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विकलांग व्यक्तियों के अधिकार | Rights of Persons with Disabilities in Hindi

विकलांग व्यक्तियों के अधिकार
विकलांग व्यक्तियों के अधिकार

विकलांग व्यक्तियों के अधिकार (Rights of Persons with Disabilities)

विकलांग व्यक्तियों के अधिकार (Rights of Persons with Disabilities)- विकलांग व्यक्तियों के भी अपने अधिकार होते हैं जिसका उल्लेख विभिन्न सरकारी दस्तावेजों में मिलता है जिनमें कुछ दस्तावेजी तथ्यों का वितरण निम्नलिखित है-

निःशक्त व्यक्ति अधिनियम 1995 के अंतर्गत विकलांग व्यक्तियों के अधिकार- अधिनियम में विकलांग व्यक्तियों को जो आधारभूत अधिकार दिए गए हैं, वे इस प्रकार हैं:

(i) अविकलांग व्यक्तियों की तरह समान अवसर का अधिकार।

(ii) विकलांगजनों के कानूनी अधिकारों की सुरक्षा का अधिकार।

(iii) जीवन के कार्यों में अविकलांग व्यक्तियों के बराबर पूर्ण भागीदारी का अधिकार।

(iv) इस अधिनियम द्वारा विकलांगजनों को कानूनी रूप से मान्यता दी गई है और विभिन्न विकलांगताओं की कानूनी परिभाषा दी गई है।

(v) इस अधिनियम से विकलांगजनों को यह अधिकार है कि उनकी देखभाल की जाए और जीवन की मुख्यधारा में उन्हें पुनर्वासित किया जाए, और सरकार तथा इस अधिनियम द्वारा कवर किए गए प्राधिकरणों और अन्य प्राधिकरण और स्थापनाओं का यह दायित्व है कि वे इस अधिनियम के प्रावधानों के मद्देनजर विकलांगजनों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करें।

(vi) केन्द्रीय और राज्य सरकारों का यह कर्तव्य है कि वे रोकथाम संबंधी उपाय करें ताकि विकलांगताओं को रोका जा सके, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें, स्वास्थ्य और सफाई संबंधी सेवाओं में सुधार करें वर्ष में कम से कम एक बार बच्चों की जाँच करें, जोखिम वाले मामलों की पहचान करें, प्रसवपूर्व और प्रसव के बाद माँ और शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल करें और विकलांगता की रोकथाम के लिए विकलांगता के कारण और बचावकारी उपायों के बारे में जनता को जागरूक करें।

(vii) प्रत्येक विकलांग बच्चे को 18 वर्ष की आयु तक उपयुक्त वातावरण में निःशुल्क शिक्षक का अधिकार है। सरकार को विशेष शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष स्कूल स्थापित करने चाहिए, सामान्य स्कूलों में विकलांग छात्रों के एकीकरण को बढ़ावा देना चाहिए और विकलांग बच्चों के व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए अवसर मुहैया कराने चाहिए।

(viii) पाँचवीं कक्षा तक पढ़ाई कर चुके विकलांग बच्चे मुक्त स्कूल या मुक्त विश्वविद्यालयों के माध्यम से अंशकालिक छात्रों के रूप में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं और सरकार से विशेष पुस्तकें और उपकरणों को निःशुल्क प्राप्त करने का उन्हें अधिकार है।

(ix) सरकार का यह कर्त्तव्य है कि वह नए सहायक उपकरणों, शिक्षण सहायक साधनों और विशेष सामग्री का विकास करें ताकि विकलांग बच्चों को शिक्षा में समान अवसर प्राप्त हों विकलांग बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार को शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने हैं, विस्तृत शिक्षा संबंधी योजनाएँ बनानी हैं, विकलांग बच्चों को स्कूल जाने-आने के लिए परिवहन सुविधाएँ देनी हैं, उन्हें पुस्तकें, वर्दी और अन्य सामग्री, छात्रवृत्तियाँ, पाठ्यक्रम और नेत्रहीन छात्रों को लिपिक की सुविधाएँ देना है।

(x) दृष्टिहीनता, श्रवण विकलांग और प्रमस्तिष्क अंगघात से ग्रस्त विकलांगजनों की प्रत्येक श्रेणी के लिए 1% पदों का आरक्षण होगा। इसके लिए प्रत्येक तीन वर्षों में सरकार द्वारा पदों की पहचान की जाएगी। भरी न गई रिक्तियों को अगले वर्ष के लिए ले जाया जा सकता है।

(xi) विकलांगजनों को रोजगार देने के लिए सरकार को विशेष रोजगार केन्द्र स्थापित करने हैं।

(xii) सभी सरकारी शैक्षिक संस्थान और सहायता प्राप्त संस्थान 3% सीटों को विकलांगजनों के लिए आरक्षित रखेंगे। रिक्तियों को गरीबी उन्मूलन योजनाओं में आरक्षित रखना है। नियोक्ताओं को प्रोत्साहन भी देना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके द्वारा लगाए गए कुल कर्मचारियों में से 5% व्यक्ति विकलांग हैं।

(xiii) आवास और पुनर्वास के उद्देश्यों के लिए विकलांग व्यक्ति रियायती दर पर जमीन के तरजीही आबंटन के हकदार होंगे।

(xiv) विकलांग व्यक्तियों के साथ परिवहन सुविधाओं, सड़क पर यातायात के संकेतों या निर्मित वातावरण में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। सरकारी रोजगार के मामलों में विकलांग व्यक्तियों के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।

(xv) सरकार विकलांग व्यक्तियों या गंभीर विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के संस्थानों की मान्यता निर्धारित करेगी।

(xvi) मुख्य आयुक्त और राज्य आयुक्त विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों से संबंधित शिकायतों के मामलों की जाँच करेंगे।

(xvii) सरकार और स्थानीय प्राधिकरण विकलांग व्यक्तियों के पुनर्वास का कार्य करेंगे, गैर-सरकारी संगठनों को सहायता देंगे, विकलांग कर्मचारियों के लिए बीमा योजनाएँ बनाएँगे और विकलांग व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी भत्ता योजना भी बनाएँगे।

(xviii) छलपूर्ण तरीके से विकलांग व्यक्तियों के लाभ को लेने वालों या लेने का प्रयास करने वालों को 2 वर्ष की सजा या 20,000 रुपए तक का जुर्माना होगा।

राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 के अंतर्गत विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार: (i) इस अधिनियम के अनुसार केन्द्रीय सरकार का यह दायित्व है कि वह ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक, मंदता और बहुविकलांगता ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण के लिए, नई दिल्ली में राष्ट्रीय न्यास का गठन करें।

(ii) केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित किए गए राष्ट्रीय न्यास को यह सुनिश्चित करना होता है कि अधिनियम की धारा 10 में वर्णित उद्देश्य पूरे हों।

(iii) राष्ट्रीय न्यास के न्यासी बोर्ड का यह दायित्व है कि वे वसीयत में उल्लिखित किसी भी लाभग्राही के समुचित जीवन स्तर के लिए आवश्यक प्रबंध करें और विकलांगजनों के लाभ हेतु अनुमोदित कार्यक्रम करने के लिए पंजीकृत संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करें।

(iv) इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार, विकलांग व्यक्तियों को स्थानीय स्तर की समिति द्वारा नियुक्त संरक्षक की देखरेख में, रेख जाने का अधिकार है। नियुक्त किए गए ऐसे संरक्षकों को उस व्यक्ति और विकलांग प्रतिपाल्यों की संपत्ति के लिए जिम्मेवार और उत्तरदायी होंगे।

(v) यदि विकलांग व्यक्ति का संरक्षक उसके साथ दुव्यर्वहार कर रहा है या उसकी उपेक्षा कर रहा है या उसकी संपत्ति का दुरुपयोग कर रहा है तो विकलांग व्यक्तियों को अपने संरक्षक को हटा देने का अधिकार है।

(vi) जहाँ न्यासी बोर्ड कार्य नहीं करता या इसने सौंपे गए कार्यों के कार्यनिष्पादन में लगातार चूक की है, वहाँ विकलांग व्यक्तियों हेतु पंजीकृत संगठन, न्यासी बोर्ड को हटाने / इसका पुनर्गठन करने के लिए केन्द्रीय सरकार से शिकायत कर सकता है।

(vii) इस अधिनियम के उपबंध राष्ट्रीय न्यास पर जवाबदेही, मोनीटरिंग, वित्त, लेखा और लेखा-परीक्षा के मामले में बाध्यकारी होंगे।

भारतीय पुनर्वास अधिनियम, 1992 के निःशक्त व्यक्तियों के अधिकार :

(i) परिषद द्वारा रखे जा रहे रजिस्टरों में जिन प्रशिक्षित और विशेषज्ञ व्यावसायिकों के नाम दर्ज हैं, उनके द्वारा विकलांगजनों को लाभ पहुँचाना।

(ii) शिक्षा के उन न्यूनतम मानकों को बनाए रखने की गारंटी जो भारत में विश्वविद्यालयों या संस्थानों द्वारा पुनर्वास अर्हता की मान्यता के लिए अपेक्षित हैं।

(iii) केन्द्र सरकार के नियंत्रणाधीन और अधिनियम द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर किसी सांविधिक परिषद् द्वारा पुनर्वास व्यावसायिक के व्यवसाय के विनियम की गारंटी।

मानसिक रूप से रुग्ण विकलांगजनों के अधिकार- मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों को मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 के अंतर्गत, निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं:

(i) मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों के उपचार और देखभाल के लिए सरकार या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा स्थापित या अनुरक्षित किए जा रहे किसी मनचिकित्सीय अस्पताल या मनचिकित्सीय नर्सिंग होम या स्वास्थ्य लाभ गृह (सरकारी सार्वजनिक अस्पताल या नर्सिंग होम के अलावा) में भर्ती होने, उपचार करवाने या देखभाल करवाने का अधिकार।

(ii) रूप से रुग्ण कैदी और नाबालिग को भी सरकारी मनचिकित्सीय अस्पताल या मनचिकित्सीय नर्सिंग होम्स में इलाज करवाने का अधिकार है।

(iii) 16 वर्ष से कम आयु के नाबालियों, व्यवहार में परिवर्तन कर देने वाले अल्कोहल या अन्य व्यसनों के आदी व्यक्ति और वे व्यक्ति जिन्हें किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, को सरकार द्वारा स्थापित या अनुरक्षित किए जा रहे अलग मनचिकित्सीय अस्पतालों या नर्सिंग होम में भर्ती होने, उपचार करवाने या देखरेख करवाने का अधिकार है।

(iv) मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों को सरकार से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को विनियमित, निर्देशित और समन्वित करवाने का अधिकार है। सरकार का दायित्व इस अधिनियम के अंतर्गत स्थापित केन्द्रीय प्राधिकरणों और राज्य प्राधिकरणों के माध्यम से मनचिकित्सीय अस्पतालों और नर्सिंग होमों को स्थापित और अनुरक्षित करने के लिए ऐसे विनियमनों और लाइसेंसों को जारी करने का है।

(v) उपयुक्त उल्लिखित सरकारी अस्पतालों और नर्सिंग होमों में इलाज अन्तः रोगी या बाह्य रोगी के रूप में हो सकता है।

(vi) मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति ऐसे अस्पतालों या नर्सिंग होमों में अपने आप भर्ती होने के लिए अनुरोध कर सकते हैं और नाबालिग अपने संरक्षकों के द्वारा भर्ती होने के लिए अनुरोध कर सकते हैं। मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों के रिश्तेदारों द्वारा भी रुग्ण व्यक्तियों की ओर भर्ती होने के लिए अनुरोध किया जा सकता है। भर्ती आदेशों को मंजूर करने के लिए स्थानीय मजिस्ट्रेट को भी आवेदन किया जा सकता है।

(vii) पुलिस का दायित्व है कि भटके हुए या उपेक्षित मानसिक रुग्ण व्यक्ति में सुरक्षात्मक हिफाजत में लें, उसके संबंधी को सूचित करें और ऐसे व्यक्ति के भर्ती आदेशों को जारी करवाने हेतु उसे स्थानीय मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित करें।

(viii) मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों को इलाज होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होने का अधिकार है और अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार वह ‘छुट्टी’ का हकदार है।

(ix) जहाँ कहीं मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति भूमि सहित अपनी अन्य संपत्तियों की स्वयं देखरेख नहीं कर सकते वहाँ, जिला न्यायालय आवेदन करने पर ऐसी संपत्तियों के प्रबंधन की रक्षा और सुरक्षा ऐसे मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों के संरक्षकों की नियुक्ति करने के द्वारा या ऐसी संपत्ति के प्रबंधकों की नियुक्ति द्वारा प्रतिपालय न्यायालय को सौंप कर करनी पड़ती है।

(x) सरकारी मनचिकित्सीय अस्पताल या नर्सिंग होम में अंतःरोगी के रूप में भर्ती हुए मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति के उपचार का खर्चा, जब तक कि मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति की ओर से उसके संबंधी या अन्य व्यक्ति द्वारा ऐसे खर्च को बहन करने की सहमति न दी गई हो, संबंधित राज्य सरकार द्वारा उक्त खर्चे का वहन किया जाएगा और इस तरह के अनुरक्षण के लिए प्रावधान जिला न्यायालय के आदेश द्वारा दिए गए हैं। इस तरह का खर्च मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति की संपत्ति से भी लिया जा सकता है।

(xi) इलाज करवा रहे मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का असम्मान (चाहे या शारीरिक हो या मानसिक) या क्रूरता नहीं की जाएगी और न ही मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति का प्रयोग उसके रोग निदान या उपचार को छोड़कर, अनुसंधान के उद्देश्य से या उसकी सहमति से नहीं किया जाएगा।

(xii) सरकार से वेतन, पेंशन, ग्रेच्यूटी या अन्य भत्तों के हकदार मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्तियों (जैसे सरकारी कर्मचारी, जो अपने कार्यकाल के दौरान मानसिक रूप से रुग्ण हो जाते हैं), को ऐसे भत्तों की अदायगी से मना नहीं किया जा सकता है। मजिस्ट्रेट से इस आशय का तथ्य प्रमाणित होने के बाद, मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति कि देख-रेख करने वाला व्यक्ति या मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति के आश्रित ऐसी राशि को प्राप्त करेंगे।

विकलांगता : मानवाधिकार का एक मुद्दा (Disability : A Human right issue)

प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने का अधिकार है। विकलांग व्यक्तियों को शामिल किए बगैर इस अधिकार की परिकल्वना ही नहीं की जा सकती है। लेकिन विकलांगों के अधिकारों को मानवाधिकार के रूप में कभी देखा ही नहीं गया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लंबे आंदोलन के बाद मानवाधिकार परिषद् को इसकी याद आयी। परिषद् की ही पहल पर न्यूयार्क में आयोजित ‘कंवेशन ऑन द राइट्स ऑफ परसन्स विथ डिसएबिलिटज’ में भाग ले रहे भारत सहित स्पेन, क्यूबा, यूरोपीय संगठन, मेक्सिको, मोरक्को, क्रोएशिया, इटली, अर्जेंटीना, कोरिया, जापान, उरुग्वे, रूसी फेडरेशन, अमेरिका, ऑस्ट्रिया, बांग्लादेश, मलेशिया, फिनलैंड, थाईलैंड, ब्राजील, कनाडा, ट्यूनीशिया, चेक गणराज्य, इंडोनेशिया, चीन, कोस्टारिका, तंजानिय, नाईजीरिया, होंडूरासू अल्जेरिया, सूडान, पाकिस्तान आदि देशों एवं विभिन्न संगठनों ने एक समझौते के तहत कंवेशन के संविधान पर 30 मार्च, 2007 को मुहर लगा दी। साथ ही कंवेशन के नवनिर्मित संविधान को अपनाने की भी घोषणा की। इस तरह विकलांगों के अधिकारों को मानवाधिकार का दर्जा मिला गया।

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shubham yadav

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