अनुक्रम (Contents)
हिंदी भाषा एवं व्याकरण ras chand alankar examples
हिंदी भाषा एवं व्याकरण ras chand alankar examples-Dear Friends आपका currentshub.com पर फिर से स्वागत है जैसा की आप सभी जानते हैं कि आज हम आप सभी के लिए ras chand alankar examples UPSC Notes लेकर आये हैं क्यूंकि इस बुक के बारे में काफी Students share करने के लिए बोल रहे थे. तो इसीलिए आज हम इस बुक का पीडीएफ लेकर आये हैं बाकी अगर हमारे daily की विजिटर हैं तो आपको पता ही होगा की हम यहाँ हर दिन बेस्ट स्टडी मटेरियल लेकर आते हैं ताकि आप सभी की तैयारी में कोई कमी न आये यहाँ हम आपको बता दें कि जो छात्र UGC, PCS, RAS, B.ED., PGT, TGT, KVS, NVS, UDA, LDA, SSC, Gramin Bank, Railway, SI, Constable इस से सम्बंधित प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं वे students हिंदी भाषा एवं व्याकरण ras chand alankar examples के इस PDF Notes को अभी डाउनलोड कर लें ताकि आप के होने वाले आगामी परीक्षा में परेशानी का सामना न करना पड़े | आप इस notes को नीचे दिए गये बटन के माध्यम से आसानी के साथ डाउनलोड कर सकते हैं |
- हिंदी व्याकरण PDF नोट्स By Mohit Yadav download
- विज्ञान हिंदी में हस्तलिखित PDF नोट्स download
- हिंदी व्याकरण हस्तलिखित PDF नोट्स download
- हिंदी साहित्य का इतिहास (आदिकाल ,भक्तिकाल ,रीतिकाल ) PDF download करे-
- हिंदी व्याकरण PDF नोट्स By जगदीश सर-Download For Competitive Exams
रस की परिभाषा –ras chand alankar examples
रस का सम्बंध आनन्द से है | कविता को पढने या नाटक को देखने से पाठक , श्रोता अथवा दर्शक को जो आनन्द प्राप्त होता है | उसे ही रस कहते है |
रस और उसका स्थाई भाव – प्राचीन भारतीय विद्वानों ने नौ रस माने है | जिसका विवरण निम्नलिखित है –
रस का नाम | स्थाई भाव |
श्रृंगार | रति (प्रेम) |
हास्य | हास |
करूण | शोक |
रौद्र | क्रोध |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा (घृणा ) |
अद्भुत | विस्मय |
शान्त | निर्वेद |
करुण रस की परिभाषा – ‘शोक’ नामक स्थाई भाव, विभाव , अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रस रुप मे परिणत हो तो वहाँ पर करुण रस होता है | अर्थात् किसी प्रिय वस्तु या व्यक्ति के नाश होने से हृदय के अंदर उत्पन्न क्षोभ को करुण रस कहते है |
करुण रस के उदाहरण – 1.
“मणि खोये भुजंग-सी जननी, फन-सा पटक रही थी शीश, अन्धी आज बनाकर मुझको, किया न्याय तुमने जगदीश?”
इस पद मे श्रवण कुमार की मृत्यु पर उनकी माता का करुण दशा का वर्णन किया गया है |
स्पष्टीकरण –
स्थाई भाव – शोक
विभाव (आलम्बन) – श्रवण कुमार
आश्रय – पाठक
उद्दीपन – महाराज दशरथ की उपस्थिति
अनुभाव – सिर का पटकना
संचारी भाव – विषाद, स्मृति, प्रलाप आदि |
2. अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ |
खुले भी न थे लाज के बोल, खिले थे चुम्बन शून्य कपोल ||
हाय रूक गया यहाँ संसार, बना सिंदूर अनल अंगार |
वातहत लतिका यह सुकुमार, पडी है छिन्नाधार ||
3. प्रियपति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है ?
दु:ख जलनिधि डूबी का सहारा कहाँ है ?
लख मुख जिसका मैं, आज लौं जी सकी हूँ ,
वह हृदय दुलारा नैन तारा कहाँ है ?
4. जथा पंख बिनु खग अति दीना | मनि बिनु फन करिबर कर हीना ||
अस मम जिवन बंधु बिन तोही | जौ जड दैव जियावह मोही ||
हास्य रस की परिभाषा –
किसी की विकृत,आकृति, आकार , वेश भूषा चेष्टा आदि को देखकर हृदय मे जो विनोद का भाव जागृत होने पर हास्य रस की उत्पत्ति होती है | हास्य रस का स्थाई भाव हास है | अर्थात् जहाँ हास नामक स्थाई भाव, विभाव , अनुभाव और संचारी भावो से संयोग से रस रुप मे परिणत होता है , तो वहाँ हास्य रस की निष्पत्ति होती है |
हास्य रस के उदाहरण –
1. बिंध्य के बासी उदासी तपोब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे |
गोतमतीय तरी, तुलसी, सो कथा सुनि भे मुनिबृन्द सुखारे ||
ह्रैहैं सिला सब चन्द्रमुखी परसे पद – मंजुल – कंज तिहारे |
कीन्ही भली रघुनायकजू करूना करि कानन को पगु धारे ||
इसमे बिंध्याचल के तपस्वियों का वर्णन किया गया है |
स्पष्टीकरण-
स्थाई भाव – हास
आलम्बन – बिंध्याचल के तपस्वी
आश्रय – पाठक
उद्दीपन – गौतम की स्त्री का उद्धार होना
अनुभाव – मूनियों की कथा को सुनना |
संचारी भाव – उत्सुकता हर्ष , चंचलता आदि |
2. काहू न लखा सो चरित विसेखा | सो सरूप नर कन्या देखा ||
मरकट बदन भयंकर देही | देखत हृदय क्रोध भा तेही ||
जेहि दिसि बैठे नारद फूली | सो दिसि तेहि न विलोकी भूली ||
पुनि – पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं | देखि दशा हरगन मुसकाहीं ||
3. सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसे,
‘हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में |
कीन्ही भली रघुनायकजू करुना करि कानन को पगु धारे ||
4. जेहि दिदि बैठे नारद फूली | सो देहि तेहिं न विलोकी भूली ||
पुनि- पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहिं | देखि दसा हर गन मुसुकाहीं ||
* * * * * *
अलंकार की परिभाषा
–
काव्य की शोभा बढाने वाले तत्वों को अलंकार कहते है | अर्थात् जिस माध्यम से काव्य की शोभा में वृद्धि होती है, उसे अलंकार का नाम दिया जाता है |
अलंकार के भेद – मुख्य रुप से अलंकार के दो भेद होते है – 1. शब्दालंकार 2. अर्थालंकार
शब्दालंकार की परिभाषा – जहाँ काव्य मे शब्द के माध्यम से काव्य की शोभा मे वृद्धि होती है, वहाँ शब्दालंकार होता है |
अर्थालंकार की परिभाषा – जहाँ काव्य में अर्थ के माध्यम से काव्य की शोभा मे वृद्धि होती है वहाँ अर्थालंकार होता है |
उपमा , रुपक , उत्पेक्षा अर्थालंकार के भेद हैं |
(i) उपमा अलंकार की परिभाषा – जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु की किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से तुनला या समानता बताई जाय वहाँ उपमा अलंकार होता है |
उपमा अलंकार के चार अंग है, जिसका विवरण निम्न है –
(i) उपमेय या प्रस्तुत – जिस व्यक्ति या वस्तु की उपमा दी जाय |
(ii) उपमान या अप्रस्तुत – जिससे उपमा दी जाय |
(iii) साधारण धर्म – वह गुण जिसके कारण उपमेय और उपमान में समानता दिखाया जाय |
(iv) वाचक – वह शब्द जिसके द्वारा उपमेय तथा उपमान की समानता प्रकट हो, वाचक कहा जाता है |
उपमा अलंकार के उदाहरण –
1. पीपर पात सरिस मन डोला |
स्पष्टीकरण –
उपमान-पीपर का पत्ता
उपमेय – मन
साधारण धर्म – डोला
वाचक – सरिस
2. करि कर सरिस सुभग भुजदण्डा |
स्पष्टीकरण –
उपमेय – भुजदण्डा
उपमान – सूँड
वाचक – सरिस
साधारण धर्म – सुभग
3. मुख मयंक सम मंजु मनोहर |
4. छिन्न – पत्र मकरनन्द लुटी – सी, ज्यो मुरझाई हुई कली |
(ii) रुपक अलंकार की परिभाषा – जहाँ उपमेय में उपमान का भेदरहित आरोप हो वहाँ रुपक अलंकार होता है | रुपक अलंकार मे उपमेय और उपमान मे एकरुपता दिखाई जाती है |
रुपक अलंकार का उदाहरण –
चरन-कमल बन्दौ हरि राई |
स्पष्टीकरण – इस पद में भगवान की कमलवत चरणों की वन्दना की गई है | इसमे भगवान के चरण और कमल से न ही तुलना की गई है और न ही समानता बताई गई है | इसमे चरण और कमल में अभेद किया गया है |
इस कारण इस पद रुपक अलंकार है |
2. उदित उदय गिरि मंच पर रघुवर बाल पतंग |
विकसे सन्त सरोज सब, हरषे लोचन भृंग ||
3. भज मन चरण – कँवल अविनासी |
4. मुनि पद कमल बंदि दोउ भ्राता |
(iii) उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा –
जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना व्यक्त की जाय, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है | इस अलंकार के जनु, जानो , मनु ,मानो, मनहुँ, जनहुँ आदि वाचक शब्द है |
उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण –
सोहत ओढै पीतु पटु, स्याम सलौनै गात |
मनौ नीलमनि – सैल पर, आतपु परयौ प्रभात ||
स्पष्टीकरण – उपर्युक्त दोहे में भगवान श्रीकृष्ण के ‘सलोने गात’ तथा ‘पीतु पटु’ में नील मणि शैल की सम्भावना व्यक्त की गई है | ‘मनौ’ वाचक शब्द का प्रयोग किया गया है | अत: यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है |
2. चमचमात चंचल नयन बिच घूँघट – पट झीन |
मानहु सुरसरिता बिमल जल उछरत जुग मीन ||
3. मोर – मुकुट की चन्दिकनु, यौं राजत नँदनंद |
मनु ससि सेखर की अकस, किय सेखर सत चंद||
4. धाए धाम काम सब त्यागी | मनहुँ रंक निधि लूटन लागी |
* * * * * * *
छंद की परिभाषा –
‘छंद’ शब्द का मुख्य अर्थ ‘बंधन’ है | गति, तुक, मात्रा, विराम आदि नियमो पर आधारित काव्य रचना को छंद कहा जाता है |
छंद के प्रकार- मुख्यत: छंद के निम्न भेद है –
(i) वर्णिक छंद – काव्य में वर्णो की निश्चित गणना के आधार पर रचे गए छंद वर्णिक छंद कहे जाते हैं | उदाहरण – अनुष्टुप्, मालिनी , शिखरिणी , घनाक्षरी आदि |
(ii) मात्रिक छंद –मात्रिक छंद उसे कहते है जिसमें प्रत्येक चरण में मात्राओं की संख्या निश्चित होती है | उदाहरण – दोहा ,सोरठा ,रोला , चौपाई आदि |
(iii) मुक्त छंद – जिस रचना में वर्ण और मात्रा का कोई बंधन नहीं होता है, उसे मुक्त छंद कहते है |
मात्रा – वर्णो के उच्चारण में जो समय लगता है, उसे मात्रा कहते है |
इसके दो भेद हैं-
(i) हृस्व- हृस्व वर्ण के उच्चारण में कम समय लगता है | इसकी एक मात्रा होती है| इसे लघु भी कहा जाता है | लघु का संकेत ‘|’ है |अ,इ,उ,ऋ लघु के उदहरण है |
(ii) दीर्घ – दीर्घ वर्ण में हृस्व का दुगुना समय लगता है | इसकी दो मात्रा होती है |इसे गुरु भी कहा जाता है | दीर्घ वर्ण का संकेत ‘s’ है |आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ दीर्घ के उदाहरण है |
1.सोरठा छंद की परिभाषा –
यह दोहे का उल्टा होता है | सोरठा के पहले व तीसरे चरण में 11-11 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण मे 13-13 मात्राएँ होती हैं |
सोरठा छंद का उदाहरण –
i- s l l l l l l s l
जो सुमिरत सिधि होइ, = 11 मात्राएँ
l l s l l l l l l l l l
गननायक करिवर बदन | = 13 मात्राएँ
l l l l s l l s l
करहु अनुग्रह सोय , = 11 मात्राएँ
s l s l l l l l l l l
बुद्धि-रासि सुभ-गुन-सदन | =13 मात्राएँ
स्पष्टीकरण – इस छंद के पहले व तीसरे चरण में 11-11 मात्राएँ और दूसरे और चौथे चरण में 13-13 मात्राएँ हैं |इसलिए सोरठा छंद है |
ii. रहिमन मोहि न सुहाय ,अमी पियावत मान बिनु |
बरु विष देय बुलाय , मान सहित मरिबो भलो ||
iii. लिखकर लोहित लेख, डूब गया दिनमणि अहा |
व्योम सिंघु सखि देख, तारक बुद्बुद दे रहा ||
2. रोला छंद की परीभाषा –
रोला सम मात्रिक छंद है | इसमें चार चरण होते है तथा प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती है | 11 और 13 मात्राओं पर यति होती है |
रोला छंद का उदाहरण –
s l s l l l s l s l l l l l l l s l l
कोउ पापिह पँचत्व, प्राप्त सुनि जमगन धावत |=24 मात्राएँ
l l l l s l l s l l l l s s l l s l l
बनि बनि बावन बीर, बढ्त चौचंद मचावत || =24 मात्राएँ
s l l s s s l l l l s s l l s l l
पै तकि ताकी लोथ , त्रिपथगा के तट लावत |=24 मात्राएँ
s s s l l s l s l s l l l l s l l
नौ व्दै ग्यारह होत, तीन पाँचहिं बिसरावत || =24 मात्राएँ
स्पष्टीकरण –
इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ हैं | 11 तथा 13 मात्राओं पर यति हैं | इस कारण यहाँ रोला छंद है |
दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल है या ebook की आपको आवश्यकता है तो आप निचे comment कर सकते है. आपको किसी परीक्षा की जानकारी चाहिए या किसी भी प्रकार का हेल्प चाहिए तो आप comment कर सकते है. हमारा post अगर आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे.
You May Also Like This
- THE Best ECONOMICS Notes PDF Mission 2018 BY THE INSTITUTE
- Current Affairs का ये Notes हर परीक्षा के लिए रामबाण है। सलेक्शन के लिए रट डालें
- सामान्य ज्ञान के 5000 QUESTIONS AND ANSWER PDF in hindi
- English Grammar Notes by Rahul Gond-Download PDF in Hindi/English
- Drishti Current Affairs Today Varshiki (Yearly) 2018 in Hindi pdf Download
- IAS के पैटर्न पर होगी PCS की परीक्षा, बदलाव से फायदा है या नुकसान-विश्लेषण
- सरकारी योजनाओ के लिए ऑनलाइन सामग्री एक बार अवश्य पढ़े
- GA Power Capsule in Hindi and English for SSC CHSL & Railway 2018
- Railway Group D Exam ki Taiyari रेलवे ग्रुप डी परीक्षा भर्ती की तैयारी कैसे करे
- general management (सामान्य प्रबंधन) pdf notes download in hindi & english
- हिंदी साहित्य का इतिहास by आचार्य रामचंद्र शुक्ल EBOOK PDF download करे-
- GS IAS Almost ALL Subject pdf Notes एक ही pdf में download करे-
- IAS मे निशांत जैन ने हिन्दी माध्यम से कैसे टॉप किया? Tips By IAS Nishant Jain
अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं |आप इसे Facebook, WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे | और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |
Disclaimer:currentshub.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है |हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है| यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- currentshub@gmail.com
Thanks sir