अनुक्रम (Contents)
सामाजिक नियन्त्रण में नेतृत्व या नेता के कार्य
(1) प्रबन्धकारी कार्य (Executive Functions)
नेता एक प्रबन्धक के रूप में कार्य करता है। वह लोगों में कार्य का विभाजन करता है। वह अकाल, प्राकृतिक प्रकोप, आदि के समय आवश्यक आवश्यकताओं को जुटाने के लिए सरकार से सहायता का प्रबन्ध करता है। और मांगों को सरकार के सम्मुख रखता है।
(2) योजना बनाना (To Prepare Plan)
नेता विकास एवं जनहित के लिए योजनाएं बनाता है। यदि वह किन्हीं संस्थाओं का पदाधिकारी होता है तो अनेक योजनाएं बनाता है और उनके क्रियान्वयन के लिए सरकार से सहायता प्राप्त करता है। वह अपनी योजना को पूरी करने के विभिन्न तरीके भी सुझाता है। वह यह भी देखता है कि योजना, उसके लक्ष्य और साधन व्यवहारिक हैं अथवा नहीं। योजनाएं दो प्रकार की बनायी जाती हैं : तात्कालिक व दीर्घकालीन । विकास एवं कल्याण की योजनाएं दीर्घकालिक होती है, जबकि छोटे-मोटे कार्य जिन्हें थोड़े ही समय में पूरा करना जरूरी होता है, के लिए तत्कालिक व अल्पकालीन योजनाएं बनायी जाती हैं।
(3) नीति का निर्धारण (Policy Making)
नेता समूह के आदर्शों, उद्देश्यों और नीति को तय करता है। नीति-निर्धारण में वह अपनी सूझ-बूझ का प्रयोग कर सकता है अथवा अपने से उच्च नेता का मार्ग-दर्शन प्राप्त कर सकता है। वह नीति के प्रति अपने अनुयायियों की प्रतिक्रिया का भी ध्यान रखता है और अनुयायियों के द्वारा अस्वीकार किये जाने पर नीति में संशोधन भी करता है।
(4) विशेषज्ञ के रूप में कार्य करना (To Act as an Expert)
समूह के लोगों के लिए उसका नेता एक विशेषज्ञ की भूमिका निभाता है। वह योजना बनाने और उसे लागू करने में आने वाली कठिनाइयों को विशेषज्ञ होने के नाते दूर करता है। नेता समूह के लिए तैयार सूचना और तैयार हल का कार्य करता है। सरकारी काम-काज कराने और न्यायिक मामलों में वह एक विशेषज्ञ के रूप में होता है।
(5) समूह का प्रतिनिधित्व (Representation of the Group)
नेता अपने समूह के प्रतिनिधित्व का कार्य भी करता है। वह उच्चाधिकारियों के सम्मुख अपने समूह के प्रतिनिधि के रूप में बोलता है और समूह की वास्तविक स्थिति से उन्हें अवगत कराता है। वह अपने उच्चाधिकारियों के सम्मुख विभिन्न मांगों को उनका औचित्य बताते हुए रखता है। नेता समूह के लिए द्वार-रक्षक (Gate-Keeper) का कार्य करता है। इस रूप में वह समूह की आन्तरिक सूचना को बाहर एवं की बाहर की सूचना को समूह के भीतर पहुंचाता है।
(6) आन्तरिक सम्बन्धों का नियन्त्रण करना (Controlling of Internal Relations)
नेता अपने अपने समुदाय, दल, गुट एवं जाति के आन्तरिक मामलों की देख- रेख करते हैं। वे सदस्यों के पारस्परिक सम्बन्धों को नियन्त्रित करते हैं और उनमें तनाव पैदा होने पर पारस्परिक तालमेल बैठाते हैं। समूह के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वे सभी सदस्यों का सहयोग प्राप्त करते हैं।
(7) पुरस्कार व दण्ड की व्यवस्था (To Arrange for Reward and Punishment)
नेता अपने उन सदस्यों के लिए पुरस्कार की व्यस्था करता है जो समूह के हित में कार्य करते हैं। वह उनकी प्रशंसा करता है और उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाने का प्रयास करता है। जो सदस्य सामूहिक हितों के विपरीत कार्य करते हैं, वह उनकी आलोचना करता और उन्हें समूह से बहिष्कृत करता है। प्रशंसनीय कार्य करने पर वह सदस्यों को उच्च पद देकर सम्मानित व गलत कार्य करने पर पदच्युत भी कर सकता है।
(8) पंच एवं मध्यस्थ के रूप में कार्य करना (To act as Arbitrator and Mediator)
समूह के सदस्यों में संघर्ष पैदा होने के समय नेता पंच एवं मध्यस्थ का कार्य करता है और दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय भी देता है। वह समूह में गुटबन्दी की प्रक्रिया को रोककर समूह के संगठन को बनाये रखता है।
(9) आदर्श बनाना (To Place himself as an Exampler)
नेता समूह के लिए एक आदर्श व्यक्ति होता है। प्रत्येक सदस्य उसे अपने से श्रेष्ठ मानता है और उसके आचरण का अनुकरण करने का प्रयास करता है। वह समूह के लिए प्रेरणा स्रोत होता है।
(10) समूह के प्रतीक के रूप में कार्य करना (To Act as a Symbol of the Group)
नेता अपने समूह का प्रतीक माना जाता है। नेता के आचरण और व्यवहार को देखकर उसके समूह के आचरण और व्यवहार का पता लगाया जा सकता है। अन्य व्यक्ति नेता को देखकर ही उसके अनुयायियों व समूह के बारे में अनुमान लगा लेते हैं।
(11) समूह के पथ-प्रदर्शक के रूप में कार्य करना (To Act as a Guide of the Group)
नेता समूह का मार्ग-दर्शक होता है। संकट काल में वह उनके साथ होता है और रचनात्मक कार्यों में उनके एक शिक्षक और सहयोगी के रूप में कार्य करता है। जब लोग यह निर्णय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें अमुक परिस्थिति से निपटने के लिए क्या करना चाहिए तो वे नेता की शरण में जाते हैं और उसे राह का दीपक समझकर उसकी सलाह के अनुसार कार्य करते हैं और उसके दिशा-निर्देश को स्वीकार करते हैं।
(12) संरक्षक के रूप में कार्य करना (To Act as Protector)
नेता सारे समुदाय का संरक्षक माना जाता है। नेता एक पिता की भांति अपने सदस्यों का मार्ग-दर्शक, उनके सुख- दुःख का साथी और स्नेह व सुरक्षा प्रदान करने वाला होता है। अपने समूह के सदस्यों पर संकट आने पर वह उन्हें संरक्षण प्रदान करता है। साथ ही वह उन्हें राह दिखाकर संकट से मुक्ति दिलाता है। सदस्य भी उस नेता को दयालु और पिता-तुल्य मानते हैं। जनहित के लिए ऐसे नेता अपने कई व्यक्तिगत हितों का बलिदान करने को तैयार रहते हैं।
(13) एक सुधारक के रूप में कार्य करना (To act as a Reformer)
एक नेता समाज-सुधारक भी होता है। क्योंकि नेता में उसके अनुयायियों का विश्वास होता है, अतः वह समाज में प्रचलित कई बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास करता है और सदस्य उसे इस काम में सहयोग देते हैं। हमारे देश में महात्मा गांधी, राजा राममोहनराय, स्वामी विवेकानन्द व टैगोर इसी प्रकार के नेता हुए हैं जिन्होंने अपने प्रयासों से समाज में प्रचलित कई बुराइयों को समाप्त किया।
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