच्छा होता है। जब भी मानसून का आगमन होता है तब वो खुश हो जाते है और आकर्षक तरीके से अपने पंखों को फैला लेते है। मादा मोर रंग में भूरी होती है और नर मोर से आकार में छोटी होती है। नर का दरबारी नाच पंखों को घुमाना और पंखों को संवारना सुंदर दृश्य होता है। इनकी अपनी अलग धार्मिक महत्ता है और भारतीय वन्यजीव (सुरक्षा) की धारा 1972 के तहत संसदीय आदेश पर सुरक्षा प्रदान की गयी है। ये देश के हर क्षेत्र में पाया जाता है।
हिन्दू धर्म में इसे भगवान मुरुगा का वाहन माना जाता है जबकि ईसाईयों के लिये ये “पुनर्जागरण” का प्रतीक है। भारत में मोर का शिकार प्रतिबंधित है। इसके साथ ही भारत के अलावा और किसी भी दूसरे देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर नही है।
भारत का राष्ट्रीय पशु – National Animal Of India
शाही बंगाल बाघ (प्राणी शास्त्र से संबंधित नाम पैंथरा टाइग्रिस लिनियस), भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला एकमात्र सबसे बड़े माँसाहारी पशु को भारत के राष्ट्रीय पशु के रुप में अपनाया किया गया है। इसकी मोटी पीली लोमचर्म का कोट होता है जिस पर गहरी धारीदार पट्टियां होती हैं| ये बड़े आराम से वायुशिफ के जंगलों में दौड़ सकता है और समृद्धि, क्षमता, प्रबलता और विशाल शक्ति का प्रतीक है। लावण्यता, ताकत, फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है।
टाइगर हमें भारत के कुछ भागो को छोड़कर कोने-कोने में दिखाई देते है। पूरी दुनिया के बाघों के आधी से ज्यादा जनसंख्या केवल भारत में पायी जाती है। भारतीय सरकार ने शाही खेल शिकार को प्रतिबंधित कर दिया है क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर इनकी संख्या में कमी आ रही थी। अप्रैल 1973 में, बाघों की सुरक्षा और उनको बचाने के लिये भारतीय सरकार ने “प्रोजेक्ट टाइगर” की शुरुआत की। इनके विलुप्तप्राय होने से बचाव और सुरक्षा के लिये भारत में 23 टाइगर आरक्षित क्षेत्र बनाया गया है। बाघों की अधिकतम उम्र लगभग 20 साल होती है।
भारत का राष्ट्रीय फल (National Fruit of India)
भारत की ज़मीन में विविधता होने के बावजूद आम (मेंगिफेरा इंडिका) भारत का राष्ट्रीय फल है क्योंकि इसकी उत्पत्ति भारत में हुई और 100 से ज्यादा किस्मों के विभिन्न आकार, माप और रंग के उपलब्ध है। आम में भरपूर मात्रा में विटामिन A, C और D होता है और आम से जुडी इतिहास में बहुत सी काल्पनिक कथाए भी है। प्रसिद्ध भारतीय कवी कालिदास ने भी अपनी कविताओ में अपनी भाषा में आम की तारीफ कर उसका उपयोग किया है। आम केवल एलेग्जेंडर को ही पसंद नही थे बल्कि ऐसा कहा जाता है की मुग़ल शासक अकबर ने 1,00,000 से भी ज्यादा आम के पेड़ लगाये थे। भारतीय लोगो का आम का स्वाद काफी पसंद है। आम के आचार का स्वाद भी भारतीयों को बहुत लुभाता है।
भारत का राष्ट्रीय फल (National fruit of India)
आम (वानस्पतिक नाम मैनजीफेरा इंडिका) को सभी फलों में राजा का दर्जा प्राप्त है। इसकी उत्पत्ति भारत में हुई और 100 से ज्यादा किस्मों के विभिन्न आकार, माप और रंग के उपलब्ध है। इस रसदार फल को भारत के राष्ट्रीय फल के रुप में अंगीकृत किया गया है। इसकी जुताई भारत के लगभग हर क्षेत्र में होती है। भारत के कई पौराणिक कथाओं में इसकी ऐतिहासिक मान्यता और महत्व रहा है। कई प्रसिद्ध भारतीय कवियों द्वारा उनकी अपनी भाषा में इसकी तारीफ की गई है। ये विटामिन A, C, और D से युक्त है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिये बेहतर होता है।
इसके स्वाद को एलेक्जेंडर और ह्यून सांग द्वारा पसंद किया गया था। ऐसा माना जाता है कि दरभंगा (आधुनिक बिहार) के लगभग सभी क्षेत्र में महान मुगल सम्राट, अकबर के द्वारा लगभग एक लाख आम के पेड़ लखी बाग में लगाये गये थे। दिल्ली में हर साल अंतर्राष्ट्रीय आम दिवस आयोजित होता है जहाँ पर विभिन्न प्रकार के आमों को देखा जा सकता है।
भारत का राष्ट्रिय वृक्ष – National Tree Of India
बरगद ( वानस्पतिक नाम फाइकस बैंगालेंसिस ) भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है, जिसकी टहनियाँ काफी फैली हुई होती है और इसका जीवनकाल भी काफी लंबा है। इसे अविनाशी पेड़ माना जाता है क्योंकि ये अपने जड़ों से बहुत बड़े क्षेत्र में नए पौधों को विकसित करने की क्षमता रखता है। इसकी जड़े, टहनियाँ और इसका आकार काफी विशाल होता है। हजारो सालो से बरगद का वृक्ष किसी भी दुसरे वृक्ष से ज्यादा समय तक जीता है। इसे हम अमरत्व वाला पेड़ भी कह सकते है। बरगद के पेड़ के नीछे छाया में बैठने जैसी दूसरी जगह आपको और कही नही दिखाई देगी।
हिन्दू मान्यता के अनुसार, ये भगवान शिव का आसन है और इसी पर बैठ कर वो संतो को उपदेश देते है, इसी वजह से हिन्दू धर्म के लोग इसकी पूजा करते है।
जब आप बुरी तरह से थक जाओ तब आप ज़रुर बरगद के पेड़ के नीचे आराम करना चाहेंगे। बरगद का पेड़ आपको सीधे पड़ने वाली सूरज की किरणों से बचाता है। भारतीय लोग इस पेड़ को पूजते भी है। बरगद के पेड़ से जुड़ी बहुत सी ऐतिहासिक कहानियाँ भी है।
भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव (National Aquatic organisms of India)
गैंगेटिका डॉलफिन (प्राणी शास्त्र से संबंधित नाम प्लैटानिस्ता गैंगेटिका) जो पवित्र गंगा नदी का प्रतिनिधित्व करती है क्योंकि ये केवल साफ और शुद्ध पानी में ही जिंदा रह सकती है। डॉलफिन एक स्तनधारी जीव है अर्थात् ये बच्चों को जन्म देती है। इसकी लंबी नुकीली नाक और दोनों जबड़ों पर दिखायी देने वाले दाँत बेहद साफ है। इसकी आँखों में कोई लेंस नहीं है। इसका शरीर ठोस और चमड़ा हल्के भूरे रंग का है, वही भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है|
डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव कब घोषित किया गया
5 अक्टूबर, 2009 को डाल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया।ये साँस लेने के दौरान आवाज करती है इसलिये इन्हें सुसु भी कहा जाता है। सामान्यत: ये भारत में मेघना ,गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदीयों में पाया जाता है साथ ही बांग्लादेश (करनाफूली नदी) और भूटान में भी पाया जाता है। इन्हें दुनिया के सबसे पुराने जीवों में से एक माना जाता है। दिनों-दिन डॉलफिन की संख्या घटती जा रही है इनको सुरक्षित करने के लिये अभ्यारण्य क्षेत्रों संरक्षण कार्य शुरु हो चुका है।
भारत की राष्ट्रीय नदी (National River Of India)
भारत की सबसे लंबी, विशाल और पवित्र नदी गंगा (2510 K.M. के पहाड़ी , घाटी और मैदानी क्षेत्रो तक फैली) है, दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी इस नदी के किनारे बसी है।प्राचीन समय से ही हिन्दूओं के लिये गंगा नदी बहुत बड़ा धार्मिक महत्व रखती है | हिन्दुओ के अनुसार गंगा ही धरती की सबसे पवित्र नदी है और इसके पवित्र जल को कई अवसरों पर इस्तेमाल किया जाता है।
भारत की राष्ट्रीय मुद्रा (National Currency Of India)
भारतीय रुपये (ISO कोड : INR) आधिकारिक रुप से भारतीय गणराज्य की मुद्रा है। भारतीय मुद्रा पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया का नियंत्रण रहता है। भारतीय रुपये का चिन्ह देवनागरी व्यंजन “र” और लैटिन शब्द “R” है जिसे 2010 में अपनाया गया था। रुपये के चिन्हों के साथ 8 जुलाई 2011 को भारत में सिक्कों की शुरुआत हुई थी। आर.बी.आई ने “पैसा बोलता है” नाम से एक वेबसाइट नकली करेंसी के बारे में लोगों को जागरुक करने के शुरु की है।
भारत का राष्ट्रीय खेल (National Sport Of India)
भारत में क्रिकेट की प्रसिद्धि के बावजूद भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है, जिस समय हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित किया गया था, उस समय हॉकी काफी प्रसिद्ध भी था। 1928 से 1956 तक का समय हॉकी का सुनहरा समय था उस समय भारत को ओलंपिक्स में छ: लगातार जीत के साथ आठ ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते थे। उस समय भारत ने 24 ओलंपिक्स मैच खेले थे और सभी में भारत को जीत मिली थी। अभी तक के भारतीय हॉकी इतिहास में ध्यानचंद सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी है। उन्हें अभी भी असाधारण गोल करने के कौशल के लिये याद किया जाता है।
भारत का राष्ट्रिय धरोहर पशु (National Heritage of India)
भारतीय हाथी 3 प्रसिद्ध एशियन हाथियों में से एक है। हाथी भारत के चार अलग-अलग क्षेत्रो में पाये जाते है।भारत सरकार ने हाथी को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया है | भारतीय वन विभाग के महानिदेशक की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार हाथियों पर बनाई गई विशेष समिति की सिफारिश पर लिए गए इस फ़ैसले की सूचना सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को दे दी गई है
राष्ट्रिय प्रतिज्ञा (National promise)
भारतीय गणराज्य का वचन देना ही भारतीय राष्ट्रिय प्रतिज्ञा है। बहुत सी सामाजिक सभाओ, असेंबली, भारतीय स्कूलो में, स्वतंत्रता दिवस पर और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रिय प्रतिज्ञा ली जाती है।
भारत का राष्ट्रीय संकल्प (National resolution of India)
भारत मेरा देश और सभी भारतवासी मेरे भाई और बहन है।
मैं अपने देश से प्रेम करता हूँ और मैं इसकी समृद्धि और विभिन्न विरासत पर गर्व करता हूँ।
मैं अवश्य हमेशा इसके लिये योग्य मनुष्य बनने का प्रयास करुँगा।
मैं अवश्य अपने माता-पिता और सभी बड़ों का आदर करुँगा, और सभी के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करुँगा।
अपने देश और लोगों के लिये, मैं पूरी श्रद्धा से संकल्प लेता हूँ, उनकी भलाई और खुशहाली में ही मेरी खुशी है।
भारतीय गणराज्य द्वारा भारत के राष्ट्रीय संकल्प के रुप में राजभक्ति के कसम को अंगीकृत किया गया था। सामान्यत: ये कसम भारतीयों द्वारा सरकारी कार्यक्रमों में और विद्यार्थीयों द्वारा किसी राष्ट्रीय अवसरों (स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस पर) पर स्कूल और कॉलेजों में लिया जाता है। ये स्कूली किताबों के आमुख पृष्ठ पर लिखा होता है।
इसे वास्तव में पिदिमार्री वेंकटा सुब्बाराव (एक लेखक और प्रशासनिक अधिकारी) ने तेलुगु भाषा में 1962 में लिखा था। इसे पहली बार 1963 में विशाखापट्टनम् के एक स्कूल में पढ़ा गया था। बाद में इसे सुविधा के अनुसार कई क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया। बैंगलोर, एम.सी चागला की अध्यक्षता में, 1964 में शिक्षा की केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड की मीटिंग के बाद इसे 26 जनवरी 1965 से ये स्कूलों में पढ़ा जाने लगा।
भारत का राष्ट्रीय दिवस (National Day of India)
स्वतंत्रता दिवस, गाँधी जयंती और गणतंत्र दिवस को भारत के राष्ट्रीय दिवस के रुप में घोषित किया गया है। स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त के दिन मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1947 में भारतीयों को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली थी। 26 जनवरी 1950 को भारत को अपना संविधान प्राप्त हुआ था इसलिये इस दिन को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है। हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनायी जाती है क्योंकि इसी दिन गाँधी का जन्म हुआ था। सभी राष्ट्रीय दिवस को राजपत्रित अवकाश के रुप में पूरे भारत-वर्ष में मनाया जाता है।
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प्रणाम सर
भारत के राष्ट्रीय चिन्ह और उनका अर्थ से लेकर एक – एक बिंदु को क्रमवार , सारगर्भित लेख के साथ पाठकों के सम्मुख सफलता पूर्वक रखने के लिए आप बधाई के पात्र है .. संभवतः इस विषय को लेकर अगर किसी व्यक्ति के अंदर संशय होगा भी तो वह दूर हो गया होगा .. आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है की आप भविष्य में भी इसी तरह नए जिज्ञासु पाठकों का नई – नई जानकारियों द्वारा मार्गदर्शन करेंगे .. एवं नए लेखकों का मार्गदर्शन भी ..
धन्यवाद ..
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ..