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निर्धारण मापनी | निर्धारण मान विधि का मूल्यांकन | Rating Scales in Hindi

निर्धारण मापनी
निर्धारण मापनी

निर्धारण मापनी (Rating Scales )

निर्धारण मान विधि का अर्थ (Meaning of Rating Scale Method)

निर्धारण मान विधि में जिन व्यक्तियों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना होता है उनके सम्बन्ध में उन निर्णायकों से मत प्राप्त किये जाते हैं जो कि उन्हें जानते हों। इस विधि में व्यक्तित्व सम्बन्धी जिन विशेषताओं के सम्बन्ध में उनके मत प्राप्त करने होते हैं उनकी एक-एक सूची निर्णायकों को प्रदान कर दी जाती है। निर्धारण मान ( Rating Scales) कई प्रकार के होते हैं, किन्तु मुख्य रूप से प्रायः उन्हें निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-

(1) सापेक्ष निर्धारण मान (Relative Rating Scales )

(2) निरपेक्ष निर्धारण मान (Absolute Rating Scales )

आगे हम इन दोनों प्रकार के मानों (Scales) द्वारा व्यक्तित्व के परीक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत कर रहे हैं-

(1) सापेक्ष निर्धारण मान (Relative Rating Scales)- सापेक्ष मान द्वारा व्यक्तियों को श्रेष्ठता के क्रम में रख लिया जाता है। उदाहरण के लिए यदि हमको 5 परीक्षार्थियों की नेतृत्व की शक्ति (Power of Leadership) को ज्ञान करना है तो उस परीक्षार्थी को प्रथम स्थान प्रदान किया जायेगा जिसमें नेतृत्व की शक्ति सबसे अधिक होगी और उस परीक्षार्थी को पाँचवा स्थान प्रदान किया जायेगा नेतृत्व की शक्ति सबसे कम होगी। शेष अन्य बालकों को उनकी, उत्तमता के अनुसार उनके बीच के भागों में रखा जायेगा । वस्तुतः सापेक्ष निर्धारण मान परीक्षार्थियों की थोड़ी संख्या के लिए प्रयुक्त होता है, किन्तु यदि बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना होता है तो यह विधि काम में नहीं लाई जा सकती।

(2) निरपेक्ष निर्धारण मान (Absolute Rating Scales)- निरपेक्ष निर्धारण मान परीक्षार्थियों की अधिक संख्या होने पर भी प्रयुक्त किया जा सकता का मूल्यांकन करते समय किसी व्यक्ति की तुलना अन्य व्यक्तियों से नहीं की जाती, बल्कि व्यक्तित्व सम्बन्धी निर्धारित विशेषताओं को विभिन्न कोटियों में रखा जाता है। इन विशेषताओं । इसके द्वारा व्यक्तित्व का मूल्यांकन करने के लिए 3, 5, 7, 10 या 15 कोटियाँ निर्धारित की जाती हैं। उदाहरण के लिए यदि नेतृत्व की शक्ति का तीन कोटियों में मूल्यांकन करना है तो निर्णायक को तीन कोटियों यथा- ‘उत्तम’, ‘मध्यम’, तथा ‘निम्न’ में विभिन्न व्यक्तियों के सम्बन्ध में पृथक्-पृथक् निर्णय देना होगा, जिन्हें वह नेतृत्व की शक्ति में उत्तम समझता है उन्हें ‘उत्तम’ कोटि में रखेगा और जिन्हें वह निम्न समझता है उन्हें ‘निम्न कोटि में रखेगा तथा जो औसत स्तर के हैं उन्हें वह ‘मध्यम’ कोटि में रखेगा। इसी प्रकार का वर्गीकरण 5, 7, 10 अथवा 15 कोटियों में भी किया जा सकता है। कभी-कभी शब्दों के स्थान पर इन कोटियों को अंकों या अक्षरों में व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए किसी व्यक्तित्व विशेषता को 5 कोटियों में विभाजित करने के लिए निम्नांकित में से किसी भी प्रणाली को अपनाया जा सकता है।

अत्युत्तम उत्तम मध्यम निम्न अति निम्न
1 2 3 4 5
A B C D E

निरपेक्ष निर्धारण मान के द्वारा व्यक्तित्व विशेषताओं का मूल्यांकन करते समय कोई निर्णायक उदार (Liberal) हो सकता है तो कोई अधिक कठोर (Rigid) । इस कठिनाई को समाप्त करने के लिए निर्णायक को सामान्य वितरणं (Normal Distribution) पर ध्यान रखना होगा। यदि 5 कोटियों में विभाजन करना है तो सामान्य वितरण से मिलता हुआ एक सरल एवं व्यावहारिक वितरण निम्नांकित प्रकार का हो सकता है-

1 2 3 4 5
10% 20% 40% 20% 10%

पूर्वोक्त विवरण से पता चलता है कि व्यक्तित्व सम्बन्धी किसी गुण में अत्युत्तम एवं अति निम्न व्यक्तित्व की संख्या बहुत कम है और मध्यम व्यक्तित्व की संख्या सर्वाधिक है।

निर्धारण मान विधि का मूल्यांकन (Evaluation of Rating Scale Method)

यद्यपि निर्धारण मान विधि एक बड़ी सरल विधि प्रतीत होती है, किन्तु व्यावहारिक रूप में इसका प्रयोग करने में कुछ कठिनाइयाँ (Difficulties) या सीमाएँ (Limitations) हैं जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख हैं- (1) इस विधि में पॅरीक्षक में अत्यधिक कुशलता एवं योग्यता की आवश्यकता है। (2) निर्णायक किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में अनेक पूर्ववर्ती विचारों एवं धारणाओं से प्रभावित हो सकता है जो कि प्रतिकूल या अनुकूल हो सकते हैं। (3) यदि वह पहले से उस व्यक्ति से किसी गुण के कारण से प्रभावित है तो उसके अन्य गुण भी वह उच्च क्रम में रखेगा यद्यपि उनमें वे गुण अच्छे न हों। (4) इस विधि में पक्षपात की पूर्ण सम्भावना रहती है, क्योंकि यह एक सामान्य तथ्य है कि प्रायः लोग अपने प्रियजनों की बुराइयाँ नहीं देखते। (5) इस विधि द्वारा व्यक्तित्व के किसी भी शीलगुण (Traits) की मात्रा का आँकना बड़ा कठिन है, प्रायः इसमें गलती हो ही जाती है। निर्धारण मान द्वारा व्यक्तित्व विशेषताओं या शीलगुणों का सफलतापूर्वक मूल्यांकन करने के लिए कुछ विशेष सतर्कताएँ (Precautions) बरतनी होंगी जैसे- (1) जिन शीलगुणों का मूल्यांकन करना है उनके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करना चाहिए, उन शीलगुणों की पूर्ण व्याख्या कर लेनी चाहिए ताकि सभी निर्णायकों की तत्सम्बन्धी धारणायें सन्तुष्ट हों। (2) यदि विभिन्न व्यक्तियों के अनेक गुणों का मूल्यांकन करना हो तो सभी को एक समय में केवल एक गुण में क्रमिक करना चाहिए। (3) पक्षपात को दूर करने की दृष्टि से अनेक निर्णायक होने चाहिए। (4) निर्णायकों को निर्धारण मान को प्रयुक्त करने के लिए प्रशिक्षित होना चाहिए।

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shubham yadav

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