B.Ed./M.Ed.

रुचि का अर्थ | रुचि की परिभाषाएँ | रुचि के लक्षण या विशेषताएँ

रुचि का अर्थ
रुचि का अर्थ

रुचि का अर्थ (Meaning of Interest)

किसी व्यवसाय में सफलता केवल उसमें अभिवृत्ति (Attitude) अथवा अभियोग्यता (Aptitude) रखने से ही नहीं मिल सकती जब तक कि उसमें रुचि न हो। किसी विद्यार्थी में बुद्धि, मानसिक योग्यता तथा अभिवृत्ति कितनी ही क्यों न हो, रुचि के अभाव में सब व्यर्थ है। साधारण अर्थों में, किसी वस्तु व्यक्ति अथवा कार्य में ध्यान देने, उसके प्रति आकर्षित होने, उसके पसन्द करने और उससे सन्तोष लाभ करने की प्रवृत्ति को रुचि कहते हैं। We define interest in an object, a person, an activity or a field of occupation as a tendency to give attention to it, to be attracted by it, to like it, find satisfaction in it.

इस प्रकार, रुचि व्यक्ति की वह आन्तरिक शक्ति है, जो उसे किसी व्यक्ति, पदार्थ अथवा क्रिया की ओर आकृष्ट होने की प्रेरणा प्रदान करती है। व्यक्ति, रुचि की विशिष्ट प्रवृत्ति के कारण ही उस वस्तु विशेष की ओर ध्यान देता है, उदाहरणार्थ- बाजार में घूमते हुए हमारा अवधान सीधा उसी दुकान पर पहुँचता है, जिसमें हमें रुचि होती है। कॉलेज में विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ होते हुए भी एक खिलाड़ी का रूख मैदान की तरफ ही होता है। अवधान के लिए किसी प्रकार का प्रयास करना नहीं पड़ता, ध्यान स्वतः ही चलता है।

अतः रुचि का तात्पर्य उस मानसिक अवस्था से है, जिसके कारण हम किसी वस्तु अथवा विचार को पसन्द या नापसन्द करते हैं। जिन कार्यों में व्यक्ति की रुचि होती है, उन कार्यों को करके व्यक्ति आत्म संतोष प्राप्त करता है तथा जिन कार्यों में व्यक्ति की रुचि नहीं होती, प्रथम, तो वे ऐसे कार्यों को करता ही नहीं और यदि विवश होकर करना भी पड़े तब व्यक्ति उस कार्य में सफल नहीं होता। यहाँ यह बात स्मरणीय है कि रुचि का अभिवृत्ति (Attitude) तथा अभिक्षमता (Aptitude) से घनिष्ठ सम्बन्ध है। जिस व्यक्ति में रुचि, अभिवृत्ति एवं अभिक्षमता तीनों विद्यमान होती हैं, वह सम्बन्धित कार्य में विशेष सफलता प्राप्त करता है। विलियम जेम्स ने रुचि की विवेचना एक ऐसी चेतना अथवा अवधान के रूप में की है, जिसकी सहायता से मनुष्य अपने समस्त अनुभवों का अर्थ निकालता है।

रुचि की परिभाषाएँ (definitions of Interest)

कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

1. स्ट्रांग (Strong) के शब्दों में-“रुचि में हम किसी वस्तु के प्रति जागृत होते हैं. उसके प्रति प्रतिक्रिया करने को तैयार रहते हैं, उसको पसन्द करते हैं, उससे दूर भागते हैं तथा उसे नापसन्द करते हैं।”

“Interest is present when we are aware of an object or better when we are aware of our set or disposition towards the object. We like or dislike the object to get away form it.” –Strong.

2. बिंघम (Bingham) के अनुसार “रुचि वह प्रवृत्ति है, जो किसी अनुभव में लग जाती है तथा उसमें निरन्तर होती है।”

“An Interest is a tendency to become absorbed in experience and to continue it.”– Bingham.

3. गिलफर्ड (Guilford) के शब्दों में- “किसी वस्तु व्यक्ति या प्रक्रिया से आकर्षित होने उसे पसन्द करने या उससे सन्तुष्टि पाने की ओर ध्यान केन्द्रित करने वाली प्रवृत्ति को रुचि कहते हैं । “

“Interest is a tendency to give attention to attract by, to like and find satisfaction in an activity, object or person.”-Guilford.

4. रूमेल, रेमर्स तथा गेज (Rummel, Remmers and Gage) के अनुसार “रुचि मूल रूप से सुखान्त एवं दुखान्त भावनाओं, पसन्द एवं नापसन्द व्यवहार के आकर्षण एवं विकर्षण के रूप में दर्पण हैं।”

“Interest are presumably, the reflection of attraction and aversion in behaviour of feeling of pleasentness and unpleasentness, likes or dislikes. – Rummel, Remmers & Gage.

5. सुपर (Super) के शब्दों में- “रुचि कोई पृथक् मनोवैज्ञानिक इकाई नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण मानव-व्यवहार का एक पहलू है।”

“Interest is not a separeate, psychological entity, but merely of several aspects of behaviour. -Super

रुचि के लक्षण या विशेषताएँ (Features of Interest)

मुख्य रूप से रुचि की चार विशेषताएँ हैं- ध्यान की एकाग्रता तथा कार्य में अनवरत् रूप से लगे रहने की प्रवृत्ति (Concentration and continuous efforts tendency), तीव्रता (Intensity), आनन्द की प्राप्ति (Pleasure gain) तथा स्थिरता (Stability)।

(1) रुचि के प्रथम लक्षण के अन्तर्गत, किसी कार्य में रुचि का प्रदर्शन होता है, उस कार्य में अवधान को सतत रूप से लगाए रखने की प्रवृत्ति द्वारा । जिस कार्य में हमारी रुचि होती है उसको करने में हमें उत्साह और आनन्द की अनुभूति होती है तथा शारीरिक एवं मानसिक थकान होने पर भी हम उस कार्य में लगे रहने की प्रवृत्ति दिखाते हैं। किसी कार्य में रुचि होने का अर्थ है, उस कार्य को स्वेच्छा से चुनकर अथक रूप से उसमें दत्तचित रहना स्वेच्छा से चुनने का अभिप्राय है, उसकी ओर आकर्षित होना।

(2) रुचि के दूसरे लक्षण के अन्तर्गत, रुचि में तीव्रता का होना अनिवार्य है यह मानसिक प्रवृत्ति इतनी अधिक तीव्र होती है कि जिस कार्य में हमारी रुचि होती है, उसको करने का अवसर मिलते ही उसमें विभोर हो जाते हैं, ध्यान उस पर पूरी तरह से जम जाता है और हमारी इच्छा हो जाती है कि हम निरन्तर उस कार्य में लगे रहें। हमारी शारीरिक गतियाँ और मुखाकृति उस वस्तु पर पूर्णतः केन्द्रित हो जाती है तथा अन्य कारकों से, जो इस कार्य में बाधक होते हैं, हमारी दृष्टि हट जाती है।

(3) रुचि का तीसरा लक्षण है, रोचक कार्य से आनन्द की प्राप्ति। इस प्रवृत्ति के प्रकाशन से हमें आनन्द की अनुभूति होती है। रोचक कार्यों में आनन्द तथा अरोचक कार्यों के प्रति घृणा स्वतः उत्पन्न हो जाती है। जिन कार्यों के प्रति हमें घृणा होती है, उनको करने में दुःख की अनुभूति होती है तथा जिन कार्यों में लगाव होता है, उनको करने में सुख और सन्तोष की प्राप्ति होती है।

(4) रुचि की चौथी विशेषता है, स्थिरता (Stability)। यदि आज हम किसी कार्य में रुचि लेते हैं और यदि यह रुचि परिपक्व है, तो कल भी उस कार्य में रुचि लेते रहेंगे। कुछ लोगों का मत हैं कि अनुभव, ज्ञान और आयु की वृद्धि के साथ रुचियों में परिपक्व हो जाने पर उनमें स्थिरता आ जाती है। स्ट्रांग (Strong) का कहना है कि यद्यपि कुछ रुचियों में परिवर्तन होता है लेकिन रुचियों के ढाँचे (pattern) में कोई अन्तर नहीं आता व्यक्ति की रुचि की प्रकृति लगभग एक सी बनी रहती है। उसमें पर्याप्त मात्रा में स्थायित्व आ ही जाता है।

इसी भी पढ़ें…

Disclaimer: currentshub.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है। हम सिर्फ Internet और Book से पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- currentshub@gmail.com

About the author

shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment